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राजस्थान में पेट्रोल-डीजल पर वैट की दर में 2 फीसदी की कमी करने का फैसला

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में पेट्रोल एवं डीजल पर लगने वाले वैट की दर 2 फीसदी घटाने का फैसला किया है। वित्त विभाग ने इस आशय के आदेश जारी कर दिए हैं जो 28 जनवरी रात 12 बजे से प्रभावी हो गये हैं।

सरकार की ओर से कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के कारण आर्थिक गतिविधियों के प्रभावित होने तथा राजस्व में आई कमी के बावजूद मुख्यमंत्री ने आमजन के हित में यह महत्वपूर्ण फैसला किया है। इससे आमजन के साथ-साथ ट्रांस्पोर्ट, इंफ्रास्ट्रक्चर, रीयल एस्टेट एवं अन्य व्यवसाय को भी काफी राहत मिलेगी। वैट की दरों में कमी से राज्य सरकार के राजस्व में सालाना एक हजार करोड़ रुपए की कमी आ सकती है।

केन्द्र सरकार ले रही पेट्रोल पर 32.98 और डीजल पर 31.83 रु. प्रति लीटर उत्पाद शुल्क (एक्साइज ड्यूटी)

गहलोत ने कहा है कि अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर क्रूड ऑयल के दाम लंबे समय तक न्यूनतम स्तर पर होने के बावजूद पेट्रोल-डीजल के दाम उच्चतम स्तर पर होने से महंगाई बढ़ रही है और आमजन को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा है कि भारत सरकार द्वारा वर्तमान में पेट्रोल पर 32. 98 रुपये प्रति लीटर तथा डीजल पर 31.83 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क (एक्साइज ड्यूटी) वसूल किया जा रहा है, जो अत्यधिक है।

गहलोत ने कहा कि भारत सरकार द्वारा बेसिक एक्साइज ड्यूटी राज्यों को दिये जाने वाले डिविजिएबल पूल का हिस्सा होती है। जिसे लगातार कम करते हुए पेट्रोल पर 9.48 रुपये से 2.98 रुपये तथा डीजल पर   11.33 रुपये से 4.83 रुपये किया जा चुका है। जिससे राजस्थान सहित सभी राज्यों को राजस्व की भारी हानि हो रही है।

केन्द्र भी दे राहत

गहलोत ने कहा कि भारत सरकार द्वारा एडिशनल एक्साइज ड्यूटी को लगातार बढ़ाते हुए पेट्रोल एवं डीजल पर 8 रुपये से 18 रुपये प्रति लीटर तथा स्पेशल एक्साइज ड्यूटी को बढ़ाकर पेट्रोल पर 7 रुपये से 12 रुपये एवं डीजल पर शून्य से बढ़ाकर 9 रुपये प्रति लीटर किया जा चुका है।

भारत सरकार की इस नीति के कारण राज्यों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। साथ ही आमजन को महंगे पेट्रोल-डीजल की मार झेलनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने जो पहल की है, केन्द्र सरकार भी उसका अनुसरण करते हुए पेट्रोल एवं डीजल पर केन्द्रीय करों में कमी कर लोगों को राहत देनी चाहिए।

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