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राजस्थानः भजनलाल सरकार ने नौरकशाही में किये मनमाफिक बदलाव, गहलोत के विश्वासपात्र अफसर हो रहे जयपुर से दूर

राजस्थान सरकार में जबरदस्त उठापटक का दौर जारी है। पिछली सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर रहे आईएएस-आरएएस अफसर अब बदले जा रहे हैं। हालांकि जब भी सरकार बदलती तो सबसे पहले काम यही होता है।
गहलोत सरकार में बड़े पदों पर रहे ऐसे अफसरों का या तो जयपुर सचिवालय से बहुत दूर या बाहर के जिलों में तबादला कर दिया गया है। कुछ को एपीओ भी कर दिया गया है। कुछ को जयपुर में पोस्टिंग मिली है, लेकिन यह एक तरह से ठंडी पोस्टिंग ही है।
सरकार और ब्यूरोक्रेसी की रीत भी यही है। इस बार तो देर हो गई, वरना राजस्थान में यह परिपाटी है कि राज बदलते ही सीएम और मंत्रियों से जुड़े अफसरों को उनके पदों से पहले-दूसरे दिन ही विदा कर दिया जाता है। एक तथ्य यह भी है कि कुछ अफसर अब भी पुराने वाले पदों पर ही है। सीएम भजनलाल ने बतौर कार्मिक विभाग मंत्री शुक्रवार देर रात को तबादले और एपीओ आदेशों की सूचियां जारी कर ही दीं।
कई दिग्गज अफसरों को नहीं बदला
वित्त और गृह विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव पर रहे अखिल अरोड़ा और आनंद कुमार को इस सरकार में भी इन्हीं पदों पर रखा गया है। इनके अलावा वित्त विभाग में राजस्व सचिव कृष्णकांत पाठक को भी इसी पद पर रखा गया है। अभी तक बीते 25 वर्षों में यह पहला मामला है, अन्यथा राजस्थान में इन दोनों विभागों के टॉप आईएएस अफसरों को सरकार बदलते ही तुरंत बदला जाता रहा है।
आईएएस गोयल व डोगरा का तबादला
पूर्व सीएम अशोक गहलोत के कार्यकाल में उनके सीएमओ में शासन सचिव पदों पर रहे वर्ष 2006 बैच के दो आईएएस अफसरों गौरव गोयल और आरती डोगरा को क्रमशः राजभवन और आईटी विभाग में लगाया गया है। गोयल को गुरुवार को जारी आदेशों में राजभवन में राज्यपाल का सचिव नियुक्त किया गया है। गोयल का पिछले लगभग पांच वर्षों (दिसंबर-2018 से लेकर जनवरी-2023 के बीच) में नवीं बार तबादला हुआ है। सीएमओ में दिसंबर-2018 को आरती डोगरा को पूर्व सीएम गहलोत ने अपना संयुक्त सचिव बनाया था, जिन्होंने पूरे पांच वर्ष वहीं बिताए। अब सरकार ने उन्हें आईटी विभाग भेज दिया है।
गहलोत के विश्वसनीय सैनी को बांसवाड़ा भेजा
पूर्व सीएम अशोक गहलोत के कार्यकाल (2008-2013 और 2018-2023) में सीएमओ में पदस्थ रहने वाले आरएएस अफसर देवाराम सैनी को डेढ़ महीने पहले तक राजस्थान का सबसे ताकतवर अफसर माना जाता था। पूर्ववर्ती सरकार में मुख्य सचिव हो या कोई मंत्री सैनी को बायपास नहीं कर सकते थे। सैनी को अब जयपुर से ठीक 500 किलोमीटर दूर बांसवाड़ा में अतिरिक्त संभागीय आयुक्त के पद पर लगाया गया है। यह वो जगह है, जहां कोई रेलवे स्टेशन भी नहीं है।
5 ताकतवर आरएएस को किया एपीओ
पूर्व सीएम गहलोत के कार्यकाल में सीएमओ में आरएएस अफसरों की एक पूरी टीम थी। इन्हें गहलोत की आंख-कान कहा जाता था। आरएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष गौरव बजाड़ और महासचिव अजय असवाल सहित सावन कुमार चायल, गोपाल सिंह और शाहीन अली इस टीम में थे। शुक्रवार को एक ही आदेश से इन पांचों आरएएस अफसरों को एपीओ (पदस्थापन की प्रतीक्षा में) कर दिया। अब इन्हें जल्द ही नई पोस्टिंग दी जाएगी। सूत्रों का कहना है कि इन्हें पोस्टिंग जयपुर से बाहर ही दी जाएगी।
शिखर अग्रवाल को अतिरिक्त मुख्य सचिव लगाया
