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नासा को मिली ‘दूसरी पृथ्वी’, पानी से भरा है समुद्र: जीवन के भी मिले संकेत, जानिए इस रहस्य के बारे में

नासा के वेब टेलीस्कोप ने एक ऐसे ग्रह का पता लगाया है, जिस पर मिथेन गैस के अलावा कार्बन डाई ऑक्साइड भी मिली है। माना जा रहा है कि इस खोज के बाद इस ग्रह पर भी जीवन हो सकता है। नासा ने यह खासा जानकारी दी है।
नासा के वैज्ञानिकों ने कई प्रकाश वर्ष दूर एक विशाल एक्सोप्लैनेट पर एक महासागर के होने का ऐलान किया है। उनकी मानें तो इसके साथ ही इस ग्रह पर संभावित जीवन की तरफ इशारा करने वाला एक रासायन भी मिला है। यह खोज नासा के जेम्स वेब टेलीस्कोप की तरफ से की गई है। नासा की मानें तो जो एक्सोप्लैनेट मिला है वह पृथ्वी से 8.6 गुना बड़ा है। साथ ही, एजेंसी को इस ग्रह के वातावरण की नई जांच में मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड समेत कार्बन के प्रभाव वाले अणुओं की उपस्थिति का भी पता चला है।
कैसे मिली जानकारी
जेम्स वेब की खोज हाल के अध्ययनों से जुड़ती है जो बताती है कि यह एक हाइसीन एक्सोप्लैनेट हो सकता है, जिसमें हाइड्रोजन समृद्ध वातावरण और महासागर से ढंके होने की संभावना है। नासा ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि इस रहने योग्य क्षेत्र वाले एक्सोप्लैनेट के वायुमंडलीय गुणों के बारे में पहली जानकारी नासा के हबल स्पेस टेलीस्कोप से मिली है। इस नई तलाश ने आगे की रिसर्च के लिए वैज्ञानिकों को प्रेरित किया। नासा की मानें तो इस खोज ने सिस्टम के बारे में उनकी समझ को ही बदलकर रख दिया है।
क्या है नया मिला ग्रह
पृथ्वी से 120 प्रकाश वर्ष दूर एक्सोप्लैनेट, जिनका आकार पृथ्वी और नेपच्यून के बीच है, सौर मंडल की किसी भी चीज से काफी अलग हैं। नासा की मानें तो निकटवर्ती ग्रहों की कमी की वजह से इन ‘उप-नेपच्यून’ को अक्सर कम करके आंका जाता है। इसके अलावा उनके वायुमंडल की प्रकृति खगोलविदों के बीच सक्रिय बहस का विषय है। नासा की मानें तो यह एक हाइसीन एक्सोप्लैनेट हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कुछ खगोलविद मानते हैं कि यह घटनाक्रम एक्सोप्लैनेट पर जीवन की तलाश की दिशा में नई उम्मीद देती हे।
क्या सोचते हैं वैज्ञानिक
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के खगोलशास्त्री और इन नतीजों के बारे में बताने वाले लीड ऑथर निक्कू मधुसूदन ने बताया, ‘परंपरागत रूप से, एक्सोप्लैनेट पर जीवन की खोज मुख्य रूप से छोटे चट्टानी ग्रहों पर केंद्रित रही है। लेकिन बड़े हाइसीन दुनिया वायुमंडलीय धारणा के लिए काफी अनुकूल हैं।’ मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड का होना और अमोनिया की कमी इसी परिकल्पना का समर्थन करती है कि एक्सोप्लानेट में हाइड्रोजन लैस वातावरण के नीचे एक महासागर हो सकता है।

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