जयपुर

धारीवाल ने दिखायी अपनी राजनीतिक (political) तलवार (sword) की धार, मौका (Chance) मिलते ही किये 1 वार से कई शिकार

राजनीति (politics) हो या लड़ाई (war), जो मौका (chance) मिलने पर पहले दांव चला देता है, वहीं जीत में रहता है। ऐसा ही कुछ देखने में आ रहा है जयपुर नगर निगम ग्रेटर की लड़ाई में। इस मामले में स्वायत्त शासन मंत्री और जयपुर प्रभारी शांति धारीवाल ने कांग्रेस समेत भाजपा के नेताओं को बता दिया कि प्रभारी मंत्री क्या-क्या कर सकता है। मौका मिलते ही उन्होंने एक वार से चार शिकार कर डाले।

कुछ दिनों पूर्व जिला कलेक्टरों को केंद्र सरकार के खिलाफ राष्ट्रपति को ज्ञापन देने के मामले में मुख्यमंत्री के सामने कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और जयपुर प्रभारी मंत्री शांति धारीवाल के बीच जमकर तू-तू, मैं-मैं हुई थी। कांग्रेस के इस विवाद में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने भी बयान दिया था।

इस विवाद के दौरान ही ग्रेटर महापौर सौम्या गुर्जर-निगम आयुक्त के बीच मारपीट का प्रकरण सामने आ गया और संयोग से धारीवाल के हाथ यह मौका आ गया। इसके बाद आयुक्त ने एफआईआर दर्ज कराई, स्वायत्त शासन विभाग ने जांच कराई और फिर महापौर व तीन पार्षदों को निलंबित कर दिया गया और इसी दौरान अचानक धारीवाल ने शील धाभाई को कार्यकारी महापौर नियुक्त करा दिया।

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि इस दांव के जरिए धारीवाल ने भाजपा और कांग्रेस में राजनीति के सभी नये खिलाड़ियों के सामने ‘ओल्ड इज गोल्ड’ कहावत को सिद्ध कर दिया और बता दिया कि केवल बयानबाजी से राजनीति नहीं होती, राजनीतिक खेल तो बिना बोले चुपचाप खेले जाते हैं। उन्होंने सीधे-सीधे प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा और जयपुर के कांग्रेस के विधायकों को इशारे में बता दिया कि प्रभारी मंत्री क्या-क्या कर सकता है।

इस पूरे प्रकरण में सौम्या गुर्जर के निलंबन और शील धाभाई की नियुक्ति की खबर कांग्रेस में भी किसी को नहीं लग पाई। इसी बात को लेकर जयपुर शहर कांग्रेस के नेताओं में रोष भी है कि इतना बड़ा खेल हो गया और हमें पता भी नहीं चला जबकी पूर्व महापौर विष्णु लाटा वाले प्रकरण में पूरा खेल शहर कांग्रेस ने खेला था।

उधर, धारीवाल ने भाजपा के प्रदेश नेतृत्व को भी बता दिया कि दूसरों के घरों में लगी आग का तमाशा बनाने वालों के घर में भी आग लग सकती है। इस मामले में प्रदेश भाजपा कई धड़ों में बंटी दिखाई दे रही है। उसे कुछ सूझ ही नहीं रहा कि क्या किया जाए। राजस्थान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां धरने-प्रदर्शन करा रहे हैं, तो राजेंद्र सिंह राठौड़ राज्यपाल को ज्ञापन दे रहे हैं। दूसरी ओर, पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी और गुलाबचंद कटारिया शील धाभाई की नियुक्ति को सही साबित करने पर तुले हैं।

पायलट का भी किया खेल
कांग्रेस सूत्र बता रहे हैं कि सौम्या गुर्जर के निलंबन के बाद कांग्रेस विधायक सचिन पायलट ने एक अंग्रेजी अखबार को बयान देकर माहौल बनाने की कोशिश की थी कि सरकार एक समाज विशेष के खिलाफ कार्रवाई कर रही है, लेकिन धारीवाल ने शील धाभाई को महापौर नियुक्त कराके इस माहौल को भी बदल डाला। अब इस समाज में भी सरकार द्वारा शील धाभाई को महापौर बनाने की चर्चा है। समाज सरकार के इस कदम से खुश नजर आ रहा है।

Raajasthaan sarakaar (rajasthan govt) ne Sheel dhaabhaee (Sheel Dhabai) ko banaaya jayapur gretar nagar nigam ka kaaryavaahak mahaapaur (acting mayor)
जयपुर की कार्यकारी महापौर शील धाभाई

भाजपा बोर्ड पर संकट के बादल!
कांग्रेस सूत्र बता रहे हैं कि शील धाभाई द्वारा पदभार ग्रहण करने के साथ ही भाजपा के बोर्ड पर भी ग्रहण लगता दिखाई दे रहा है। विष्णु लाटा के समय जिस तरह का खेल हुआ, वहीं खेल ही इस बार भी दोहराता दिखाई दे रहा है। भाजपा के सूत्र बता रहे हैं कि संगठन की मंजूरी के बिना धाभाई ने पदभार ग्रहण किया है, जो चिंता का विषय बना हुआ है।

दूसरी ओर, भाजपा का एक गुट धाभाई के कदम को सही बताने में जुटा है। कार्यकारी महापौर बनने के बाद धाभाई ने जिस तरह से मीडिया को बयान दिए, उससे यही लगता है कि सरकार उनके समर्थन में है। धाभाई ने कहा कि वह सात दिनों में जयपुर ग्रेटर को ग्रेट बना देंगी। ऐसा बयान कोई कार्यवाहक महापौर तो नहीं दे सकता।

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