जयपुर। यूनेस्को की ओर से वर्ल्ड हैरिटेज सिटी घोषित हो चुके जयपुर के पुराने शहर के परकोटे और एक बुर्ज को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अधिकारियों ने ध्वस्त करवा दिया है। स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत नवीन निर्माण कराने के लिए परकोटे को क्षतिग्रस्त किया गया है, जबकि राजस्थान उच्च न्यायालय ने परकोटे के दोनों ओर पांच-पांच मीटर तक निर्माण पर रोक लगा रखी है और इस एरिया में बने मकानों, दुकानों व अन्य निर्माणों को हटाने के आदेश दे रखे हैं।
स्मार्ट सिटी कंपनी की ओर से जालूपुरा स्थित दरबार स्कूल में नवीन निर्माण कराया जाना प्रस्तावित है। इस कार्य के लिए पिछले कुछ दिनों से स्कूल के कमरों की तुड़ाई का काम गुपचुप तरीके से चल रहा था, जबकि यह कमरे परकोटे के निर्माण से ही जुड़े हैं और सूत्र कह रहे हैं कि यह कमरे परकोटे के निर्माण के समय ही बने थे, जिसमें बाद में दरबार स्कूल खोल दिया गया था।
वर्ल्ड हैरिटेज सिटी घोषित होने के बाद यूनेस्को की गाइडलाइन के अनुसार प्राचीन बसावट को नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता है। राजस्थान उच्च न्यायालय ने भी परकोटे को संरक्षित करने के आदेश दे रखे हैं। परकोटे को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता है और न ही इसके पांच मीटर के दायरे में नवीन निर्माण किया जा सकता है, इसके बावजूद कंपनी के अधिकारियों ने नवीन निर्माण के लिए परकोटे को क्षतिग्रस्त किया है, जो पूरी तरह से आपराधिक कृत्य है। अब सवाल यह उठता है कि स्मार्ट सिटी के स्मार्ट अधिकारियों ने उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना कर परकोटे से सटकर नवीन निर्माण की परियोजना कैसे तैयार कर ली?
परकोटे को ध्वस्त करने की सूचना मिलने के बाद धरोहर बचाओ समिति के संरक्षक भारत शर्मा ने स्मार्ट सिटी कंपनी और नगर निगम हैरिटेज के सीईओ लोकबंधु और पुरातत्व विभाग के निदेशक पीसी शर्मा के खिलाफ जालूपुरा थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। भारत शर्मा का कहना है कि सरकार यहां स्मार्ट सिटी कार्य को बंद कराकर क्षतिग्रस्त परकोटे का जीर्णोद्धार करवाए और दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करे, नहीं तो समिति इसके खिलाफ आंदोलन करेगी और इस कार्य को बंद कराएगी।
बदहाल परकोटे के कारण वर्षों तक नहीं मिल पाया था वर्ल्ड हैरिटेज सिटी का दर्जा
जयपुर को वर्ल्ड हैरिटेज सिटी दर्जा दिलाने के मामले में सहायक रही हैरिटेज कंसल्टेंट शिखा जैन ने इस मामले में कहा कि परकोटे के बदहाल हालात को यूनेस्को ने खुद उठाया था। जयपुर को वर्ल्ड हैरिटेज सिटी का दर्जा दिलाने के लिए वर्षों से प्रयास किए जा रहे थे लेकिन परकोटे के कारण हर बार नेगेटिव रिपोर्ट मिलती थी और यह दर्जा नहीं मिल पा रहा था। बाद में सरकार की ओर से परकोटे के संरक्षण की कार्ययोजना रिपोर्ट पेश कर आश्वासन दिए गए, तब जाकर जयपुर को यह दर्जा मिला था।
जिन्हें संरक्षण कराना था, उन्होंने ही करवा दिया ध्वस्त
उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद नगर निगम को परकोटे के संरक्षण की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। नगर निगम को इसके लिए 20 करोड़ रुपए का फंड भी करीब पांच वर्ष पहले उपलब्ध कराया गया था। वर्ष 2009 में पहली बार परकोटे के संरक्षण के लिए डीपीआर बनाई गई थी। इसमें कमियां रहने पर वर्ष 2011 में फिर से डीपीआर बनाई गई। वर्तमान में परकोटे की जिम्मेदारी नगर निगम हैरिटेज की है और हैरिटेज की ओर से तीसरी बार परकोटे की डीपीआर बनाई जा रही है। हैरानी की बात यह है कि हैरिटेज नगर निगम के जिम्मे परकोटे की सुरक्षा-संरक्षा है और उसके सीईओ लोकबंधु के पास ही स्मार्ट सिटी का भी चार्ज है, इसके बावजूद परकोटे से सटाकर नवीन निर्माण का प्रोजेक्ट तैयार हो गया और प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए परकोटे में तोडफ़ोड़ भी कर दी गई।
टूटती विरासत पर अधिकारियों के बेशर्म बोल
प्राचीन और संरक्षित विरासत को ध्वस्त करने के बावजूद अधिकारियों की पेशानी पर कोई शिकन नहीं है। जब स्मार्ट सिटी के अधिकारियों से इस बाबत सवाल किए गए तो उन्होंने ऐसे बेशर्म बोल बोले मानो उन्हें जयपुर के विश्व विरासत सिटी के दर्जे से कोई मतलब नहीं है।
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के एसई दिनेश कुमार गोयल ने इस मामले में कहा कि दरबार स्कूल सारा देखा है, वहां परकोटा तो कोई नहीं है। परकोटा होता तो हम उसे छेड़ते ही नहीं। स्कूल प्रोजेक्ट के लिए पुराने कमरों की डिस्मेंटलिंग का काम अभी शुरू ही किया गया है। लोग तो ऐसे ही शिकायतें करते रहते हैं।
प्रोजेक्ट के अधिशाषी अभियंता एनएल साहनी का कहना था कि यहां पुराने कमरों की डिस्मेंटलिंग चल रही है, पुराने कमरे टूटेंगे तभी तो यहां नई बिल्डिंग बन पाएगी। परकोटा एकदम सेपरेट है। कोई आरोप लगा रहा है तो उन्हें लगाने दो। जब परकोटा डिस्टर्ब ही नहीं हुआ है तो फिर हाईकोर्ट के आदेश क्या करेंगे?
स्मार्ट सिटी और नगर निगम हैरिटेज के सीईओ लोकबंधु ने कहा कि मुझे इस मामले की जानकारी नहीं है। मैं मामले को दिखवाता हूं। जबकि पुरातत्व विभाग के निदेशक पीसी शर्मा से जानकारी लेने के लिए फोन किया गया लेकिन उन्होंने सवालों से बचने के लिए फोन ही रिसीव नहीं किया।