जयपुर

पायलट के 21 विधायकों के बयान पर कांग्रेस में सियासत तेज

जयपुर। मकर संक्रांति पर कांग्रेस विधायक सचिन पायलट की ओर से फिर से 21 विधायकों वाला बयान दिया गया। इस बयान के बाद कांग्रेस में सियासत तेज हो गई है और कहा जा रहा है कि पायलट बेवजह दबाव बनाने में जुटे हैं। प्रदेश संगठन में पायलट गुट को अच्छी जगह मिलने के बाद वह चाहते हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों में उनके गुट को सबसे ऊपर रखा जाए, जो संभव होता दिखाई नहीं दे रहा है।

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पायलट 21 विधायकों का बयान बार-बार देकर यह जताना चाहते हैं कि उनकी वजह से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है। जबकि किसी संगठन में व्यक्ति विशेष बड़ा नहीं होता है, बल्कि संगठन बड़ा होता है, संगठन में व्यक्ति तो आते-जाते रहते हैं।

सूत्रों का कहना है कि पायलट को यह बयान बार-बार देने से पहले विधानसभा में शांति धारीवाल की ओर से भाजपा को दिए गए जवाब को भी सुन लेना चाहिए, क्योंकि यह जवाब अब पायलट पर भी फिट बैठता है। विधानसभा में भाजपा विधायकों ने कांग्रेस पर 21 सीटें लाने का तंज कसा था। इसके जवाब में धारीवाल ने कहा था कि हम 21 हैं 19 नहीं है। लेकिन पायलट ने तो कांग्रेस से बगावत कर अपना पूरा जोर लगा लिया, लेकिन वह 19 ही रह गए और 19 से ज्यादा विधायक उनके समर्थन में नहीं आए।

कार्यकर्ता कह रहे हैं कि अहंकार आदमी को ले डूबता है। यह वही कांग्रेस है जो पूर्व में 153 सीटें लेकर आई थी। उस समय अशोक गहलोत प्रदेशाध्यक्ष बने थे और वह भाजपा के प्रमुख चेहरे भैरोंसिह शेखावत को टक्कर देकर पहली बार इतनी सीटें लाने में कामयाब हुए थे। इसके बाद उन्होंने 2008 में भी 96 विधायकों के बलबूते पांच सालों तक सरकार चला ली थी। अल्पमत में रहते हुए पांच साल सरकार चलाना बड़ी बात है।

दूसरे गुटों के लोग अब पायलट पर सवाल दाग रहे हैं कि वह यह भी बताएं कि उनके प्रदेशाध्यक्ष रहते कांग्रेस दो बार लोकसभा की सभी सीटें क्यों हार गई? मंत्री होने के बावजूद पायलट अजमेर से कैसे हार गए? फिर अजमेर छोड़ कर टोंक क्यों चले गए? कांग्रेस कार्यकर्ताओं को इन सवालों के जवाब भी चाहिए।

सूत्रों का कहना है कि संगठन से बगावत के बावजूद पायलट गुट को जो कुछ मिल रहा है, वह काफी है, वरना यह गुट तो इसका भी हकदार नहीं है। अब समय जब सरकार को बचाने वालों को पद देने का है तो फिर से गुटबाजी शुरू की जा रही है। प्रदेश में यात्राएं करके दम दिखाया जा रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि सरकार के खिलाफ बगावत के इस प्रकरण को कांग्रेस जल्दी भूलने वाली नहीं है।

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