राजस्थान का वन विभाग राजधानी जयपुर की एकमात्र लेपर्ड सेंचुरी (leopard century) नाहरगढ़ अभ्यारण्य को नष्ट करने पर तुला है। नाहरगढ़ में अवैध वाणिज्यिक गतिविधियों का मामला एनजीटी में चल रहा है, इस मामले में फंसे होने के बावजूद वन विभाग के अधिकारियों (foresr officers) की मिलीभगत कम नहीं हुई है और वह मिलीभगत करके सेंचुरी की भूमि पर अतिक्रमण (Encroachment) कराते जा रहे हैं।
ताजा मामला माउंट रोड का है, जहां धड़ल्ले से अतिक्रमण किए जा रहे हैं और यहां एक बड़ी कॉलोनी विकसित की जा चुकी है। माउंट रोड पर ही करोड़ों रुपए कीमत की अभ्यारण्य की भूमि पर अतिक्रमण की कार्रवाई जारी है। वन विभाग (forest department) के पास इसकी लगातार शिकायतें पहुंच रही है, लेकिन अधिकारी मौन बैठे हैं, इससे साफ संकेत मिल रहा है कि कहीं न कहीं अभ्यारण्य के अधिकारियों की ही इस अतिक्रमण में मिलीभगत है।
वन प्रेमी राजेंद्र तिवाड़ी का कहना है कि जिस जमीन पर अतिक्रमण किया जा रहा है वहां पर वन विभाग का पूरा होल्ड है और यहां बिना मिलीभगत के अतिक्रमण संभव ही नहीं है। ईमेल के जरिए वन विभाग के सभी वरिष्ठ अधिकारियों को इस अतिक्रमण के बारे में सूचित किया जा चुका है, इसके बावजूद अधिकारी कार्रवाई करने को तैयार नहीं है।
यह ढेढ़ बीघा जमीन रिजर्व फॉरेस्ट का हिस्सा है। इस जमीन का कुछ हिस्सा अतिक्रमी पहले ही बेच चुका है और एसीएफ कोर्ट में यह मुकद्दमा चल रहा है। इसके बावजूद यहां अतिक्रमण और वन भूमि का बेचान चल रहा है। वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायत के बाद यहां सर्वे कराया जा चुका है। अतिक्रमी अभ्यारण्य की जमीन पर तार फेंसिंग कर गेट लगा चुका है, लेकिन वन विभाग इस अतिक्रमण को हटाने, जमीन को सीज करने और वन संपत्ति का बोर्ड लगाने की कार्रवाई से बच रहे हैं।
इस मामले को देखकर लग रहा है कि वन अधिकारी खुद के स्वार्थों के चलते अतिक्रमण कराते जा रहे हैं। विभाग के स्थानीय अधिकारियों की इसमें मिलीभगत है और इसके चलते अभ्यारण्य में लगातार अतिक्रमण की घटनाएं बढ़ती जा रही है। यदि इनकी रोकथाम नहीं की गई, तो इस अभ्यारण्य का अस्तित्व ही नहीं बचेगा।