जयपुर। राजस्थान की सियासत में आने वाले तीन सालों में तीन दशकों के ट्रेंड को बदलने की कोशिश हो रही है। हाल ही में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया ने कहा था कि ‘राजस्थान में एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस सरकार बनने की जो धारणा है, उसको हम बंद करेंगे और कड़ा परिश्रम कर प्रदेश में हर बार भाजपा की सरकार बनाएंगे।’इस बयान के बाद प्रदेश भाजपा में अंदरखाने चल रही कवायद को उजागर कर दिया है।
सूत्रों का कहना है कि सचिन पायलट गुट के जरिए कांग्रेस सरकार को अपदस्थ करने की योजना के फेल होने के बाद भाजपा ने प्रदेश में अपनी रणनीति पूरी तरह से बदल ली है। भाजपा को आभास हो गया है कि अशोक गहलोत के रहते इस तरह की योजनाएं कामयाब नहीं हो सकती है, इसलिए उन्होंने तोड़फोड़ की राजनीति से ध्यान हटाकर भाजपा को ही इतना मजबूत बनाने पर काम शुरू कर दिया है कि हर पांच साल में सरकार बदलने का ट्रेंड खत्म हो जाए।
भाजपा राष्ट्रीय नेतृत्व में मंथन चल रहा था कि ऐसा क्या होता है कि राजस्थान में हर पांच साल बाद सरकार बदल जाती है। जबकि पास के राज्यों मध्य प्रदेश, गुजरात व अन्य भाजपा शासित राज्यों में भाजपा की सरकारें तीन, चार, छह बार रिपीट हो रही है। ऐसे में किस तरह इस ट्रेंड को खत्म किया जाए। केंद्र से इशारा मिलने के बाद भाजपा और संघ में सभी लोग इस ट्रेंड को खत्म करने में जुट गए हैं। हर स्तर पर बैठकें चल रही है। भाजपा व अग्रिम संगठनों को सक्रिय किया जा रहा है।
सूत्र बता रहे हैं कि करीब एक महीने के मंथन के बाद पाया गया कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार और संगठन द्वारा कार्यकर्ताओं की उपेक्षा, सरकार में मंत्रियों के भ्रष्टाचार, चुनाव में हार हो या जीत दशकों तक एक ही सीट पर कुछ नेताओं द्वारा कब्जा जमाए बैठे रहने, विधायकों और मंत्रियों का जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरने को इसका प्रमुख कारण माना गया है। अब इन कारणों को दूर करने की तैयारी चल रही है और हर कार्य में कार्यकर्ताओं की राय को तरजीह दी जा रही है। कहा जा रहा है कि आने वाले दो वर्षों में राजस्थान भाजपा पूरी तरह से बदली-बदली नजर आएगी।
इसके लिए एक-एक विधानसभा सीट का हिसाब-किताब नए सिरे से बनाया जा रहा है। प्रदेश के साथ ही जयपुर में भी बड़ा फेरबदल किया जा सकता है। कोशिश यही की जाएगी कि जो नेता जिस क्षेत्र का है, उसे उसी क्षेत्र से कार्यकर्ताओं की राय पर दावेदार बनाया जाए। जयपुर में बाहरी नेताओं की पकड़ को कमजोर कर नया स्थानीय नेतृत्व विकसित किया जाए। साथ ही भाजपा से छिटक चुके पुराने नेताओं को भी भाजपा में घर वापसी और उन्हें एक्टिव किया जाएगा।