बीड़ पापड़ में बंजर जमीन में अंडरग्राउंड नाला बनाकर जमीन का किया समतलीकरण
शिकायत के बाद पहुंचे वन अधिकारी, रीको अधिकारियों को किया पाबंद
जयपुर। हाल ही में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal/NGT) ने राजधानी के नाहरगढ़ अभ्यारण्य (Nahargarh Sanctuary area) क्षेत्र में समस्त वाणिज्यिक गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक के आदेश (orders) जारी किए हैं, लेकिन अभ्यारण्य क्षेत्र और उसके आस-पास अतिक्रमण नहीं रुक पा रहा है। ताजा मामला अभ्यारण्य क्षेत्र में रीको द्वारा वीकेआई इंडस्ट्रियल एरिया के पास बीड़ पापड़ में बंजर जमीन पर अंडरग्राउंड नाला बनाकर जमीन का समतलीकरण करने का है। शिकायत मिलने के बाद वन विभाग ने यहां काम रुकवाया और रीको अधिकारियों को पाबंद किया है।
स्थानीय निवासी और वन प्रेमी कमल तिवाड़ी की शिकायत पर वन विभाग ने यह कार्रवाई की है। तिवाड़ी ने बताया कि बीड़ पापड़ में काफी दिनों से रीको के द्वारा बंजर जमीन का समतलीकरण किया जा रहा था और यहां एक अंडरग्राउंड पक्का नाला भी खोदा गया है, जिसका बहाव अभ्यारण्य क्षेत्र में किया गया है। इसकी शिकायत उन्होंने वन विभाग को की थी। शिकायत पर शुक्रवार को सहायक वन संरक्षक वन्यजीव, नाहरगढ़ गजनफर अली जैदी और रेंजर ने मौके पर पहुंचकर रीको का काम रुकवा दिया और बिना वन विभाग की अनुमति के जमीन के समतलीकरण और नाला निर्माण पर जवाब मांगा है। जैदी ने यहां नाले की खुदाई कर रही एक एलएंडटी मशीन को भी पकड़ा है, जबकि एक जेसीबी मशीन का चालक मौका देखकर मशीन को भगा ले गया।
जैदी ने रीको अधिकारियों से इस जमीन के स्वामित्व के दस्तावेज मांगे हैं और उन्हें पाबंद किया है कि बिना वन विभाग की अनुमति के यहां कोई भी कार्य नहीं किया जाए। दस्तावेज मिलने के बाद साबित हो जाएगा कि यह जमीन अभ्यारण्य की है या रीको की। यदि यह जमीन रीको की भी निकलती है तो वह यहां वाणिज्यिक कार्य नहीं कर सकता है, क्योकि वीकेआई में अभ्यारण्य की सीमा के बाद ईको सेंसेटिव जोन शुरू हो जाता है। ईको सेंसेटिव जोन में भी किसी प्रकार की वाणिज्यिक गतिविधियां नहीं की जा सकती है।
तिवाड़ी ने बताया कि रीको की ओर से बनाए जा रहे नाले का बहाव अभ्यारण्य क्षेत्र की ओर रखा गया है, जिससे इंडस्ट्रियल एरिया का जहरीला केमिकल युक्त पानी अभ्यारण्य में आएगा और यहां की जमीन व वनस्पतियों को नुकसान पहुंचाएगा। इस पानी को पीने से यहां के वन्यजीव भी बीमार हो जाएंगे।
आदेशों की पालना के लिए एनजीटी ने जयपुर जिला कलेक्टर को नोडल अधिकारी बनाया है। ऐसे में रीको की कार्रवाई को रोकने की जिम्मेदारी भी जिला कलेक्टर की बनती है। यह मामला अभ्यारण्य की सीमा पर है और अभ्यारण्य के सीमा विवादों के निपटारे की जिम्मेदरी भी एनजीटी ने कलेक्टर को सौंपी है। तिवाड़ी ने बताया कि इस मामले में जल्द ही जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर रीको के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जाएगी।