जयपुरपर्यटन

अब होगा पुरा सामग्रियों पर दीमक अटैक

पुरातत्व विभग में चारों ओर फैली दीमक

धरम सैनी

जयपुर। पुरातत्व विभाग यदि अल्बर्ट हॉल की पुरा सामग्रियों के सुरक्षित रखना चहता है तो उसे अपना मुख्यालय तुरंत अल्बर्ट हॉल से हटा लेना चाहिए, क्योंकि मुख्यालय अब दीमकों के कब्जे में है। मुख्यालय से यह दीमक संग्रहालय के अंदर पहुंच चुकी है। जल्द ही यह संग्रहालय में भी अपना असर दिखा सकती है।

करीब एक महीने पहले 14 अगस्त की सुबह राजधानी में हुई जोरदार बारिश के बाद पुरातत्व विभाग के मुख्यालय सहित अल्बर्ट हॉल की ममी गैलरी, स्टोर रूम और रिकार्ड रूम में पानी भर गया था। विभाग का कहना है कि इसी पानी के साथ आस-पास किसी दीमक संक्रमित इलाके से बड़ी मात्रा में दीमकें विभाग के मुख्यालय में आ गई और फर्नीचर में डेरा जमा लिया।

मिट्टी में बदल रही लकड़ी

पानी से भीगे फर्नीचर में दीमक ने तेजी के साथ फैलना शुरू कर दिया। अब तो हाल यह है कि कई जगहों पर दीमक ने लकड़ी को मिट्टी में बदल दिया है और यह लगातार फैलती जा रही है। विभाग के कर्मचारी पानी में भीगे हुए फर्नीचर की सनमाइका को उखाड़कर दीमकों की तलाश में लगे हैं।

संग्रहालय में पहुंच चुकी दीमक

नाम न छापने की शर्त पर विभाग के कुछ अधिकारियों ने बताया कि यह दीमकें अल्बर्ट हॉल मुख्यालय में भी पहुंच चुकी है, ऐसे में संग्रहालय में रखी पुरा सामग्रियों की सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है। उच्चाधिकारियों को इस बाबत जानकारी दी जा चुकी है, लेकिन वह हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।

संग्रहालय में ऐसे पहुंची दीमक

पानी में भीगने के बाद विभाग की सभी फाइलों को संग्रहालय की गैलरियों में करीब दो सप्ताह तक सुखाया गया था। ऐसे में भीगी हुई फाइलों के बंडलों के साथ दीमक संग्रहालय में पहुंच चुकी है। यदि समय रहते इनका इलाज नहीं कराया गया तो पहले यह दीमक पुरा सामग्रियों के शोकेस को अपनी चपेट में लेगी और बाद में पुरा सामग्रियों को। यही नहीं गीली फाइलों को संग्रहालय की छतों पर भी सुखाया गया था। ऐसे में दीमक यहां से संग्रहालय की लाईब्रेरी में भी पहुंच सकती है और यहां रखी प्राचीन व दुर्लभ पुस्तकों को भी नुकसान पहुंचा सकती है।

विभाग का रिकार्ड भी असुरक्षित

जानकारी के अनुसार विभाग की फाइलों को भी अब फिर से बंडलों में बांध कर भीगे फर्नीचर में ही रखा जा रहा है। एक तो फाइलें पूरी तरह से नहीं सूखी है, ऊपर से फर्नीचर भी अभी गीला है, ऐसे में नमी मिलने पर दीमक तेजी के साथ फैलेगी और विभाग के रिकार्ड को भी चट कर जाएगी।

हमारी रसायन शाखा कर रही है उपचार

दीमक के संबंध में विभाग की उपनिदेशक कृष्ण कांता शर्मा का जवाब रहा कि न तो तुरंत विभाग का मुख्यालय बदला जा सकता है और न ही फर्नीचर। हमने नए फर्नीचर के लिए अधिकारियों को लिख दिया है। नए फर्नीचर की मंजूरी आने तक हमें इसी फर्नीचर से काम चलाना होगा। विभाग की रसायन शाखा फर्नीचर में दीमक का इलाज कर रही है।

इलाज कराओ नहीं तो भुगतो अंजाम

पुरातत्व विभाग की रसायन शाखा का हाल जग जाहिर है। विभाग के जानकारों का कहना है कि करीब एक दशक से तो शाखा में कोई काम शायद ही हुआ हो, क्योंकि मुख्य रसायनवेत्ता को तो अन्य कार्यों में उलझाए रखा गया। ऐसे में शाखा दीमक का क्या उपचार करेगी? जानकारों का कहना है कि अगर विभाग अपने रिकार्ड और पुरा सामग्रियों को बचाना चाहता है तो उसे विशेषज्ञों से मुख्यालय और अल्बर्ट हॉल की पूरी इमारत का ट्रीटमेंट कराना होगा, नहीं तो अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा।

Related posts

जयपुर (Jaipur) में युवती का मर्डर (murder)-पहली मंजिल पर कमरे में अकेली थी, गला रेत कर हत्या

admin

मोबाइल एप से होगी पेयजल परियोजनाओं की मॉनिटरिंग

admin

राजस्थान के छह नगर निगमों के लिए 2903 उम्मीदवारों ने दाखिल किए 3216 नामांकन

admin