जयपुर। राजधानी में हुई बढ़िया बारिश के कारण शहर के पर्यटन स्थलों की बल्ले-बल्ले हो गई है। कारण यह है कि इस वर्ष की बारिश में पर्यटन स्थलों के पास बने लगभग सभी प्राचीन बांधों, तालाबों और बावड़ियों में अच्छा पानी आ गया है।
शहर में बारिश के शुरू होते ही नाहरगढ़ की बावड़ियों में पानी की आवक शुरू हो गई थी, लेकिन इन बावड़ियों में सबसे ज्यादा पानी 14 अगस्त की बारिश में ही आया। नाहरगढ़ में एक छोटी बावड़ी महल के ठीक सामने बनी हुई है। वहीं दूसरी बड़ी बावड़ी जिसे माधवेंद्र बावड़ी कहा जाता है, महल की उत्तर दिशा में बनी है। वर्तमान में नाहरगढ़ पर बनी यह दोनों बावडिय़ां तीन चौथाई तक लबालब हो चुकी है।
नाहरगढ़ की बावडिय़ों में पानी आना बड़ी बात है, क्योंकि यह बावडिय़ां सिर्फ नाहरगढ़ महल के आस-पास हुई बारिश के पानी पर ही निर्भर है। इनमें पानी आने को कोई अन्य स्त्रोत नहीं है। बावडिय़ों में भरा पानी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन रहा है।
वन एवं पर्यावरण प्रेमी कमल तिवाड़ी का कहना है कि विगत 25-30 वर्षों में इन बावड़ियों में इतना पानी देखा गया है। पहले इनमें नाम-मात्र का ही पानी हुआ करता था। आमेर के निवासी और पर्यटक गाइड बी एम खत्री का कहना है कि गत वर्ष भी शहर में अच्छी बारिश हुई थी, लेकिन पर्यटन स्थलों के पास बने इन जलाशयों में पानी नहीं आ पाया था। गत वर्ष नाहरगढ़ की बावड़ियों के साथ आमेर के मावठा और छोटे व बड़े सागर में पानी की आवक बेहद कम रही थी। मावठा तो सूखने के कगार पर आ गया था।
इसके बाद सरकार ने बीसलपुर के पानी से मावठे को भरने की कवायद शुरू की और कई महीनों तक पानी की सप्लाई के बाद मावठा थोड़ा भर पाया था, लेकिन इस वर्ष यह पूरी तरह से लबालब है। सागर में भी पानी की अच्छी आवक है। इन जलाशयों में पानी आने से पर्यटन स्थलों की छटा ही निखर गई है। पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों की आवक शुरू हो गई है। कोरोना का दबाव कम होते ही पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी, तब यह जलाशय पर्यटकों का मन मोह लेंगे।