चन्द्रयान 3 का लैंडर अब चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग से महज 5 दिन दूर है। शुक्रवार को उसकी रफ्तार घटाने में कामयाबी मिली। अब 20 अगस्त को एक बार फिर डिबूस्टिंग की प्रक्रिया होगी। लैंडर अब उस चरण में है, जहां वह अपने इंटेलिजेंस से तय करेगा कि उसे कब क्या करना है।
चंद्रयान 3 का लैंडर विक्रम अब चांद के काफी नजदीक चक्कर लगा रहा है। शुक्रवार को शाम 4 बजे उसकी रफ्तार को कम करने की ‘डिबूस्टिंग’ प्रक्रिया कामयाब रही। एक दिन पहले ही लैंडर अपने प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हुआ था। अभी लैंडर विक्रम चांद की जिस कक्षा में है, वह उसकी सतह से सबसे नजदीक होने पर 113 किलोमीटर और सबसे दूर रहने पर 157 किलोमीटर की दूरी पर होगा। सबसे खास बात ये है कि अब लैंडर ऑटोमेटेड मोड में है। दूसरे शब्दों में कहें तो उसके दिमाग की बत्ती जल चुकी है। अब वह डेटा और अपने इंटेलिजेंस के आधार पर खुद फैसला करेगा कि उसे कैसे काम करना है, कहां उतरना है, कैसे उतरना है। इसमें उसे अब ग्राउंड स्टेशन से किसी भी तरह की मदद की दरकार नहीं होगी।
2 किलोमीटर प्रति सेकंड से शून्य करनी होगी स्पीड
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन के पूर्व चेयरमैन के। सिवन ने बताया कि डिबूस्टिंग की प्रकिया के बाद लैंडर ‘ऑटोमैटिक मोड’ में होगा। उन्होंने कहा, ‘जमीन से किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं है।’ पूर्व इसरो चीफ ने कहा कि लैंडर में लगे सेंसर और दूसरे सिस्टम की मदद से वह अपने इंटेलिजेंस के मुताबिक काम करेगा। सिवन ने कहा कि चांद की सतह पर उतरते वक्त लैंडर की रफ्तार को 2 किलोमीटर प्रति सेकंड से घटाकर बिल्कुल शून्य करने की जरूरत होगी। उन्होंने कहा, ‘वह एक बहुत ही नाजुक और महत्वपूर्ण प्रक्रिया होगी।’
20 तारीख को होगी डिबूस्टिंग
लैंडर विक्रम की एक और आखिरी डिबूस्टिंग यानी गति कम करने प्रक्रिया 20 अगस्त को देर रात 2 बजे के करीब होनी है। तब ये अपनी कक्षा बदलेगा और चंद्रमा की सतह के काफी करीब पहुंच जाएगा। 23 अगस्त को उसके चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की उम्मीद है। के। सिवन ने बताया कि चांद की सतह पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग के करीब 2 घंटे बाद जब वहां का धूल छंट जाएगा, तब विक्रम के भीतर से रोवर ‘प्रज्ञान’ बाहर निकलेगा।
चांद पर क्या करेगा प्रज्ञान
प्रज्ञान चांद की सतह पर घूमकर स्टडी करेगा और डेटा इकट्ठा करेगा। सिवन ने बताया कि चंद्रयान 2 मिशन की सभी गलतियों को इस बार दूर किया गया है और सिस्टम को अपग्रेड किया गया है। प्रोपल्शन, गाइडेंस और कंट्रोल सिस्टम को अपग्रेड किया गया है। कुछ नई चीजें जोड़ी गई हैं जो चंद्रयान 2 में नहीं थीं।
सबसे नाजुक प्रक्रिया की ओर बढ़ रहा
अभी लैंडर चांद की सतह के समानांतर चल रहा है यानी हॉरिजेंटल। लैंडिंग के लिए उसे सीधे चांद की सतह की तरफ बढ़ना होगा, लंबवत दिशा में। 23 अगस्त को उसकी हॉरिजेंटल डायरेक्शन को वर्टिकल डायरेक्शन में बदला जाएगा। चंद्रयान 2 से भेजे लैंडर की लैंडिंग के वक्त इसी प्रक्रिया के दौरान समस्या हुई थी। यानी यह प्रक्रिया बहुत ही नाजुक और महत्वपूर्ण है।
चंद्रयान 2 के साथ क्या हुआ था
हाल ही में इसरो चीफ एस.सोमनाथ ने इस प्रक्रिया की अहमियत के बारे में बताया था। उन्होंने कहा था कि लैंडिंग का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा लैंडर को 30 किलोमीटर की ऊंचाई से अंतिम लैंडिंग तक लाने की प्रक्रिया है। इसरो चीफ के मुताबिक, यान को क्षैतिज से ऊर्ध्वाधर दिशा में स्थानांतरित करने की क्षमता वह ‘प्रक्रिया है जहां हमें अपनी काबिलियत दिखानी होगी।’
लगभग 90 डिग्री झुका हुआ लैंडर
इसरो अध्यक्ष सोमनाथ ने कहा था, ‘लैंडिंग प्रक्रिया की शुरुआत में गति तकरीबन 1।68 किलोमीटर प्रति सेकंड है, लेकिन यह गति चंद्रमा की सतह के क्षैतिज (हॉरिजेंटल या समानांतर ) है। यहां चंद्रयान-3 लगभग 90 डिग्री झुका हुआ है, इसे लंबवत करना होगा। क्षैतिज से ऊर्ध्वाधर दिशा में बदलने की यह पूरी प्रक्रिया गणितीय रूप से एक बहुत ही दिलचस्प गणना है। हमने कई बार इस प्रक्रिया को दोहराया है। यहीं पर हमें पिछली बार (चंद्रयान-2) समस्या हुई थी।’
previous post