जयपुर। अलवर जिले के राजगढ़ में मास्टर प्लान के नाम पर प्राचीन भवनों, दुकानों पर बुलडोजर चलवा दिया गया। कार्रवाई करने वाले अधिकारियाें ने प्राचीन धार्मिक स्थलों को भी ध्वस्त करा दिया। इस घटना के बाद अब जनता को राजनेताओं की जहरीली सोच को अच्छी तरह से पहचान लेना चाहिए, क्योंकि कांग्रेस हो या भाजपा के राजनेता, सभी अपने फायदे के लिए बहुसंख्यक समाज की धार्मिक आस्थाओं ठेस पहुंचाने से भी नहीं चूकते हैं। राजगढ़ की इस कार्रवाई ने जयपुर में मेट्रो निर्माण के समय परकोटे में बर्बरता पूर्वक ढ़हाए गए मंदिरों की याद दिला दी है। जयपुर में विकास के नाम पर भाजपा सरकार ने शहर की स्थापना के समय बने करीब 23 मंदिरों को बर्बरता पूर्वक ढहा दिया था।
राजगढ़ में प्राचीन मंदिरों को गलत तरीकों से ढ़हया गया। इस दौरान शिव पंचायत की मूर्तियों को उखाड़ने के लिए हैमर ड्रिल का प्रयोग किया गया, जिससे मूर्तियां खंडित हो गई। मंदिरों को तोड़ने की कार्रवाई करने वाले कर्मचारी जूतों—चप्पलों के साथ मंदिर के गर्भगृह में पहुंच कर कार्रवाई कर रहे थे, इससे शर्मनाक बात सरकार के लिए क्या हो सकती है। सरकार और उसके अधिकारियों के पास दूसरे धर्मों के धार्मिक स्थलों पर इस तरह की कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं है। ऐसा ही कारनामा 2015 में जयपुर में भाजपा की सरकार ने भी किया था और आज इसी भाजपा के नेता घडियाली आंसू बहा रहे हैं। क्या उस समय उनका जमीर नहीं जागा था? राजस्थान भाजपा के एक भी नेता की हिम्मत नहीं हुई थी कि वह मंदिरों को तोड़ने के खिलाफ सरकार के खिलाफ एक शब्द भी बोल सके।
लोग हुए बेघर
बुलडोजर की कार्रवाई से राजगढ़ कस्बे का मुख्य मार्ग खंडर में तब्दील हो गया। भवनों व दुकानों को बिना किसी मुआवजे के मास्टर प्लान का हवाला देकर ध्वस्त कर दिया। इस कार्रवाई में दुकान व मकान तोड़े जाने से कई लोग बेघर हो गए और उनके सामने राेजी रोटी का संकट आ गया। राजगढ़ प्रशासन की ओर से 17 अप्रैल को यह कार्रवाई की गई। व्यापारियों का कहना है शादी समारोह व गर्मी के सीजन के दौरान उनकी दुकानों को तोडे जाने से उनका धंधा पूरी तरह से चौपट हो गया है तथा लाखों रूपए का नुकसान हुआ है। कस्बे के गोल सर्किल से मेला का चौराहा के मध्य सड़क मार्ग में बाधा बने प्राचीन भवनों व दुकानों को ध्वस्त किए जाने के बाद उनके मलबे का अम्बार सडक मार्ग पर लगे होने के बाद आवागमन बाधित हो गया।
वैध मकान व दुकानों को बनाया निशाना
लोगों ने रोष जाहिर करते हुए प्रशासन पर आरोप लगाया है कि प्रशासन ने मनमाने तरीके से कार्रवाई करते हुए सौ से डेढ सौ साल पुराने कागज व पट्टों के साथ रह रहे लोगों के वैध मकान व दुकानों को मास्टर प्लान का हवाला देकर तोड दिया गया। सड़क मार्ग के दोनों ओर मलबा उठाने के लिए तीन एलएनटी व आधा दर्जन से अधिक डम्पर लगाए हुए है। इसी दौरान एक तरफ नाला खोदने का कार्य भी किया जा रहा है।