जयपुर

सांप निकलने के बाद लाठी पीट रहे पुरातत्व और एडमा अधिकारी, एडमा ने टाउन हॉल पर पहले जैसा रंग कराने के लिए निगम आयुक्त को पत्र लिखा

पुरातत्व विभाग और उसकी कार्यकारी एजेंसी आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण (एडमा) के अधिकारियों की अक्ल पर कमीशन और कामचोरी के मोटे-मोटे पत्थर पड़े हैं, तभी तो वह पुरा स्मारकों को नुकसान पहुंचाने के मामलों में ‘सांप निकलने के बाद लाठी पीटने’ के काम में लगे हैं। संरक्षित स्मारक सवाई मान सिंह टाउन हॉल (पुरानी विधानसभा) पर पेंटिंग करवाने के मामले में भी अब विभाग पुरातत्व नियमों के अनुसार कार्रवाई करने के बजाय, सिर्फ लेटरबाजी से काम चला रहा है।

टाउन हॉल पर लिखे गए स्लोगन से हुए पचड़े से बचने के लिए नगर निगम ने बुधवार, 24 मार्च की सुबह स्लोगन पर नारंगी रंग पुतवा दिया था, जो टाउन हॉल के मूल स्वरूप से मेल नहीं खा रहा था। इस मामले में पुरातत्व नियमों के अनुसार कार्रवाई करने के बजाय एडमा अधिकारियों की ओर से अब निगम आयुक्त लोकबंधु को पत्र लिखा गया है कि टाउन हॉल एक संरक्षित स्मारक है।

निगम हैरिटेज की ओर से इसकी दीवारों पर पेंटिंग का कार्य कराया गया था और उसके बाद वहां दूसरा रंग-रोगन कर दिया गया, जो टाउन हॉल पर हो रहे रंग से मेल नहीं खा रहा है। इसलिए यहां भवन के पुराने रंग से मिलता-जुलता रंग रोगन कराया जाए। संरक्षित इमारतों में नियमानुसार किसी भी प्रकार के परिवर्तन की अनुमति नहीं है। ऐसे में भविष्य में पुरा महत्व के भवनों पर इस प्रकार के कार्य नहीं कराए जाएं।

एडमा अधिकारियों ने नहीं रुकवाई पेंटिंग
एडमा की ओर से यह पत्र कार्यकारी निदेशक (कार्य) सतेंद्र कुमार की तरफ से लिखा गया है। इसकी प्रतिलिपि पुरातत्व निदेशक और वृत्त अधीक्षक को भी भेजी गई है। एडमा में कहा जा रहा है कि पुरा स्मारकों को नुकसान पहुंचाने के मामले में अपनी खाल बचाने के लिए एडमा की ओर से यह पत्र लिखा गया है क्योंकि इसी भवन में एडमा का कार्यालय है। यहीं पर एडमा के सभी वरिष्ठ अधिकारी और कर्मचारी बैठते हैं।

हमें क्या फर्क पड़ेगा
उधर नगर निगम हैरिटेज के सूत्रों का कहना है कि एडमा ही क्या पुरातत्व विभाग ने भी इस मामले में निगम को रिमाइंडर भेजा है। पहले भी पुरातत्व विभाग के वृत्त अधीक्षक स्मारकों में तोड़फोड़ के मामले में पत्र लिख चुके है लेकिन निगम के अधिकारियों को वर्ल्ड हैरिटेज सिटी की संपत्तियों से ही कोई मतलब नहीं है तो वह विभाग के पुरा स्मारकों का क्या ध्यान रखेंगे। इन पत्रों से निगम अधिकारियों को कुछ भी बिगड़ने वाला नहीं है।

फिर होगा पुरातत्व-एडमा में विवाद
पुरातत्व सूत्रों का कहना है कि टाउन हॉल के मामले में एक बार फिर पुरातत्व विभाग और एडमा के बीच विवाद हो सकता है। पुरातत्व अधिकारियों ने चुपचाप यह पता लगा लिया है कि हॉल पर हो रही पेंटिंग की जानकारी एडमा अधिकारियों और कर्मचारियों को थी लेकिन वह चुप बैठे रहे और निगम के कार्य को रुकवाया नहीं, जबकि एडमा के अधिकारी और कर्मचारी उसी भवन में बैठते हैं।

जल्द ही पुरातत्व विभाग इस मामले में एडमा की खिंचाई कर सकता है। पूर्व में भी पुरातत्व निदेशक पीसी शर्मा एडमा के औचित्य पर सवाल खड़े कर चुके हैं कि एडमा कुछ चुनिंदा स्मारकों पर ही काम कराता है। इसका सीधा अर्थ एडमा की कमीशनबाजी से लगाया जा रहा है। हकीकत भी यही है कि सरकार को अब एडमा के औचित्य परख लेना चाहिए क्योंकि एडमा के बनने के बाद से ही जयपुर के सभी स्मारकों का मूल स्वरूप बिगड़ा है।

पुरातत्व अधिकारी भी कम नहीं
टाउन हॉल मामले में सिर्फ नगर निगम हैरिटेज और एडमा को ही दोष नहीं दिया जा सकता है। इस मामले में पुरातत्व विभाग के अधिकारी भी कम जिम्मेदार नहीं है। राजधानी में संरक्षित परकोटे को स्मार्ट सिटी ने तोड़ दिया लेकिन पुरातत्व अधिकारी चुप बैठे रहे और निदेशक ने सिर्फ स्मार्ट सिटी व अन्य विभागों को पत्र लिखकर मामले में इतिश्रि कर ली। यदि निदेशक की ओर से इस मामले में पुरातत्व नियमों के अनुसार स्मार्ट सिटी अधिकारियों और ठेकेदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा कर कानूनी कार्रवाई की जाती तो नगर निगम की टाउन हॉल पर पेंटिंग कराने की हिम्मत नहीं होती।

उल्लेखनीय है कि नगर निगम हैरिटेज के अधिकारियों ने हवामहल बाजार की ओर टाउन हॉल की दीवार पर स्वच्छता सर्वेक्षण के स्लोगन पुतवा दिए थे। क्लियरन्यूज डॉट लाइव ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया तो निगम की ओर से स्लोगन पर फिर से रंग पुतवा दिया गया। क्लियरन्यूज ने फिर बताया कि निगम की ओर से जो रंग कराया गया है, वह न तो खमीरा है और न ही टाउन हॉल के मूल स्वरूप से मेल खा रहा है। इसके बाद एडमा और पुरातत्व विभाग को नगर निगम हैरिटेज को पत्र लिखने के लिए मजबूर होना पड़ा।

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