जयपुर के परकोटा शहर को यूनेस्को की ओर से वर्ल्ड हैरिटेज सिटी का दर्जा दिया गया है। लेकिन, परकोटा शहर में प्राचीन विरासतों के बीच संचालित नवीन परियोजनाओं पर रोक नहीं लगी तो आशंका है कि यूनेस्को इस मामले में सख्त रुख अपनाकर यह ना दर्जा छीन ले। सर्वाधिक दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि इन हालात को लेकर न केवल राज्य सरकार, जयपुर शहर के विधायकों और नगर निगम जयपुर हैरिटेज ने आंखें मूंद रखी हैं।
परकोटा शहर के मूल स्वरूप को बिगाड़ने के पीछे जयपुर स्मार्ट सिटी कंपनी को प्रमुख कारण बताया जा रहा है। कंपनी की ओर से परकोटा शहर में विभिन्न परियोजनाएं चलाई जा रही हैं, जो यूनेस्को के गले नहीं उतर रही है। कहा जा रहा है कि चौगान स्टेडियम में बन रहा स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स वर्ल्ड हैरिटेज सिटी के दर्जे में आखिरी कील साबित होगा।
जयपुर को हैरिटेज शहर का दर्जा देने से पूर्व परकोटा शहर के निरीक्षण के लिए आई यूनेस्को की टीम ने नवीन प्रोजेक्ट्स पर गहरा एतराज जताया था। उस समय स्मार्ट सिटी की ओर से किशनपोल बाजार में स्मार्ट रोड का निर्माण कराया जा रहा था। वहीं जयपुर मेट्रो की ओर से अंडरग्राउंड मेट्रो का।
यूनेस्को के विशेषज्ञों ने तब कहा था कि हैरिटेज सिटी के अंदर नवीन निर्माण परियोजनाओं पर रोक लगनी चाहिए और सिटी का मूल स्वरूप बरकरार रखना चाहिए। विशेषज्ञों ने जिम्मेदार शहर की भीड़ और यातायात को लेकर राय दी थी कि शहर से भीड़ और ट्रैफिक को कम करने की कवायद करनी चाहिए न कि नवीन परियोजनाएं बनाकर यहां भीड़ बढ़ाने की।
चौगान स्टेडियम में चलाई जा रही परियोजनाओं को भी भीड़ बढ़ाने वाली परियोजनाएं बताया जा रहा है। यहां बनाई गई अंडरग्राउंड पार्किंग से परकोटे में भीड़ बढ़ेगी क्योंकि लोगों को वाहन पार्किंग के लिए आसानी से स्थान उपलब्ध हो जाएगा। स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स को प्राचीन विरासतों का मूल स्वरूप बिगाड़ने वाला बताया जा रहा है।
वर्ल्ड हैरिटेज सिटी के लिए सरकार की ओर से बनाई गई हैरिटेज कमेटी शहर की विरासत के साथ हो रहे खिलवाड़ पर मौन है। कमेटी के अध्यक्ष और जयपुर के चीफ टाउन प्लानर आर के विजयवर्गीय इन सवालों से बचते नजर आए। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण वह इन प्रोजेक्ट्स पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाए।
परकोटे में कोई भी प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले हैरिटेज इम्पेक्ट असेसमेंट कराना जरूरी होता है। अभी तक स्मार्ट सिटी का कोई भी मैटर कमेटी के पास चर्चा के लिए नहीं आया है, हमारे पास कोई मैटर आएगा तो पता चलेगा कि प्रोजेक्ट से हैरिटेज को क्या नुकसान हो रहा है। इसका अर्थ यही है कि स्मार्ट सिटी कंपनी हैरिटेज कमेटी के संज्ञान में लाए बिना अपने प्रोजेक्ट करके शहर की विरासत के साथ खिलवाड़ कर रही है।
वरिष्ठ पत्रकार और जयपुर के ऐतिहासिक मामलों के जानकार जीतेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि चौगान स्टेडियम में स्मार्ट सिटी की इस परियोजना के निर्माण से शहर के हैरिटेज की वैल्यू प्रभावित हो रही है। जिस जगह पार्किंग और स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स बन रहा है, वह मैदान रियासत काल में राज परिवार और जनता के मनोरंजन का केंद्र था। यहां हार्थियों की लड़ाई आयोजित की जाती थी।
सिटी पैलेस के पूर्वी परकोटे पर बनी विभिन्न बुर्जों पर राजपरिवार के सदस्य बैठा करते थे और मैदान के चारों ओर शहर की जनता हाथियों की लड़ाई देखती थी। मैदान के बीच में मिट्टी की दीवार बनाकर दोनों ओर हाथियों को खड़ा किया जाता था। हाथियों को शराब पिलाकर मदमस्त किया जाता था और उसके बाद उनके पीछे आग जलाकर जनता हल्ला मचाती थी, जिससे हाथी भड़क कर आपस में भिड़ जाते थे। इसी मैदान में मेंढ़ो की लड़ाई, घुड़दौड़ व अन्य प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती थी। चौगान और पोलो के खेल आयोजित किए जाते थे।
तीज और गणगौर की सवारी जयपुर की प्राचीन परंपरा है। शहर में तीज-गणगौर की सवारी निकलती थी, लेनिक इनका मेला चौगान स्टेडियम में पार्किंग निर्माण से पूर्व तक भरता था। रानियां चीनी की बुर्ज से सुरंग के रास्ते मोती बुर्ज तक आती थी और इस बुर्ज पर बैठक मेले का आनंद उठाती थी।
स्मार्ट सिटी की ओर से चौगान स्टेडियम में फेज वन के तहत 21.37 करोड़ की लागत से यह स्पोर्ट्स कॉम्पेक्स और क्रिकेट ग्राउंड तैयार किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट से सटकर सिटी पैलेस पड़ता है, वहीं कुछ ही दूरी पर ऐतिहासिक ईश्वरी सिंह की छतरी और ताल कटोरा है। इसके अलावा स्मार्ट सिटी की ओर से आने वाले समय में गणगौरी बाजार अस्पताल, कंवर नगर डिग्री कॉलेज के प्रोजेक्ट शुरू किए जाने हैं।
स्मार्ट सिटी की ओर से परकोटे में स्थित प्राचीन पुण्डरीक उद्यान कम्युनिटी हॉल और पार्किंग एरिया निर्माण का प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसका भारी विरोध हो रहा है। दरबार स्कूल के प्रोजेक्ट में पुरातत्व विभाग की ओर से संरक्षित परकोटे से सटाकर नवीन निर्माण की योजना बनाई गई और परकोटे-बुर्जों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया।