आज के समय में अपनी-अपनी मातृभाषाओं को त्याग कर सामाजिक रूप अंग्रेजी भाषा लिखने और बोलने को आधुनिकता समझा जाने लगा है। ऐसे में जब किसी ऐसे भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी जो कन्नड़ भाषी (Kannada speaking) हों, उनसे हिंदी में भाषण (speech) और उसमें भी बीच-बीच में संस्कृत के श्लोकों का उच्चारण सुनने को मिले तो निश्चय ही मन आश्चर्य चकित हो आनंद से भर उठता है।
बीते रविवार, 22 अगस्त यानी रक्षाबंधन पर राजस्थान संस्कृत अकादमी द्वारा आयोजित ‘अमृत महोत्सव’ कार्यक्रम में राजस्थान कैडर के आईपीएस दिनेश एमएन (Dinesh MN) ऐसा ही कर लोगों को चकित कर दिया। वे मूल रूप से कन्नड़ भाषी हैं। हिंदी और अंग्रेजी (Hindi and Sanskrit) पर उनकी अच्छी पकड़ है लेकिन उन्हें संस्कृत शुद्ध उच्चारण के साथ संवाद करना करना भी आता है। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों मुक्तकंठ से उनकी प्रशंसा की और कहा कि किसी दक्षिण भारतीय आईएएस या आईपीएस अधिकारी मुंह से संस्कृत सुनना दुर्लभ होने के साथ-साथ आनंद दायक भी है।
कार्यक्रम में दिनेश एमएन ने कहा कि संसार के किसी भी दर्शन या विचारधारा में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो हमे प्राचीन शास्त्रों में ना हो। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति जीवन में अपना उत्थान चाहता है और ईश्वर के अस्तित्व को नहीं भी मानता है तो भी वह धर्म में रह सकता है। उसे समाज से बाहर नहीं निकाला जाता या उसे ईश्वर के विरुद्ध नहीं समझा जाता। उन्होंने कहा कि यदि भारत को अपना अस्तित्व बनाये रखना है तो संस्कृत को बचाना और उसका पोषण करना जरूरी है।