शराब नीति घोटले के संदर्भ में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) नेअपनी जांच कर ली है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उनकी जांच के दायरे में हैं और फिलहाल जेल में ही हैं। सीबीआई ने साल 2021-22 की शराब नीति में भ्रष्टाचार की जांच पूरी कर अपनी ओर से आरोपपत्र दाखिल कर दिया है।
दिल्ली के उपराज्यपाल यानी एलजी वीके सक्सेना ने दिल्ली शराब नीति में अनियमितताओं की शिकायत करते हुए कथित घोटाले की जांच की सिफारिश की थी और इसके बाद अगस्त 2022 में दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 को रद्द कर दिया गया था।
अब सीबीआई ने पांचवें और अंतिम आरोप पत्र में राजेंद्र नगर से आम आदमी पार्टी के विधायक दुर्गेश पाठक, बिजनेसमैन पी शरत रेड्डी, विनोद चौहान और व्यवसायी अमित अरोड़ा और आशीष माथुर शामिल का नाम शामिल है। दुर्गेश पाठक साल 2022 में गोवा विधानसभा चुनावों के लिए प्रभारी थे। वहीं, शरत रेड्डी ई़डी की समानांतर जांच में सरकारी गवाह हैं और उन्हें क्षमादान दिया गया है। नए आरोप-पत्र में सीबीआई ने पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और के. कविता सहित 23 व्यक्तियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, आपराधिक षड्यंत्र और धोखाधड़ी के तहत आरोप लगाए हैं।
सीएम केजरीवाल के खिलाफ आरोप
सीबीआई ने कहा कि केजरीवाल आपराधिक षड्यंत्र (शराब नीति मामले में) के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक के रूप में सामने आए हैं।
केजरीवाल के करीबी विजय नायर आबकारी नीति में उनके अनुकूल प्रावधान शामिल करने के लिए विभिन्न शराब निर्माताओं और व्यापारियों से संपर्क कर रहे थे।
आंध्र प्रदेश के सांसद मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी ने मार्च 2021 में केजरीवाल से मुलाकात की। उन्होंने दिल्ली मुख्यमंत्री से दिल्ली में शराब के कारोबार में मदद देने का अनुरोध किया। केजरीवाल ने उनसे बीआरएस नेता के कविता से संपर्क करने को कहा क्योंकि वह उनकी टीम के साथ काम कर रही थीं
केजरीवाल ने रेड्डी से आप को फाइनेंशियल हेल्त देने को भी कहा था। सीबीआई का कहना है कि इस तथ्य की पुष्टि रिकॉर्ड में मौजूद उस समय के डॉक्यूमेंट मैटिरियल से होती है।
कविता ने रेड्डी से कहा कि AAP के लिए 100 करोड़ रुपये की व्यवस्था की जानी चाहिए, जो मार्च 2021 तक दिए जाने चाहिए।
इंडोस्पिरिट्स (जिसमें कविता और रेड्डी के बेटे की हिस्सेदारी थी) को दिया गया एल1 लाइसेंस सिसोदिया के स्पष्ट निर्देश पर नियमों का उल्लंघन करके दिया गया था।
आबकारी नीति पर निर्णय लेने के लिए मंत्रियों के समूह की फरवरी 2021 में हुई 8-10 बैठकों का कोई उचित विवरण तैयार नहीं किया गया था।
मई 2021 में कोविड-19 महामारी के पीक पर रहने के बावजूद नई आबकारी नीति को बहुत जल्दबाजी में संसाधित और अनुमोदित किया गया।