नगर निगम ग्रेटर में इन दिनों उल्टी गंगा बह रही है और कोरोना व उसकी वैक्सीनेशन के प्रति जागरुकता के लिए आयोजित कार्यक्रम में भी राजनीति चल रही है। भाजपा पार्षद कह रहे हैं कि सरकार के इशारे पर अधिकारी राजनीति करने में लगे हैं। मेयर के बजाए अधिकारी बैठक आयोजित कर रहे हैं और चुने हुए जनप्रतिनिधियों को बैठक में शामिल होने के लिए कह रहे हैं। यहां तक कि मेयर और डिप्टी मेयर को भी साधारण पार्षद की तरह बैठक की सूचना भेज दी गई, जिससे मेयर सौम्या गुर्जर और डिप्टी मेयर पुनीत कर्णावट नाराज हो गए और वह गुरुवार को आयोजित हुई बैठक में शामिल नहीं हुए।
बैठक आयोजित करने की प्रक्रिया को लेकर पार्षदों में भारी रोष है और वह कह रहे हैं कि हम इस बैठक में नहीं जाएंगे। अधिकारी कौन होते हैं हमें बैठक में बुलाने वाले, हम चुने हुए जनप्रतिनिधि हैं, अधिकारियों के इशारे पर काम करेंगे क्या? कोई भी पार्षद चाहे वह भाजपा का हो या कांग्रेस का या फिर निर्दलीय महापौर या उप महापौर के बुलावे पर ही बैठक में उपस्थित होता है।
राज्य सरकार द्वारा हाल ही में कोरोना की नई गाइडलाइन जारी की गई है। इस गाइडलाइन की जानकारी पार्षदों को देने के लिए जिला कलेक्टर की ओर से बैठक आयोजित करने का पत्र निगम आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव को भेजा गया। कलेक्टर के पत्र के अनुसार आयुक्त ने भी जोन उपायुक्तों को बैठक की जानकारी देते हुए पत्र लिखकर, उन्हें उनके क्षेत्र के पार्षदों को बैठक में बुलाने की जिम्मेदारी सौंप दी। बताया यह जा रहा है कि जोन उपायुक्तों ने पार्षदों को बुलाने की जिम्मेदारी अपने मातहत अधिकारियों को सौंप दी।
निगम के जानकारों का कहना है कि अधिकारी जनप्रतिनिधियों की बैठक नहीं ले सकते हैं। यदि कोरोना जागरूकता के लिए पार्षदों की बैठक आयोजित की जानी थी, तो जिला कलेक्टर को निगम आयुक्त को पत्र लिखने के बजाय मेयर को पार्षदों की बैठक बुलाने के लिए आग्रह करना चाहिए था। कलेक्टर के आग्रह पर महापौर पार्षदों की बैठक बुलाती और अध्यक्षता वह स्वयं करती। अधिकारी बैठक में अपनी बात रखते लेकिन बैठक की प्रक्रिया गड़बड़ होने के कारण मेयर और डिप्टी मेयर ने बैठक से दूरी बना ली।
बताया जा रहा है कि पहले दिन एक से पचास तक वार्डों के पार्षदों की बैठक में करीब चालीस पार्षद उपस्थित हुए लेकिन जब अधिकारियों की मनमानी की खबर भाजपा पार्षदों को लगी तो वह भड़क गए। भाजपा पार्षद कह रहे हैं कि पहले दिन की बैठक में जानकारी के अभाव में कुछ भाजपा पार्षद पहुंच गए होंगे, लेकिन शुक्रवार और शनिवार को होने वाली पचास से एक सौ पचास तक के वार्डों की बैठक में भाजपा पार्षद नहीं जाएंगे।
आयुक्त के पास पार्षदों से बात करने का समय नहीं, तो फिर हम क्यों जाएं
पार्षदों का का कहना है कि ग्रेटर में भाजपा का बोर्ड होने के कारण सरकार के इशारे पर अधिकारी मनमानी कर रहे हैं। चुने हुए बोर्ड को काम नहीं करने दिया जा रहा है। अधिकारी भाजपा पार्षदों की बात नहीं सुन रहे और न ही उनके क्षेत्रों में कोई काम हो पा रहा है। निगम सूत्रों का कहना है कि तीन दिन पूर्व भाजपा के तीन-चार पार्षद आयुक्त के पास गए थे और उन्होंने आयुक्त को उलाहना दिया था कि वह उनके फोन नहीं उठाते। इस पर आयुक्त ने पार्षदों से कह दिया कि उन्हें पार्षदों की जरूरत नहीं है, जब जरूरत पड़ेगी तब वह पार्षदों को फोन कर लेंगे। आयुक्त के इस जवाब से भी भाजपा पार्षद भड़के हुए हैं।
Politics in awareness of Corona and its vaccination, officials in Jaipur Municipal Corporation Greater called for meeting of public representatives, angry Mayor-Deputy Mayor did not come to the meeting.