राजस्थान की राजधानी जयपुर को भिक्षावृत्ति (beggary) से मुक्त कराने के लिए सड़कों में भिक्षावृत्ति में लगे लोगों को चिन्हित किया जा रहा है। जल्द ही इन लोगों को पुलिस (police) की सहायता से पकड़ कर पुनर्वास गृहों (rehabilitation homes) में भर्ती कराया जाएगा। इनमें से जो भी काम-काज करना चाहेगा, उसे उसकी रुचि के अनुसार काम का प्रशिक्षण दिलाया जाएगा और फिर उनका पुनर्वास किया जाएगा।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के निदेशक ओ.पी. बुनकर की अध्यक्षता में बुधवार को अम्बेडकर भवन सभागार में जयपुर शहर को भिक्षावृृत्ति मुक्त बनाने के लिए चलाए जा रहे अभियान की समीक्षा बैठक आयोजित हुई।
बुनकर ने बताया कि मुख्यमंत्री की बजट घोषणा के अनुसार शहर को भिक्षावृत्ति मुक्त बनाने के लिए संकल्प के साथ कार्य किए जाएंगे। बैठक में अतिरिक्त निदेशक-सामाजिक सुरक्षा सुवालाल पहाड़िया ने अभियान के बारे में विस्तृृत जानकारी देते हुए बताया कि 18 वर्ष से कम आयु वाले, 18 से 55 वर्ष तक की आयु के महिला व पुरुष तथा 55 वर्ष से अधिक आयु के वृद्ध एवं अशक्त तथा दिव्यांग लोगों के हिसाब से श्रेणीवार भिक्षावृृत्ति में लिप्त व्यक्तियों का चिन्हिकरण किया गया है।
इसके लिए शहर में 25 जगहें चिन्हित की गई हैं जहां भिक्षावृृत्ति में लिप्त व्यक्ति मिलते हैं। स्वयं सेवी संस्थाओं के कार्यकर्ता ऐसे चिन्हित स्थानों पर भिक्षावृृत्ति में लिप्त व्यक्तियों का विवरण एक प्रारूप में दर्ज करेंगे, उसके बाद उनकी समझाइश की जाकर उन्हें निराश्रित बाल गृृह, महिला सदन, वृृद्धाश्रम तथा आवश्यकतानुसार विकलांग पुनर्वास गृृहों में प्रवेश दिया जाएगा। इसके लिए पुलिस विभाग द्वारा भी अपेक्षित सहयोग किया जा रहा है।
अभियान में 18 से 55 वर्ष तक की आयु के युवा वर्ग को लक्ष्य वर्ग के रूप में लिया जाएगा। जो भी युवा भिक्षावृत्ति में लिप्त हो तथा वह कोई कार्य करना चाहता हो अथवा वह किसी प्रकार का कौशल प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहेगा, तो उसे उसकी रुचि के अनुसार प्रशिक्षण दिलाया जाकर पुनर्वासित किया जाना इस अभियान का महत्वपूर्ण हिस्सा है।