शिखर अग्रवाल 1993 बैच के आईएएस अफसर हैं । वे अभी वन विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव थे। सीएम शर्मा ने उन्हें सीएमओ में अतिरिक्त मुख्य सचिव लगाया है। अग्रवाल हर सरकार में अच्छी पोस्ट पर रहे हैं क्योंकि वे राजनीतिक पक्षपात से दूर रहते हैं। वे जिस भी विभाग में रहते हैं, वहां अपने निजी सोशल मीडिया एकाउंट से सीधे रोजाना लोगों से संवाद करते हैं। वहीं पर लोगों से सुझाव भी लेते हैं। कभी किसी विवाद में उनका नाम नहीं आता है। ब्यूरोक्रेसी में चर्चा थी कि सीएमओ में अतिरिक्त मुख्य सचिव गुजरात या दिल्ली से किसी अफसर को बुलाकर लगाया जाएगा। सीएम भजनलाल ने पार्टी और सरकार के वरिष्ठ लोगों से राजस्थान काडर के अफसरों के बारे में विचार विमर्श किया। इसमें मुख्य सचिव पंत भी शामिल थे। अंतत: अग्रवाल को चुना गया।
पूर्व मंत्रियों के विशिष्ट सचिव जयपुर से बाहर
आम तौर पर राजस्थान में कई आरएएस अफसर ऐसे हैं, जो हर सरकार में किसी न किसी मंत्री के निजी सचिव के पदों पर लग ही जाते हैं। इस बार सीएम भजनलाल ने तमाम पूर्व कांग्रेसी मंत्रियों के विशिष्ट सचिव लगे आरएएस अफसरों को किसी भी नए मंत्री के स्टाफ में नहीं लगने दिया है। सभी पूर्व मंत्रियों के निजी सचिवों को या तो जयपुर के बाहर भेज दिया है या फिर जिन पदों को महत्वपूर्ण नहीं माना जाता उन पर लगा दिया है। इन अफसरों में आकाश तोमर, पुरुषोत्तम शर्मा, लक्ष्मीकांत बालोत, राजेश सिंह, महेन्द्र कुमार शर्मा, अरविंद सारस्वत, कैलाश यादव, आशीष शर्मा, राकेश गुप्ता, विभु कौशिक आदि शामिल हैं।
नए मंत्रियों के पास अब लगाए हैं विशिष्ट सचिव
सीएम भजनलाल ने करीब डेढ़ महीने तक मंत्रियों के निजी सचिवों की तबादला-पदस्थापन सूचियों को रोके रखा। इसके लिए कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सीएम भजनलाल की आलोचना भी की। सीएम ने सभी मंत्रियों के स्टाफ में उन आरएएस अफसरों को लगाया है, जो पहले कभी किसी मंत्री के विशिष्ट सचिव नहीं रहे हैं।
सीएम ने 500 अफसरों के साथ की मीटिंग
प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में शुक्रवार को हुई विशाल मीटिंग चर्चा का विषय बन गई है। शुक्रवार को प्रदेश के आईएएस-आईपीएस, राजधानी के बड़े अफसरों सहित कलेक्टर-एसपी आदि की वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए एक मीटिंग हुई। इस मीटिंग में लगभग 500 अफसर जुड़े थे। यह मीटिंग करीब ढाई घंटे चली और इस मीटिंग के बाद में सभी अफसरों के बीच चर्चा है कि राज्य के प्रशासन और सरकार के सिस्टम को इतना जल्दी किसी और सीएम ने नहीं समझा।
मीटिंग में अचानक जुड़े सीएम भजनलाल
यह बीते कई वर्षों में सबसे ज्यादा अफसरों की एक साथ होने वाली पहली मीटिंग थी। इस मीटिंग की अध्यक्षता पहले मुख्य सचिव सुधांश पंत को करनी थी। लेकिन ऐन मौके पर सीएम भजनलाल का संदेश आया और वे मीटिंग में जुड़ गए। मीटिंग में सीएम भजनलाल ने अफसरों को स्पष्ट रूप से कहा कि उनकी सरकार में आम आदमी की सेवा ही मुख्य काम है। आम आदमी की सुनवाई होनी ही चाहिए।
जिला स्तर पर जनसुनवाई के आदेश
उन्होंने कहा कि सीएम आवास पर नियमित सुनवाई की जा रही है। इसी तरह प्रत्येक कलेक्टर-एसपी को भी अपने कार्यालय में हर सोमवार को जन सुनवाई करनी ही पड़ेगी। ऐसे में किसी आम आदमी से यह शिकायत नहीं आनी चाहिए कि किसी अफसर ने उसकी सुनवाई नहीं की है।
हर महीने किसी एक संभाग पर सीएम की मीटिंग
हर महीने सीएम भजनलाल खुद प्रदेश के 10 में से किसी एक संभाग पर एक मीटिंग जरूर लेंगे। इसके तहत 3 फरवरी को जोधपुर में सीएम ने सभी पुलिस व प्रशासनिक अफसरों की मीटिंग की। इसमें संभाग स्तर के चिकित्सा, जल, शिक्षा, बिजली, परिवहन आदि विभागों के अफसर भी मौजूद रहे। अब जल्द ही उदयपुर और अजमेर संभाग की मीटिंग होनी हैं। इस मीटिंग में उस संभाग के मंत्री, विधायक, सांसद व अन्य जन प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे। 3 फरवरी को जोधपुर में हुई मीटिंग में केन्द्रीय मंत्री व जोधपुर से सांसद गजेन्द्र सिंह शेखावत भी मौजूद थे।

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