जयपुर

चांदपोल (Chandpol) बाजार में पीएचईडी (PHED) की लाइन लीक, स्मार्ट सिटी (smart city) के स्मार्ट डक्ट (smart duct) में पहुंचा पानी, छोटी चौपड़ मेट्रो स्टेशन (metro station) में पानी जाने की संभावना

जयपुर स्मार्ट सिटी (smart city) की स्मार्ट रोड़ (smart road) पर पीएचईडी (PHED) के हथौड़े चलने लगे हैं, जिससे एक वर्ष पूर्व बने स्मार्ट रोड़ के फुटपाथ को उखाड़ा गया है। जानकारी सामने आई है कि छोटी चौपड़ पर चतुर्भुज जी के खंदे में पानी की लाइन लीक होने से पानी रिसकर स्मार्ट सिटी के डक्ट में जा रहा है। इस मामले में पीएचईडी और स्मार्ट सिटी आमने-सामने है। स्मार्ट सिटी अपनी स्मार्ट रोड के टूटने का रोना रो रही है, तो पीएचईडी की तरफ से सफाई दी जा रही है कि स्मार्ट रोड बनाने से पहले पुरानी लाइनों का ध्यान क्यों नहीं रखा गया?

स्मार्ट सिटी के अधिकारियों का कहना है कि डक्ट में पानी जाने के कारण उनका काम रुक गया है। डक्ट में पानी आने के साथ ही स्मार्ट सिटी की ओर से जलदाय विभाग को इसकी जानकारी दे दी गई थी, लेकिन काफी जद्दोजहद के बावजूद पिछले पांच दिनों में जलदाय विभाग लीकेज की जगह हो नहीं ढूंढ पाया है। लीकेज ढूंढने के चलते स्मार्ट रोड के फुटपाथ को भी तोड़ा गया है।

कंपनी का कहना है कि स्मार्ट डक्ट में इन दिनों केबल ट्रे फिक्सिंग (tray fixing) का काम चल रहा है। केबल ट्रे लगान के लिए वैल्डिंग की जाती है, लेकिन डक्ट में पानी आने के कारण वैल्डिंग का काम रुक गया है। पानी के बीच वैल्डिंग का काम कराना कर्मचारियों दुर्घटनाग्रस्त होने का कारण बन सकता है।

जानकारी के अनुसार यहीं पर जयपुर मेट्रो (jaipur metro)का छोटी चौपड़ स्टेशन बना हुआ है। आशंका जताई जा रही है कि यदि लीकेज का पता नहीं चल पाया तो पानी का रिसाव मेट्रो स्टेशन के अंदर हो सकता है। यदि ऐसा होता है तो जयपुर मेट्रो को भी नुकसान उठाना पड़ सकता है। पानी का रिसाव स्टेशन के अंदर लाइटों और सिग्नल व्यवस्था में परेशानी खड़ी कर सकता है।

हालांकि जयपुर मेट्रो के अधिकारियों की ओर से कहा जा रहा है कि मेट्रो का निर्माण वर्ल्ड क्लास तकनीकों से हुआ है, ऐसे में स्टेशन में पानी के रिसाव की संभावना नहीं है। जबकि हकीकत यह है कि मेट्रो के वर्ल्ड क्लास निर्माण की पोल कई बार खुल चुकी है। मेट्रो के चांदपोल, छोटी चौपड़, बड़ी चौपड़ स्टेशनों पर मानसून के दौरान पानी आने की समस्या बनी रहती है। चांदपोल स्टेशन के अंदर तो झरने की तरह बारिश का पानी अंदर आता था।

उधर जलदाय विभाग के क्षेत्रीय अधिशाषी अभियंता रविंद्र गर्ग का कहना है कि मैं इस जगह नया आया हूं, इसलिए मुझे यह पता नहीं है कि पहले यहां क्या हुआ? हिसाब से तो स्मार्ट रोड़ बनने से पूर्व ही पुरानी लाइनों को बदला जाना चाहिए था। लाइन पहले नहीं बदली गई, ऐसे में पुरानी लाइनों में फिर से लीकेज की संभावना बनती है। इस जगह 12 इंच की बड़ी लाइन है और कई इलाकों में पानी सप्लाई होता है। अभी तक लीकेज का पता नहीं चल पाया है, लेकिन संभावना है कि एक-दो दिन में लीकेज का पता चल जाएगा और उसे दुरुस्त कर दिया जाएगा।

जनता की जरूरतों को ताक में रखकर मनमर्जी से बड़ी परियोजनाएं शुरू करने वाली सरकारों को इन परियोजनाओं में आखिर मुंह की खानी पड़ती है। राजस्थान की राजधानी जयपुर ऐसी कई परियोजनाओं का गवाह बन चुका है। वर्ल्ड हैरिटेज सिटी घोषित हो चुके जयपुर के परकोटा शहर में जनता की जरूरतों के विपरीत शुरू की गई जयपुर मेट्रो और स्मार्ट सिटी के दुष्प्रभाव दिखाई देने लगे हैं। यदि पुरानी पाइप लाइनों को बदलने पर पूरा ध्यान दिया जाता तो आज यह समस्या खड़ी नहीं होती। अब या तो एक साल पहले बनी स्मार्ट रोड के पूरे फुटपाथ को तोड़ कर यहां पाइप लाइन बदली जाए, अन्यथा भविष्य में इस तरह की समस्या बार-बार हो सकती है।

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