जयपुर

तख्तापलट की धमकियों के बीच गहलोत ने हाथी सवारी से साधा विपक्ष

जयपुर। प्रदेश में विपक्षी दल भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया द्वारा पत्र लिखते ही सरकार की ओर से आमेर महल में हाथी सवारी की मंजूरी दिए जाने की बात राजनैतिक हलकों में हजम नहीं हो रही है। इस मामले पर कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाथी सवारी करवा कर विपक्ष को साध लिया है और तख्तापलट की धमकियों के बीच अपनी सरकार को सुरक्षित कर लिया है।

राजनीति के जानकारों का मानना है कि विपक्षी दल के नेता की ओर से कोई मांग की जाए और सरकार तुरंत प्रभाव से उस मांग को मान ले, यह ऐसे ही नहीं हो सकता है, इसके पीछे बड़ा कारण हो सकता है। हाल ही के दिनों में भाजपा के प्रदेश नेताओं की ओर से कई बार दोहराया गया है कि कभी भी गहलोत सरकार को गिराया जा सकता है। ऐसे में कहा जा रहा है कि गहलोत भाजपा के बड़े नेताओं को भी साध कर अपनी सरकार को सुरक्षित करने में लगे हैं। गहलोत की ओर से हाथी सवारी की मंजूरी देकर पूनिया को खुश करने का काम किया गया है। जल्द ही भाजपा के अन्य बड़े नेताओं को भी सरकार की ओर से उपकृत किया जा सकता है।

उधर भाजपा सूत्रों का कहना है कि आमेर में हाथियों से जुड़े एक कारोबारी को भाजपा के पूर्व अध्यक्ष का करीबी बताया जा रहा है। इसी कारोबारी के परिवार से एक महिला सदस्य ने भाजपा के टिकट पर चुनाव भी लड़ा था। सूत्र बताते हैं कि इसी कारोबारी की ओर से ही पूर्व अध्यक्ष से कहा गया था कि वह आमेर में हाथी सवारी फिर से शुरू कराने की कोशिश करें, क्योंकि कोरोना काल में हाथी मालिकों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो चुकी है। इस पर पूर्व अध्यक्ष ने पूनिया से मुख्यमंत्री के नाम पत्र लिखने का अनुरोध किया। पूनिया ने पत्र लिख दिया और मंजूरी दिलाने का काम पूर्व अध्यक्ष ने करवा दिया। कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री गहलोत ने यह मंजूरी देकर पूनिया से अपने अच्छे संबंध बना लिए हैं, जिनका फायदा उन्हें भविष्य में मिलेगा।

एक तीर से दो निशाने


कहा जा रहा है कि सरकार को पता था कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है और सरकार की ओर से नाइट कर्फ्यू की घोषणा की जा चुकी है। प्रदेश में पर्यटकों की संख्या फिर से घटने लगेगी, ऐसे में हाथी सवारी शुरू करने का कोई मतलब नहीं रह जाएगा, फिर भी मुख्यमंत्री ने हाथी सवारी की मंजूरी दी तो इसके पीछे पूनिया से अच्छे संबंध बनाना ही प्रमुख कारण था। वहीं इस मंजूरी से हाथी मालिक भी खुश हो जाएंगे, क्योंकि अधिकांश हाथी मालिक अल्पसंख्यक वर्ग से आते हैं और ओवेसी के राजस्थान में आने की चर्चाओं के बीच कांग्रेस के लिए अल्पसंख्यकों को खुश रखना भी मजबूरी थी। ऐसे में गहलोत ने एक तीर से दो शिकार कर लिए।

हाथी सवारी की निकली हवा


सरकार की ओर से मंजूरी दिए जाने के बाद मंगलवार को पुरातत्व विभाग ने आमेर में हाथी सवारी शुरू करवा दी, लेकिन इस कदम की पहले दिन ही हवा निकल गई। पहले दिन आमेर महल पर 50 हाथी लगाए गए, लेकिन इनमें से सिर्फ दो हाथियों को ही पर्यटक मिल पाए। इन दो हाथियों पर चढ़कर मात्र चार पर्यटक ही महल में पहुंचे। एक हाथी पर मात्र छह फीट की दूरी में दो पर्यटक और एक महावत होने से सोश्यल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ गई। विश्व स्वास्थ्य संगठन, केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के अनुसार हाथी पर तीन लोगों के बीच दो गज की दूरी भी नहीं रही।

हाथी मालिकों ने जताया पूनिया का आभार


आमेर में हाथी सवारी शुरू होने के बाद हाथी मालिक विकास समिति ने भाजपा प्रदेशाध्यक्ष पूनिया का आभार जताया है। समिति के अध्यक्ष अब्दुल अजीज का कहना है कि उन्होंने लॉकडाउन खुलने और पर्यटकों के आने पर मुख्यमंत्री गहलोत को पत्र लिखकर हाथी सवारी शुरू करने की मांग की थी, लेकिन उस समय उनकी मांग पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया। बाद में उन्होंने स्थानीय विधायक सतीश पूनिया के सामने यह मांग की। पूनिया के पत्र लिखने के कारण सरकार ने हाथी सवारी फिर से शुरू की है।

Related posts

सीएम भजनलाल ने गहलोत सरकार का एक और फैसला पलटा, महात्मा गांधी प्रेरक भर्ती निरस्त

Clearnews

“यंग एचीवर्स अवॉर्ड”(Young Achievers Award) जयपुर (Jaipur) में 2 फरवरी को , ट्रॉफी (trophy) का अनावरण

admin

वरिष्ठ पत्रकार (Senior Journalist) ईशमधु तलवार (Ishmadhu Talwar) के निधन से पत्रकारिता जगत (Journalism World) में शोक

admin