जयपुर

बोर्ड बैठक के बाद बीवीजी कंपनी को हटाने की तैयारी में नगर निगम

जयपुर। नगर निगम ग्रेटर की बोर्ड बैठक के बाद निगम शहर की सफाई व्यवस्था के लिए नासूर बन चुकी डोर-टू-डोर कंपनी बीवीजी को हटाने की तैयारियों में जुट गया है। जल्द ही इस कंपनी को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है और तैयारियों के लिए नगर निगम अधिकारियों को निर्देश दिए जा चुके हैं।

निगम सूत्रों के अनुसार शुक्रवार को आयुक्त यज्ञमित्र सिंह ने शहर की सफाई व्यवस्था को लेकर निगम अधिकारियों की बैठक ली। बैठक का प्रमुख एजेंडा बीवीजी कंपनी को बाहर का रास्ता दिखाना था। आयुक्त ने अधिकारियों से कंपनी की सभी जानकारियां मांगी तो सामने आया कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में बीवीजी की ओर से 143 करोड़ रुपए के भुगतान के लिए बिल पेश किए गए। निगम की ओर से इसमें से 88 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया।

अधिकारियों ने आयुक्त को बताया कि बीवीजी का काम यदि निगम अपने स्तर पर करे तो इस पूरे काम में सालाना लगभग 56 करोड़ रुपए व्यय होने का अनुमान है। ऐसे में यदि निगम अपने स्तर पर डोर-टू-डोर करे तो काफी फायदा होगा। बीवीजी का पूरा गणित जानने के बाद आयुक्त ने बैठक में शामिल अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि 1 फरवरी को बीवीजी के साथ फाइनल बैठक की जा सकती है। हो सकता है कि कंपनी को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाए, क्योंकि महापौर ने कंपनी के खिलाफ विधिक कार्रवाई कर नई व्यवस्था के निर्देश बोर्ड बैठक में दे दिए हैं।

ऐसे में सभी अधिकारी अभी से ही शहर की सफाई व्यवस्था की तैयारियों में जुट जाएं। सफाई के लिए संसाधनों को किराए पर लेने की व्यवस्था पहले से ही हो जानी चाहिए। सफाईकर्मियों, चालकों को ठेके पर लेने की भी व्यवस्था हो जानी चाहिए। यदि बीवीजी का काम बंद होता है तो यह तैयारी काफी काम आएगी।

उल्लेखनीय है कि गुरुवार को आयोजित बोर्ड बैठक में लगभग सभी पार्षदों ने बीवजी कंपनी को लेकर असंतोष व्यक्त किया था। पिछले बोर्ड में भी इस कंपनी के भ्रष्टाचार को लेकर पार्षदों में काफी आक्रोष था, लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत के चलते इस आक्रोष को दरकिनार किया जा रहा था।

पूर्व पार्षद अनिल शर्मा ने बीवीजी के खिलाफ एसीबी में परिवाद दर्ज करा रखा है। शर्मा का कहना है कि कंपनी चार साल में अनुबंध की शर्तों के हिसाब से काम नहीं कर पाई। इसलिए निगम को इस कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर इसके कार्यों की निष्पक्ष जांच करानी चाहिए। निगम अधिकारियों ने मिलीभगत कर कंपनी को गलत भुगतान किया है, ऐसे में कंपनी से वसूली भी की जानी चाहिए।

उधर एसीबी भी बीवीजी कंपनी को लेकर एक्शन में आ रही है। कई अन्य पार्षदों ने भी कंपनी के खिलाफ एसीबी में शिकायत कर रखी थी। पूर्व पार्षद धर्म सिंघानिया ने भी कंपनी द्वारा डोर-टू-डोर का काम अन्य कंपनियों को सबलेट किए जाने की शिकायत एसीबी में की थी। अब एसीबी ने सिंघानिया को नोटिस जारी कर एसीबी ने उन्हें अपने बयान दर्ज कराने के लिए कहा है।

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