प्रदेश में बिजली के संकट (Power crisis) पर एक बार फिर राजनीति शुरू हो गई है और शब्दबाण चलने लगे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Ex CM Vasundhara Raje) ने प्रदेश में बिजली संकट पर गहलोत सरकार पर निशाना साधा और कहा कि राजस्थान सरकार (Rajasthan government) के कुप्रबंधन (mismanagement) की वजह से राज्य में बिजली संकट उत्पन्न हुआ है। राजे ने बयान जारी कर कहा कि राजस्थान सरकार ने प्रदेशवासियों को बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित कर दिया है। गहलोत राज में गांवों और शहरों में बिजली कटौती से सभी त्रस्त हैं, जबकि भाजपा कार्यकाल में 24 घंटे घरेलू बिजली मिलती थी।
राजे ने कहा कि सरकार ने कोयले का भुगतान सही समय पर नहीं किया, इसलिए परेशानी खड़ी हो गई है। कोयले की कमी के कारण प्रदेश में पर्याप्त बिजली का उत्पादन नहीं हो पा रहा है, जबकि भाजपा के कार्यकाल में कोयले का समय पर भुगतान किया गया और कोयले की कभी कमी नहीं आने दी गई। बिजली उत्पादन निर्बाध रूप से होता रहा। उस सयम बिजली प्रबंधन इतना मजबूत था कि बिजली की कमी आना तो दूर बल्कि बिजली सरप्लस रहती थी, लेकिन अब आम उपभोक्ता को पर्याप्त बिजली नहीं मिल पा रही है। किसानों और इंडस्ट्री को भी पर्याप्त मात्रा में बिजली नहीं मिल पा रही है।
राजे ने कहा कि बिजली का स्थाई शुल्क और एनर्जी चार्ज बढ़ाकर इस सरकार ने उपभोक्ताओं पर भारी बोझ डाला है। वास्तविक रीडिंग की बजाय लोगों को एवरेज बिल थमाया जा रहे हैं। हमारे समय में दाम कम और बिजली फुल रहा करती थी। अब दाम ज्यादा और बिजली गुल रहा करती है।