मुख्यमंत्री निवास में हुए मंत्री-प्रदेशाध्यक्ष विवाद पर कह रहे हैं – संगठन का काम नहीं करने वालों को संगठन में पद दोगे, तो ऐसे ही होगी पार्टी की किरकिरी
अभी तक कांग्रेस जयपुर शहर अध्यक्ष (city President) का पद ऐसे लोगों को दिए जाने की सुगबुगाहट थी, जिनको विधायकों का समर्थन हो, लेकिन अब संगठन से लंबे समय से जुड़े वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने इस पद के लिए दम ठोकना शुरू कर दिया है। जानकारी सामने आई है कि यूथ कांग्रेस (youth congress) के कई वरिष्ठ और पूर्व पदाधिकारी अचानक से सक्रिय हो गए हैं।
क्लियर न्यूज ने बुधवार को ‘विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस को करनी होगी शहर अध्यक्ष की घोषणा (https://koz.wzk.mybluehostin.me/assemble-elections-ko-dhyan-mai-rakhte-hue-congress-ko-karni-hogi-city-president-ki-ghoshna/), भाजपा से दो-दो हाथ करने के लिए जरूरी है कि यूथ कांग्रेस के समय से पार्टी से जुड़े हुए वरिष्ठ पदाधिकारी को मिले शहर अध्यक्ष पद’ खबर प्रकाशित कर संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं की आवाज बनने का काम किया था।
इस खबर के प्रकाशित होने के बाद से ही यूथ कांग्रेस के पुराने कार्यकर्ताओं में सक्रियता बढ़ गई है और वह मांग उठाने लगे हैं कि संगठन की रीति-नीति और सिद्धांतों को जानने वालों को ही इस पद पर बिठाया जाए। उन्होंने इस संबंध में अपने-अपने राजनीतिक आकाओं से भी संपर्क साधना शुरू कर दिया है और उनसे कहा जा रहा है कि यदि कांग्रेस को फिर से सत्ता में लाना है तो यूथ कांग्रेस के पुराने कार्यकर्ताओं को शहर अध्यक्ष का पद दिया जाए।
इस मांग के साथ अब बुधवार को मुख्यमंत्री निवास में हुए मंत्री विवाद को भी जोड़ा जा रहा है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के पास संगठन में काम करने का पूर्व अनुभव नहीं है, इसी के चलते उन्होंने राष्ट्रपति के नाम दिए जाने वाले ज्ञापन मंत्रियों द्वारा जिला कलेक्टरों को दिए जाने की बात कही।
यदि उन्हें संगठन में काम करने का अनुभव होता तो वह ऐसी बात नहीं करते। यदि राष्ट्रपति को ज्ञापन दिया जाना है तो मंत्री, कलेक्टर के पास क्यों जाएंगे? यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है। यदि डोटासरा को मंत्रियों से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिलाना था तो उन्हें कहना चाहिए था कि मंत्री राज्यपाल को यह ज्ञापन दें और जिला प्रभारियों की ओर से कलेक्टरों को ज्ञापन सौंपा जाए। प्रभारी मंत्री या मंत्री जब जिलों में जाते हैं तो कलेक्टर तो उनके प्रोटोकॉल में खड़े होते हैं, तो फिर मंत्री कलेक्टर को ज्ञापन कैसे देंगे?
प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा को कुंभाराम आर्य से प्रेरणा लेनी चाहिए, जो आईएएस अधिकारियों को तो बड़े बाबू नाम से संबोधित करते थे। सूत्र कह रहे हैं कि इस विवाद में जयपुर प्रभारी और स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल गलत नहीं दिखाई दे रहे, क्योंकि उनके पास संगठन कार्यों का लंबा अनुभव है।
हकीकत यह है कि कांग्रेस के जितने भी बड़े नेता है, वह कांग्रेस के ट्रेनिंग स्कूल कहलाने वाले सेवादल, यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई (NSUI) से निकले हैं, जिसमें पार्टी की रीति-नीति और सिद्धांतों का पाठ पढ़ाया जाता है। पार्टी के बड़े-बड़े नेता इन ट्रेनिंग कार्यक्रमों में बार-बार शिरकत करते हैं, ताकि उन्हें पार्टी की रीति-नीतियों से पूरा जुड़ाव रहे। संगठन में भी उन्हीं लोगों को तरजीह दी जाती थी, जो यूथ कांग्रेस, सेवादल और एनएसयूआई से आते थे।
जानकार कह रहे हैं कि वर्ष 2007-08 में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने बयान दिया था कि 35 वर्ष से अधिक उम्र के यूथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं को दूसरी जगहों पर पार्टी के काम करने चाहिए। इसके बाद प्रदेश में 35 वर्ष से अधिक उम्र के यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने अपने इस्तीफे दे दिए थे, तब से लेकर आज तक कांग्रेस इन लोगों का कोई उपयोग नहीं ले पाई है। ऐसे में अब यह सभी एकजुट होकर संगठन में पद की मांग लेकर आगे आ गए हैं और इनमें से कई शहर अध्यक्ष पद की दावेदारी ठोक रहे हैं।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि एक बार फिर पार्टी में संगठन कार्यों में अनुभवहीन नेताओं को संगठन पद दिए जाने की परंपरा शुरू हो गई है, जिसके चलते शहर अध्यक्ष पद संगठन से लंबे समय से जुड़े लोगों को ही दिए जाने की मांग उठ रही है। यदि पार्टी ने इस मांग को दरकिनार किया तो यह संगठन के लिए घातक सिद्ध होगा और पार्टीनिष्ठ कार्यकताओं का पार्टी से मोहभंग होगा।