जयपुरपुलिस प्रशासन

आलाधिकारी अब डीआईजी की अनुमति के बिना इंस्पेक्टर को नहीं कर पाएंगे सस्पेंड

डीजीपी की ओर से यह आदेश प्रदेश के सभी आईजी, पुलिस कमिश्नर, रेंज आईजी, डीआईजी, डीसीपी और एसपी के लिए जारी किया गया है। डीजीपी की ओर से यह आदेश प्रदेश के सभी आईजी, पुलिस कमिश्नर, रेंज आईजी, डीआईजी, डीसीपी और एसपी के लिए जारी किया गया है।
राजस्थान पुलिस के डीजीपी ने पुलिस इंस्पेक्टर और उससे नीचे के पुलिसकर्मियों को बड़ी राहत दी है। अब किसी भी इंस्पेक्टर को सस्पेंड करने से पहले संबंधित आलाधिकारी को डीजीपी की अनुमति लेनी होगी। राजस्थान के पुलिसकर्मियों के लिए राहत की खबर आई है। प्रदेश में अब छोटी मोटी किसी भी बात पर पुलिस इंस्पेक्टर और अन्य पुलिसकर्मियों को आसानी से सस्पेंड नहीं किया जाएगा। थानाप्रभारी या उससे नीचे के किसी पुलिसकर्मी को सस्पेंड करने से पहले संबंधित आलाधिकारी सोच समझकर फैसला लेना होगा। वहीं पुलिस निरीक्षक स्तर के अधिकारी को सस्पेंड करने से पहले पुलिस महानिदेशक की अनुमति लेनी पड़ेगी। इससे प्रदेश के उन सैंकड़ों पुलिसकर्मियों को राहत मिलेगी जिन्हें आए दिन किसी न किसी शिकायत पर या फिर भीड़ के दबाव में सस्पेंड कर दिया जाता है।
पुलिस मुख्यालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि अब पुलिस इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी को सस्पेंड करने से पहले डीआईजी की अनुमति लेनी होगी। डीजीपी यूआर साहू ने अपने आदेश में कहा है कि किसी भी पुलिसकर्मी को सस्पेंड करने का फैसला सीनियर ऑफिसर सोच समझकर लें। यह आदेश प्रदेश के सभी आईजी, पुलिस कमिश्नर, रेंज आईजी, डीआईजी, डीसीपी और एसपी के लिए जारी किए गए हैं।
मामले को शांत करने के लिए कर दिया जाता है सस्पेंड
दरअसल प्रदेश में आए दिन क्राइम और पुलिसकर्मियों के व्यवहार को लेकर फसाद होता रहता है। इनको लेकर आक्रोशित भीड़ का शिकार सबसे पहले संबंधित इलाके का थानेदार या थाने के अन्य पुलिसकर्मी बनते हैं। कोई भी बात होने पर आक्रोशित भीड़ की पहली मांग संबंधित थानाधिकारी या पुलिसकर्मी को हटाने या निलंबित करने की होती है। भीड़ और नेताओं के दबाव में पुलिस अधिकारी मामले को शांत करने के लिए निचले स्तर के पुलिसकर्मियों को हटाने या फिर सस्पेंड करने में कोई देरी नहीं करते।
पुलिसकर्मियों के मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है
डीजीपी के इस आदेश में कहा गया है कि इस तरह सस्पेंड कर दिए जाने से पुलिसकर्मियों के मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उसमें सेवा के प्रति अनिश्चितता का भाव घर कर जाता है। इससे केवल सस्पेंड होने वाले अधिकारी ही नहीं बल्कि दूसरे कर्मचारियों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। लिहाजा इसमें सावधानी बरती जाए। सस्पेंशन के सभी मामलों में सावधानी रखी जाए और पुलिस निरीक्षक स्तर के अधिकारी को सस्पेंड करने से पहले अनुमति ली जाए।

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