जयपुर। किसी भी परीक्षा में टॉप करने के लिए सालभर मेहनत करने की जरूरत होती है। वन वीक सिरीज पढ़कर सिर्फ परीक्षा में पास हुआ जा सकता है। जयपुर नगर निगम ग्रेटर महापौर सौम्या गुर्जर की ओर से कई बार दावा किया जा चुका है कि इस वर्ष स्वच्छता सर्वेक्षण में जयपुर को टॉप पर लाना उनका लक्ष्य है, लेकिन निगम की कारगुजारियों से तो यह संभव होता नहीं दिखाई दे रहा है। निगम के अधिकारी एक महीना काम करके स्वच्छ सर्वेक्षण में टॉप करना चाहते है।
भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय ने स्वच्छ सर्वेक्षण-2021 का शुभारंभ कर दिया है। सर्वेक्षण में देश के 4 हजार शहरों में यह सर्वेक्षण किया जाएगा, जिसमें जयपुर भी हिस्सा ले रहा है। सर्वेक्षण की तैयारियों के लिए नगर निगम ग्रेटर के आयुक्त दिनेश यादव ने एक ही दिन में दस आदेश निकाल कर अपनी पूरी नाटक मंडली को सतर्क कर दिया है कि उन्हें सर्वेक्षण के दौरान शहर की जनता और सर्वेक्षण टीम के सामने क्या-क्या अभिनय दिखाना है।
इन दस आदेशों में यादव ने निगम अधिकारियों को स्टार रेटिंग, ओडीएफ सर्टिफिकेशन के लिए रिक्वेस्ट भिजवाने, गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग करने, शहर के प्रमुख मार्गों और व्यावसायिक स्थलों पर लगे कचरापात्र प्रतिदिन उठवाने, सीवर सफाई कर्मचारियों को सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराने, सफाईकर्मियों से दो समय सफाई कराने, शहर के कचरा डिपो खत्म करने, सड़कों पर लगे लिटरबिन प्रतिदिन उठवाने, डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण करने वाले कर्मचारियों को सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराने, आवारा पशुओं और निजी डेयरियों के खिलाफ अभियान चलाने, खुले में शौच व लघुशंका करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने, गंदगी वाले स्थानों पर वृक्षारोपण कराने, पेंटिंग कराने जैसे निर्देश दिए हैं, ताकि सर्वेक्षण में अच्छी रैंकिंग लाई जा सके।
स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए आयुक्त ने मंगलवार को एकसाथ यह आदेश निकाल तो दिए, लेकिन इन आदेशों ने फिर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जो काम पूरे सालभर निरंतर होने चाहिए, निगम अधिकारियों को उनकी याद सिर्फ सर्वेक्षण वाले महीने में ही आती है। चार सालों से निगम अधिकारियों ने यही ढर्रा बना रखा है। सर्वेक्षण खत्म होने के बाद अधिकारी इन सभी बातों को भूल जाते हैं। चार सालों में अधिकारी कचरे का प्रथक्कीकरण नहीं करा पाए हैं।
आवारा पशुओं से विदेशी सैलानी की मौत हो जाती है और शहर की पूरे विश्व में बदनामी होती है, लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत से शहर में अवैध डेयरियां धडल्ले से संचालित हैं। सर्वेक्षण के दौरान शहर से कचरा डिपो हटा दिए जाएंगे, लेकिन बाद में यह फिर से सड़कों पर नजर आने लगेंगे। सर्वेक्षण के दौरान ही निगम सुरक्षा उपकरण क्यों खरीद रहा है, क्या सालभर उन्हें सुरक्षा उपकरणों की जरूरत नहीं होती है? एक महीना काम करने के बाद अधिकारी शहर की जनता को इमोशनल ब्लैकमेल करने पहुंच जाएंगे, ताकि जनता सर्वेक्षण में अच्छा फीडबैक दे।
वनवीक सिरीज से टॉप करना चाह रहे अधिकारी
पूर्व पार्षद अनिल शर्मा का कहना है कि जब तक शहर की जनता निगम अधिकारियों का प्रतिकार नहीं करेगी, तब तक शहर की समस्याओं का अंत नहीं हो सकता है। सर्वेक्षण में अधिकारी वनवीक सिरीज के भरोसे टॉप में आकर इंदौर को पछाड़ना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए पहले उन्हें इंदौर की तरह ईमानदार बनना होगा। जनता निगम की कारगुजारियों को अच्छी तरह समझ चुकी है, अधिकारी ज्यादा दिनों तक लोगों को बरगलाने में कामयाब नहीं हो पाएंगे।