जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान ने राजस्थान के राजनीतिक हलकों और कांग्रेस में भूचाल ला दिया है। इस बयान को भाजपा की ओर से फिर से सरकार को अस्थिर करने की कोशिशों से जोड़ा जा रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि गहलोत ने राज्यसभा चुनावों के बाद हुए सियासी संग्राम के बाद बर्खास्त मंत्रियों को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि अब वह कितनी भी कोशिश कर लें, उन्हें मंत्रीमंडल में फिर से जगह नहीं मिल सकती है।
जानकारी के अनुसार संगठन में नियुक्तियों, राजनैतिक नियुक्तियों के साथ-साथ कांग्रेस में मंत्रीमंडल विस्तार पर भी चर्चा चल रही है। कहा जा रहा है कि इन चर्चाओं के बाद बर्खास्त मंत्रियों ने भी फिर से मंत्रिमंडल में शामिल होने की कोशिशें तेज कर दी थी और पीआर एजेंसियों के माध्यम से इनके द्वारा फिर से अपनी छवि दुरुस्त करने की कोशिशें की जा रही थी, जिससे मंत्रिमंडल में फिर से स्थान मिल सके।
गहलोत ने अपने बयान में कहा है कि अजय माकन, रणदीप सुरजेवाला, अविनाश पांड़े, केसी वेणुगोपाल जयपुर आकर बैठ गए और इन्होंने हमारे नेताओं को बर्खास्त करने के जो फैसले किए, उन्हीं से हमारी सरकार बच पाई है। गहलोत के इस बयान से साफ हो रहा है कि उनका सीधा-सीधा इशारा इन्हीं बर्खास्त मंत्रियों की ओर है कि उनकी कारगुजारी दिल्ली तक सबको पता है, ऐसे में वह यह गुमान नहीं पालें कि उन्हें फिर से मंत्रीमंडल में स्थान मिल जाएगा।
गहलोत ने एक तीर से दो निशाने साधते हुए कहा कि भाजपा महाराष्ट्र और राजस्थान में फिर से सरकार गिराने के षडय़ंत्र में लगी है, लेकिन सभी विधायक अब उनके साथ है और कोई भी विधायक बर्खास्त मंत्रियों की हालत देखकर दोबारा बगावत करना तो दूर, बगावत करने के बारे में सोचेगा भी नहीं। क्योंकि पिछली बगावत में कार्यकर्ताओं अपने विधायकों को साफ कर दिया है कि यदि उन्होंने फिर से सरकार गिराने की कोशिश की तो कार्यकर्ता विधायकों का हाल बेहाल कर देंगे।