गाजा पट्टी में इजरायल के जारी हमलों के बीच 57 मुस्लिम देशों ने इस्लामिक अरब शिखर सम्मेलन में एक मीटिंग की थी लेकिन इसमें सहमति नहीं बन सकी। इसमें सीजफायर और इजरायल की तेल सप्लाई रोकने जैसी मांगों के प्रस्ताव रखे गए थे। यह रस्मी बयानबाजी के साथ खत्म हो गई।
सऊदी अरब के जेद्दाह में 57 मुस्लिम देशों के इस्लामिक अरब शिखर सम्मेलन की मीटिंग में इजरायल के खिलाफ ठोस एक्शन पर सहमति नहीं बन सकी और यह रस्मी बयानबाजी के साथ खत्म हो गई। यह मीटिंग गाजा में जारी इजरायली हमलों के मद्देनजर बुलाई गई थी, जिसमें पाकिस्तान, तुर्किए समेत कुछ देशों ने सीजफायर की मांग की थी। अल्जीरिया, लेबनान जैसे कुछ देशों ने इजरायल के लिए तेल की सप्लाई रोकने का प्रस्ताव दिया था लेकिन इस पर भी सहमति नहीं बन सकी।
आत्मरक्षा के तर्क का खंडन
इस मीटिंग में कहा गया कि गाजा पर इजरायल के हमले गलत हैं और इजरायल का यह कहना कि वह आत्मरक्षा में हमले कर रहा है, यह कतई ठीक नहीं है। अरब लीग और ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉपरेशन की मीटिंग में कहा गया कि इजरायल के हमले यदि जारी रहे तो फिर दूसरे देशों पर भी सीधा असर होगा और अब तक 12 हजार लोगों की मौत हो जाने से मिडिल ईस्ट के देशों में गुस्सा देखा जा रहा है।
ईरान, अल्जीरिया और लेबनान आक्रामक
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने कहा कि इस्लामिक देशों को इजरायल की सेना को आतंकी संगठन घोषित करने की मांग की थी, लेकिन उस पर सहमति नहीं बन सकी। अल्जीरिया और लेबनान ने मांग रखी थी कि इजरायल लगातार हमले कर रहा है, ऐसे में तेल की सप्लाई बंद कर देनी चाहिए। अरब देशों को उससे आर्थिक और कूटनीतिक संबंध खत्म कर देने चाहिए।
यूएई और बहरीन के एतराज से प्रस्ताव खारिज
बहरीन और यूएई ने मीटिंग में रखे गए प्रस्तावों पर आपत्ति दर्ज कराई और अपना पक्ष भी रखा, जिससे प्रस्ताव खारिज हो गया। इजरायल के साथ बहरीन और यूएई ने 2020 में अपने संबंध सुधारे थे और अब्राहम अकॉर्ड पर समझौता हुआ था। सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद ने कहा कि मीटिंग में कोई भी ठोस प्रस्ताव नहीं रखा जा सका, यह लगता है कि संगठन शक्तिहीन हो गया है। मिडिल ईस्ट के देशों को इजरायल के साथ कोई संबंध नहीं रखना चाहिए।
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