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राजस्थान में जन आशीर्वाद यात्रा (Jan Ashirwad Yatra) के क्या हैं सियासी (political meaning) मायनेः क्या मिटेगी वसुंधरा-पूनियां गुटों की खींचतान (tussle) , कौन हो सकता है वर्ष 2023 के चुनावों का संभावित मुख्यमंत्री चेहरा (possible chief ministerial face)

राजस्थान में विधानसभा चुनाव हालांकि वर्ष 2023 के अंत तक होंगे लेकिन अगले विधानसभा चुनाव में राजस्थान में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा (possible chief ministerial face) कौन होगा, पिछले करीब एक वर्ष से यह प्रश्न अनुत्तरित रहा है। विशेष तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और वर्तमान प्रदेश भाजपा अध्यक्षक सतीश पूनियां के बीच खीचतान (tussle) ने इस प्रश्न को और उलझा दिया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में नये शामिल हुए भूपेंद्र यादव के नेतृत्व में गुरुवार, 19 अगस्त से शुरू हुई जन आशीर्वाद यात्रा (Jan Ashirwad Yatra) से इस प्रश्न का उत्तर मिल जायेगा या अभी यह यक्ष प्रश्न ही बना रहेगा, इसको लेकर राज्य में चर्चाएं काफी गरम हैं। समझना होगा, इस जन आशीर्वाद यात्रा के सियासी मायने(political meaning)।

भिवाड़ी से शुरू हुई जन आशीर्वाद यात्रा

उल्लेखनीय है कि नयी दिल्ली से राजस्थान में प्रवेश का द्वार कहे जाने जिले भिवाड़ी से आज, 19 अगस्त को भूपेंद्र यादव की जन आशीर्वाद यात्रा शुरुआत हुई है और यह अगले तीन दिनों तीन दिनों में 400 किलोमीटर का सफर तय करने वाली है। इस यात्रा में आमजन को भी निमंत्रित किया गया है और यात्रा से संबंधित जारी पोस्टरों में आमजन के लिए ‘पधारो सा’ लिखा गया है।

हर पांच वर्ष में सत्ता परिवर्तन की परम्परा

एक बात यह भी ध्यान देने योग्य है कि राजस्थान में करीब दो दशकों से हर पांच वर्ष में सत्ता बदल जाने की परम्परा सी बनी हुई है और इसी परम्परा के आधार पर मानकर चला जाने लगा है कि वर्ष 2023 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ही राजस्थान में सत्तारूढ़ होगी।  यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश राजनीति में अगले चुवाव के दौरान मुख्यमंत्री का चेहारा कौन रहेगा, इसे लेकर अभी से माहौल गर्माया हुआ है। वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां व दो बार मुख्यमंत्री रह चुकीं वसुंधरा के गुटों के बीच खींचतान दिखाई देती है।

ऐसे शुरू हुई पोस्टर वार और बढ़ी खींचतान

यह खींचतान तब और बढ़ गयी जब चंद महीनों पहले राजस्थान भाजपा की राजनीति में ‘ पोस्टर वार’ शुरू हो गयी। इस पोस्टर विवाद की शुरुआत तब हुई जब भारतीय जनता पार्टी प्रदेश मुख्यालय के मुख्य होर्डिंग से वसुंधरा राजे का फोटो हटा दिया गया था। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थक नेताओं ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी। इसके बाद दोनों गुटों की ओर से बयानबाजी शुरू हो गयी। पूर्व मंत्री रोहिताश्व कुमार ने तो एक बयान में वसुंधरा राजे के राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री बनने की घोषणा तक दी थी। इसके बाद हालाकि रोहिताश्व को प्रदेश भाजपा की ओर से नोटिस थमा दिया गया लेकिन इन सबके बावजूद उन्होंने राजे को प्रदेश का सबसे बड़ा नेता बताया।

पूनियां को दिखाये गये काले झण्डे

इन सारी घटनाओं के बीच जुलाई 2021 में प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां अलवर पहुंचे तो वहां उनको पोस्टर लगने के साथ-साथ राजे के नाम के भी अलग से बैनर और पोस्टर लगे हुए थे। इसके अलावा पूनियां को वहां किसान बिलों के विरोध में काले झण्डे भी दिखाये गये थे।

क्या होगा खींचतान का पटाक्षेप या मिलेगा नया चेहरा

अब जबकि केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव की जन आशीर्वाद यात्रा की भिवाड़ी से शुरुआत से पहले की गई सभा में मंच पर लगे बड़े बैनर में वुसंधरा राजे का फोटो था। इसके बाद से ही यह कयास लगाये जा रहे हैं कि जन आशीर्वाद यात्रा के बहाने राजस्थान की राजनीति में पोस्टर वार के रूप में दिख रही खींचतान का पटाक्षेप हो जाएगा। इस बात की भी प्रबल आशंका है कि राजे को पोस्टर में जगह मिलने के साथ ही राजे को राजस्थान की सबसे बड़ी नेता होने के नाम पर मुख्यमंत्री के चेहरे को स्वीकार कर लिया जाये। संभावना यह भी व्यक्त की जा रही है कि राज्य भाजपा में चल रही खींचतान को समाप्त करके केंद्रीय नेतृत्व या तो भूपेंद्र यादव को ही नये चेहरे के तौर पर लांच कर दे या फिर अन्य विभिन्न राज्यों के चुनावों की तरह बिना मुख्यमंत्री के चेहरे के ही वर्ष 2023 में संभावित चुनाव में उतरे।

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