जयपुर

जयपुर नगर निगम ग्रेटर में नहीं चली चौधराहट, पहले आदेश में ही मुंह की खाई

निगम ग्रेटर के अधिकारी करेंगे अतिरिक्त आयुक्त के कमरे में हाजिरी दर्ज

जयपुर। नगर निगम ग्रेटर में जूनियर अधिकारियों को ‘बॉस’ बनाने का मामला गरमाता जा रहा है। इस मामले में निगम के आरएएस, आरएमएस और राजस्व अधिकारियों में भारी रोष व्याप्त है, लेकिन बॉस बने जूनियर अधिकारी भी सीनियरों के मजे लेने से नहीं चूक रहे हैं। वहीं वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा भी पलटवार की कोशिशें जारी है। ऐसे में कहा जा रहा है कि ग्रेटर में अधिकारियों-कर्मचारियों के बीच विवाद काफी बढ़ सकता है।

कर निर्धारक से सीधे उपायुक्त कार्मिक बनी जूनियर अधिकारी ने सोमवार को आदेश जारी कर ग्रेटर के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को निर्देश दिए थे कि वह सभी तय समय पर कार्यालय आकर ओएस शाखा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं। इस आदेश को देखकर निगम के आरएएस, आरएमएस, आरओ और अन्य अधिकारी भड़क गए और विवाद की स्थितियां खड़ी हो गई।

जानकारी के अनुसार इस विवाद की जानकारी निगम आयुक्त को लगी तो आयुक्त ने अधिकारियों के रोष को शांत करने के प्रयास शुरू कर दिए। कहा जा रहा है कि इसके बाद अतिरिक्त आयुक्त आभा बेनीवाल ने मंगलवार को एक नया आदेश जारी कर मुख्यालय में पदस्थापित अतिरिक्त आयुक्त, समस्त उपायुक्त, वित्तीय सलाहकार, मुख्य अभियंता, निदेशक (विधि) और अतिरिक्त मुख्य नगर नियोजक को निर्देश दिए गए कि वह उनके कमरे में अलग से संधारित उपस्थिति पंजिका में करेंगे। इसके बाद बुधवार को निगम के कुछ अधिकारियों ने अतिरिक्त आयुक्त और कुछ अधिकारियों ने आयुक्त के कमरे में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

निगम सूत्रों का कहना है इस विवाद में नई बनी उपायुक्त कार्मिक की चौधराहट नहीं चल पाई है और अतिरिक्त आयुक्त के आदेश के बाद उपायुक्त कार्मिक को मुंह की खानी पड़ी है। कर निर्धारक से उपायुक्त बनी इन अधिकारी ने इस आदेश से निगम के अन्य अधिकारियों पर प्रभाव डालने की कोशिश की थी, लेकिन अतिरिक्त आयुक्त ने उनकी मंशा भांपते हुए कार्मिक के किए-धरे पर पानी फेर दिया और निगम अधिकारियों में भड़के आक्रोश को थाम दिया।

उधर भड़के हुए निगम अधिकारी अब इस विवाद को ठंडा नहीं होने देने की कोशिश में लगे हैं और कहा जा रहा है कि यह विवाद जल्द ही एसीबी तक पहुंचाया जा सकता है, क्योंकि एसीबी निगम के दलालों के पीछे पड़ी है और निगम के कुछ अधिकारी भी लंबे समय से दलाली का काम करते आए हैं।

निगम अधिकारियों का कहना है कि चौधराहट चलाने के लिए यह आदेश जारी किए गए थे, जबकि ऐसे आदेशों की जरूरत ही नहीं थी। संभागीय आयुक्त डॉ. समित शर्मा की ओर से शुरू किए गए निगरानी व पर्यवेक्षण कार्यक्रम के चलते 17 दिसंबर को ही आयुक्त दिनेश यादव ने आदेश जारी कर ग्रेटर के सभी अधिकारियों को खुद के कमरे में उपस्थिति दर्ज कराने के आदेश दिए थे। जब आयुक्त के कमरे में हाजिरी दर्ज कराने के आदेश पहले से थे तो फिर कार्मिक ने नए आदेश जारी कर चौधराहट करने की कोशिश क्यों की?

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