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पुरातत्व विभाग (Archaeological Department) हारा ‘नाहरगढ़ की लड़ाई’, एनजीटी (national green tribunal) ने फोर्ट में चल रही अवैध वाणिज्यिक गतिविधियों (illegal commercial activities) पर रोक लगाई

पुरातत्व विभाग-आरटीडीसी को छोड़ना पड़ेगा फोर्ट से कब्जा, आरटीडीसी का बीयर बार भी होगा बंद

अब वन विभाग की गाइडलाइन के अनुसार होगा फोर्ट में पर्यटन, विभाग विकसित करेगा ईको टूरिज्म

धरम सैनी

राजधानी के प्रमुख पर्यटन स्थल नाहरगढ़ फोर्ट को लेकर पुरातत्व विभाग, राजस्थान का पर्यटन विभाग और राजस्थान टूरिज्म एंड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (आरटीडीसी) की वन विभाग के साथ नूराकुश्ती चल रही थी लेकिन सोमवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (national green tribunal/NGT) ने इस लड़ाई पर विराम लगा दिया है। एनजीटी ने नाहरगढ़ अभ्यारण्य के बीच बने फोर्ट पर की जा रही अवैध वाणिज्यिक गतिविधियों (illegal commercial activities) को गैर वानिकी गतिविधि बताते हुए पुरातत्व विभाग (Archaeological Department) और आरटीडीसी को फोर्ट खाली करने के निर्देश दिये हैं।

अभ्यारण्य में अवैध वाणिज्यिक गतिविधियों के मामले में जयपुर के वन प्रेमी राजेंद्र तिवाड़ी की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए एनजीटी ने यह आदेश दिए हैं। इस आदेश के बाद नाहरगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य में वर्ष 1968 से बेरोक-टोक वन एवं वन्यजीव अधिनियमों की धज्जियां उड़ाकर चल रही वाणिज्यिक गतिविधियों पर अब विराम लग जाएगा। पुरातत्व विभाग और आरटीडीसी को यहां से अपना तामझाम समेटना पड़ेगा।

राजेंद्र तिवाड़ी ने बताया कि एनजीटी की छह सदस्यीय संवैधानिक बैंच ने बहस के बाद कहा कि नाहरगढ़ में जो भी एक्टिविटी चल रही है, वह सभी नॉन फारेस्ट एक्टिविटी है। एनजीटी ने पुरातत्व विभाग और आरटीडीसी को फटकार लगाते हुए कहा कि इनको अभ्यारण्य में इस तरह की वाणिज्यिक गतिविधियां चलाने का कोई अधिकार नहीं है। दोनों विभागों को एनजीटी ने आदेश दिया है कि वह तुरंत फोर्ट को खाली करें।

तिवाड़ी ने बताया कि एनजीटी ने वन विभाग को निर्देश दिया है कि वह फोर्ट पर जाकर वहां का पजेशन ले और नाहरगढ़ फोर्ट को शामिल करते हुए अभ्यारण्य में ईको टूरिज्म का विकास करे। तिवाड़ी ने कहा कि राजस्थान जैसे मरुस्थलीय प्रदेश में वनों के संरक्षण के लिए एनजीटी का यह महत्वपूर्ण फैसला है। सरकार और वन विभाग को तुरंत इस फैसले पर अमल करना चाहिए।

वन क्षेत्रों में दूसरे विभागों की दखलंदाजी का खमियाजा वनों की बर्बादी के रूप में सामने आता है, जिसका उदाहरण नाहरगढ़ अभ्यारण्य था। आशा है कि वन विभाग भी इस फैसले के बाद नाहरगढ़ अभ्यारण्य की सुध लेगा। नाहरगढ़ अभ्यारण्य के लिए आया यह फैसला देशभर के वन क्षेत्रों में चल रही गैर वानिकी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए नजीर बनेगा।

यह हो रही थी नॉन फॉरेस्ट एक्टिविटी
नाहरगढ़ फोर्ट, नाहरगढ़ अभ्यारण्य के अंदर शामिल है और यहां आरटीडीसी की ओर से पड़ाव नाम से रेस्टोरेंट और बीयर बार संचालित किया जा रहा था, जो देर रात तक खुला रहता था। पुरातत्व विभाग की ओर से भी फोर्ट के अंदर एक रेस्टोरेंट व एक कॉफी हाउस, वैक्स म्यूजियम, रात के समय लाइट एंड साउंड शो संचालित किया जा रहा था। पुरातत्व विभाग की कार्यकारी एजेंसी एडमा की ओर से फोर्ट के अंदर और बाहर पार्किंग का ठेका दिया गया था। फोर्ट के बाहर पार्किंग निर्माण के लिए करीब चार-पांच बीघा क्षेत्र में पेड़ों को काटकर पार्किंग का निर्माण किया गया था।

क्लियर न्यूज डॉट लाइव ने उठाया था मुद्दा
उल्लेखनीय है कि क्लियर न्यूज डॉट लाइव ने 7 अक्टूबर 2020 को ‘मूक वन्यजीवों की जान दांव पर लगाकर हो रहा पर्यटन का विकास’ खबर प्रकाशित कर सबसे पहले नाहरगढ़ अभ्यारण्य में चल रही अवैध वाणिज्यिक गतिविधियों का मामला उठाया था। इसके बाद क्लियर न्यूज ने 8 अक्टूबर को ‘नौकरी पर बन आई, अब होगी कार्रवाई’, 10 अक्टूबर को ‘पेड़ कटते रहे, कागजों में वन बढ़ते रहे’, 12 अक्टूबर को ‘वन अधिनियम को चुनौती दे रहा पुरातत्व विभाग’, 14 अक्टूबर को ‘एक शहर, दो फोरेस्ट, एक में प्रवेश शुल्क, दूसरे में निर्बाध आवाजाही’, 15 अक्टूबर को ‘नाहरगढ़ मामले को रफा-दफा करने में जुटा पुरातत्व विभाग’, 21 अक्टूबर को ‘नाहरगढ़ मामला एनजीटी में जाने की तैयारी’, 10 दिसंबर को ‘नाहरगढ़ में वन विभाग को करनी थी पुरातत्व विभाग पर कार्रवाई, मिलीभगत से ठेलेवालों को भगाया’, 11 दिसंबर को ‘नाहरगढ़ अभ्यारण्य में अवैध निर्माण का टेंडर जारी, वन विभाग को टके सेर नहीं पूछ रहा आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण’ समेत समय-समय पर कई खबरें प्रकाशित कर अभ्यारण्य में उड़ रही वन एवं वन्यजीव अधिनियम की धज्जियां, नाहरगढ़ पर अवैध कब्जों, पेड़ों का कटान, अवैध निर्माण, वन्यजीवों की सुरक्षा, अवैध वाणिज्यिक गतिविधियों को उजागर किया था।

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