धरम सैनी जयपुर। कोरोना संक्रमण के दौरान हुए लॉकडाउन में आपने देश-विदेश में जंगली जानवरों का आबादी वाले स्थानों पर आने और सड़कों पर घूमने के वीडियो खूब देखे होंगे। ऐसा ही कुछ जयपुर में भी देखने को मिला, जबकि बघेरों ने शहर के प्रमुख पर्यटन स्थल नाहरगढ़ पर अपना राज कायम कर लिया। लॉकडाउन के दौरान नाहरगढ़ जाने के रास्ते पर मोरों के नृत्य का एक वीडियो भी काफी वायरल हुआ था।
लॉकडाउन के दौरान नाहरगढ़ किले के अंदर दो से तीन बघेरे देखे गए, वहीं नाहरगढ़ से जयगढ़ तक के रास्ते में भी तीन से चार बघेरे देखे गए। इस दौरान एक बघेरा तो फोर्ट वॉल पर चहलकदमी करता दिखाई दिया। पहाड़ी की तलहटी में रहने वाले लोगों ने इस बघेरे का वीडियो बनाया था।
पुरातत्व विभाग की ओर से नाहरगढ़ में तैनात कर्मचारी का कहना है कि फोर्ट के अंदर लॉकडाउन के दौरान दो-तीन बघेरे अक्सर दिखाई दे रहे थे। यह बघेरे महल से पड़ाव रेस्टोरेंट की ओर जाने वाले रास्ते की झाड़ियों, बावड़ियों और महल के निकट बने मंदिर के पास दिखाई दे रहे थे।
सड़क पर दिखे बघेरे
नाहरगढ़ में पुरातत्व विभाग की ओर से लॉकडाउन के दौरान चार शिफ्टों में 5-5 होमगार्ड सुरक्षा के लिए तैनात रहते थे। होमगार्डों का कहना है कि ड्यूटी ऑफ करने के बाद वह नीचे आते थे तो नाहरगढ़ से जयगढ़ के बीच के रास्ते में भी अक्सर बघेरे दिखाई दे रहे थे, जो उन्हें देखकर झाडिय़ों में छिप जाते थे।
पानी पीने के लिए आ रहे
गार्डों का कहना है कि फोर्ट के खुले स्थानों पर जहां-जहां वह गश्त करते हैं, वहां शिकार का कोई निशान नहीं मिला। फोर्ट में बघेरों के भोजन के रूप में कुत्ते, बंदर और मोर बहुतायत में है। ऐसे में कह सकते हैं कि बघेरे यहां बनी बावडिय़ों में पानी पीने के लिए आ रहे थे, क्योंकि गर्मी बढऩे के कारण जंगल में उन्हें पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। अभी भी यह रात के समय में पानी पीने के लिए फोर्ट के अंदर आ रहे हैं। महल के सामने स्थित बावड़ी से पड़ाव रेस्टोरेंट के बीच फोर्ट वॉल में उन्होंने अंदर आने का रास्ता बना रखा है।
पर्यटक बढ़ेंगे तो नहीं दिखेंगे बघेरे
वन और पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि नाहरगढ़ किला नाहरगढ़ सेंचुरी के अंदर आता है, लेकिन यहां इंसानी आमद-रफ्त के कारण बघेरे नहीं आते हैं। वर्ष 2014 में एक मादा बघेरा अपने बच्चों के साथ फोर्ट में घुसी थी, उसके बाद यहां बघेरों के आने का कोई प्रमाण नहीं है। लॉकडाउन के दौरान फोर्ट में लोगों का आना बंद हो गया और इसी कारण से बघेरों ने यहां अपना डेरा जमा लिया। जैसे ही यहां फिर से लोगों की आमद-रफ्त बढ़ेगी, बघेरे घने जंगलों में चले जाएंगे।
बघेरे तो आएंगे
डीएफओ नाहरगढ़ सुदर्शन शर्मा का कहना है कि नाहरगढ़ फोर्ट अभ्यारण्य क्षेत्र में स्थित है, लेकिन यहां बनी इमारत पुरातत्व विभाग की है। अभ्यारण्य क्षेत्र होने के कारण यहां बघेरे तो आएंगे ही। लॉकडाउन के कारण यहां पर्यटकों का आना कम हो गया, इसलिए बघेरे फोर्ट के अंदर आ गए होंगे।