नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने विपक्षी दलों को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि कृषि कानूनों का नहीं बल्कि प्रधानमंत्री (Prime Minister) का विरोध करना विपक्षी पार्टियों का एकमात्र उद्देश्य है। जिन राज्यों में विपक्षी दलों की सरकारें है, वह किसानों को इसका लाभ नहीं दे रहे हैं और इसी शर्मिंदगी को मिटाने के लिए 26 मई को आयोजित काला दिवस को सभी विपक्षी पार्टियां समर्थन दे रही है। कटारिया ने जनता से आह्वान किया कि वह इन कुकृत्यों को बेनकाब करें, ताकि विपक्षी पार्टियां भविष्य में किसानों का बहाना लेकर अपने राजनीतिक लाभ लेने के लिए किए गए गलत कामों को सही साबित नहीं कर सके।
कटारिया ने कहा कि कृषि बिलों को केंद्र सरकार ने बिल पास कराके कानून का रूप दिया है। कुछ किसान संगठन और विपक्षी पार्टियां इन कानूनों का विरोध कर रही है। काला दिवस मना रहे किसान संगठनों और विपक्षी पार्टियों का विरोध इस बात से था कि मंडियां समाप्त हो जाएंगी, लेकिन कानून पास होने के बाद से लेकर अब तक कोई मंडी बंद नहीं हुई है।
किसान संगठनों ने आरोप लगाया कि समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद बंद हो जाएगी। जबकि खरीद आज भी यथावत जारी है और पिछली सरकारों से कई गुना अधिक खरीद हो रही है। कांग्रेस राज में कुछ फसलों का समर्थन मूल्य घोषित था, लेकिन मोदी सरकार द्वारा 22 फसलों का समर्थन मूल्य घोषित करने और आवश्यकता अनुसार खरीद होने का विरोध क्यों हो रहा है, कोई तो इसे स्पष्ट करे।
काला दिवस इस लिए मनाया जा रहा है क्योंकि किसान सम्मान निधि की राशि 10 करोड़ 50 लाख किसानों के खातों में 8 किश्तों में सीधे ही जमा कराई जा चुकी है। अब तक 1 लाख 15 हजार करोड़ रुपए सीधा किसानों के खातों में जमा हो गया है। अभी-अभी मोदी सरकार ने किसान हित मे डीएपी खाद पर सब्सिडी बढ़ाने का जो ऐतिहासिक निर्णय लिया है, क्या किसानों को होने वाले लाभ पर काला दिवस मनाया जा रहा है? किसानों को डीएपी पर 500 रुपए प्रति बोरी के स्थान पर 1200 रुपए प्रति बोरी सब्सिडी दी गई है। इससे किसानों को लगभग 14,400 करोड़ रुपए का फायदा होगा।