साल 2023 का नोबेल शांति पुरस्कार नरगिस मोहम्मदी को दिया गया। नरगिस मोहम्मदी को ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ उनकी लड़ाई और मानवाधिकारों और स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए दिया गया है। बता दें कि नोबल पुरस्कार दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है। इससे पहले गुरुवार को नॉर्वेजियन लेखक जॉन फॉसे को साहित्य क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया।
साल 2023 का नोबेल शांति पुरस्कार ईरान की मानवाधिकार कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी को दिया गया। नरगिस मोहम्मदी को ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ उनकी लड़ाई और मानवाधिकारों और स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए दिया गया है। बता दें कि नोबल पुरस्कार दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है।
इससे पहले गुरुवार को नॉर्वेजियन लेखक जॉन फॉसे को साहित्य क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया। जॉन फॉसे को उनके नए नाटकों और गद्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो अनकही को आवाज देते हैं।
‘अवॉर्ड मोहम्मदी के साथ पूरे आंदोलन के काम को मान्यता देता है’
नोबेल समिति के अध्यक्ष बेरिट रीस-एंडरसन ने कहा, ‘यह पुरस्कार सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण ईरान में अपने निर्विवाद नेता नरगिस मोहम्मदी के साथ पूरे आंदोलन के बहुत महत्वपूर्ण काम को मान्यता देता है। पुरस्कार के प्रभाव पर निर्णय करना नोबेल समिति का काम नहीं है। हमें उम्मीद है कि यह आंदोलन जिस भी रूप में ठीक लगे, काम जारी रखने के लिए एक प्रोत्साहन है।’
नरगिस मोहम्मदी इस समय ईरान की जेल में बंद
नरगिस मोहम्मदी इस समय ईरान की जेल में बंद हैं। ईरान में साल 2019 में हुए हिंसक विरोध-प्रदर्शन की एक पीडिता के स्मारक में शामिल होने के बाद अधिकारियों ने नवंबर में मोहम्मदी को गिरफ्तार कर लिया था। मोहम्मदी को 13 बार कैद किया गया और पांच बार दोषी ठहराया जा चुका है। नरगिस को कुल 31 साल जेल की सजा सुनाई गई है।
नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाली 19वीं महिला
बता दें कि साल 2003 में मानवाधिकार कार्यकर्ता शिरीन एबादी के पुरस्कार जीतने के बाद वह नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाली 19वीं महिला और दूसरी ईरानी महिला हैं।
महसा अमिनी की मौत के बाद जेल गईं मोहम्मदी
नरगिस मोहम्मदी 22 वर्षीय महसा अमिनी की मौत के बाद हुए देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन के लिए जेल गईं। महसा अमिनी पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद मौत हो गई थी। इस आंदोलन ने ईरान में साल 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से देश के कट्टरपंथियों के लिए अब तक की सबसे तीव्र चुनौतियों में से एक को जन्म दिया। आंदोलन मे सरकार की कार्रवाई में 500 से ज्यादा लोग मारे गए जबकि 22,000 से अधिक को गिरफ्तार किया गया।