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स्मार्ट इंजीनियरिंग की पोल खुली तो रुक गया कमीशन की दीवार का काम, अब 2 साल से व्यापारी हो रहे परेशान

राजधानी में जयपुर स्मार्ट सिटी कंपनी ने जब से काम शुरू किया है, तभी से शहर के बुरे दिन शुरू हो गए हैं। स्मार्ट सिटी कंपनी की करतूतों से शहर के लोग परेशान हो चुके हैं। पिछले विगत साढ़े तीन सालों से कंपनी के हर कार्य में विवाद की स्थितियां उत्पन्न हुई। आधे से ज्यादा काम तो पूरे हुए बिना ही बंद हो चुके हैं। जो काम हुए हैं, उनका फायदा शहर की जनता को मिलता नहीं दिखाई दे रहा है।

कंपनी में सभी कामों में जनता की भलाई के बजाए कमीशन के खेल को ज्यादा महत्व दिया जा रहा है। ऐसा ही एक मामला है परकोटे के हवामहल बाजार, चांदी की टकसाल में दुकानों के ऊपर एकरूपता दिखाने के लिए दीवार बनाने का।

हवामहल बाजार और चांदी की टकसाल में सड़क के दोनों ओर बनी दुकान व मकान ढ़लान में बने हुए हैं। बड़ी चौपड़ से चांदी की टकसाल की तरफ चलने पर शुरूआती मंदिर, मकान, दुकान ऊंचाई पर बने हैं। जैसे-जैसे चांदी की टकसाल की तरफ चलते हैं, तो ढ़लान की वजह से मकान-दुकान बड़ी चौपड़ के मुकाबले नीचे दिखाई देते हैं।

वर्ष 2018 में स्मार्ट सिटी के स्मार्ट कंपनी के स्मार्ट अधिकारियों ने बाजार की दुकानों के ऊपर एकरूपता लाने के लिए दीवारें बनाने का काम शुरू कराया था। ढ़लान के हिसाब से हवामहल बाजार में दुकानों के ऊपर दो-तीन फीट तो चांदी की टकसाल में पांच से छह फीट की दीवारें चिनवा दी।

तकनीकी रूप से गलत हो रहे इस कार्य का विरोध शुरू हुआ तो कंपनी ने तुरत-फुरत काम बंद करा दिया, लेकिन तब तक पूरे जयपुर को पता चल चुका था कि यह कार्य सिर्फ शहर की भलाई के लिए आए बजट को ठिकाने लगाने के लिए कराया जा रहा है। स्मार्ट अधिकारियों के पास शहर को स्मार्ट बनाने का कोई विजन नहीं है।

पूरा बजट नहीं था, फिर काम शुरू कैसे कर दिया

चांदी की टकसाल व्यापार मंडल के अध्यक्ष प्रकाश सिंह का कहना है कि स्मार्ट सिटी ने पूरे बाजार को बदसूरत बनाकर रख दिया है। अधिकारी कह रहे हैं कि इस काम का बजट खत्म हो गया। जब कंपनी के पास पूरा बजट ही नहीं था, तो फिर काम शुरू ही क्यों कराया। चिनाई में घटिया मसाला लगाया गया जो बारिश में बह रहा है और ईंटे नीचे गिर रही है। समस्या तब होती है, जब बंदर यहां उछलकूद मचाते हैं और बड़ी संख्या में ईंटें गिर जाती है।

काम बंद हुआ तो दुकानों के ऊपर मलबा छोड़ दिया गया, बारिश में बरामदों से पानी चूने लगा। व्यापार मंडल ने अपने खर्च से इस मलबे को हटवाया। यदि यह कमजोर दीवारें गिरती है और बाजार में कोई हादसा होता है तो इसके जिम्मेदार कंपनी के अधिकारी होंगे।

शहर की बदसूरत छवि साथ ले जा रहे पर्यटक

हवामहल बाजार व्यापार मंडल के महासचिव सतीश पांचाल का कहना है कि काम शुरू होते ही व्यापारियों ने विरोध दर्ज करा दिया था कि यह काम सही नहीं है, लेकिन अधिकारियों ने व्यापारियों की नहीं सुनी और पूरे बाजार में भंड-बिखेरा मचाकर फरार हो गए। दोनों व्यापार मंडलों की मांग है कि कंपनी इन दीवारों को हटाए, क्योंकि यह दोनों बाजार पर्यटकों के पसंदीदा बाजार हैं। हवामहल देखने और हैण्डीक्राफ्ट की खरीदारी करने देश-विदेशों के लाखों पर्यटक इन बाजारों में आते हैं।

आमेर-नाहरगढ़ आन-जाने वाले पर्यटक भी इसी रास्ते से आते जाते हैं, ऐसे में बाजार की बदसूरती के कारण शहर के पर्यटन पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। पर्यटक शहर की गलत छवि साथ लेकर जा रहे हैं।

क्या रजवाड़ों के अनपढ़ लेकिन कुशल शिल्पियों के आगे स्मार्ट सिटी फेल

जयपुर के परकोटा शहर को बसे लगभग पौने तीन सौ साल होने को आए। जब हवामहल बाजार बना था, उस समय पूरे भारत में कोई इंजीनियरिंग कॉलेज नहीं था। रजवाड़ों के अनपढ़ लेकिन कुशल शिल्पियों ने शहर को बसाया और जमीन के ढलान को देखते हुए ईमारतों का निर्माण कराया था। तो क्या अनपढ़ शिल्पियों के आगे स्मार्ट सिटी के स्मार्ट इंजीनियर फेल हो गए? उन्होंने जमीन के ढलान को दरकिनार करके बाजार में एकरूपता क्यों लाने की कोशिश की?

जबकि सर्वविदित है कि ढलान वाली भूमि होने पर मकानों में एकरूपता नहीं लाई जा सकती। ऐसा नहीं है कि स्मार्ट इंजीनियरों को इसका ज्ञान नहीं हो, लेकिन उनके मन में खुद के महल खड़े करने की मृगतृष्णा और आंखों पर कमीशन का चश्मा चढ़ा था, इसलिए उन्होंने तकनीकी रूप से गलत कार्य कराया।

मैं इसे दिखवाता हूं

नगर निगम हैरिटेज और स्मार्ट सिटी की सीईओ लोकबंधु का कहना है कि उन्हें इस प्रकरण की जानकारी नहीं है। मैं इस मामले को दिखवाता हूं। यदि दीवारें पर्यटन के लिए प्रमुख बाजारों को बदसूरत कर रही है, तो इन दीवरों को हटवा दिया जाएगा। तकनीकी रूप से गलत काम कराने की भी जांच करा ली जाएगी।

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