राजस्थान सरकार ने कहा है कि सवाई मानसिंह अस्पताल में संचालित ब्लड बैंक से प्लाज्मा का विक्रय नियमानुसार प्रक्रिया अपनाकर किया गया है। इस मामले किसी तरह कोई गड़बड़ी या घोटाला नहीं हुआ। राज्य सरकार की ओर से कहा है कि राज्य सरकार ने नियमानुसार जो प्लाज्मा बेचा गया उससे करीब एक करोड़ 30 लाख रुपए की आय हुई है। यह राशि आरएमआरएस में जमा की गई है।
राज्य सरकार ने कहा है कि प्लाज्मा का विक्रय निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार किया जाता है तथा खराब प्लाज्मा का निस्तारण भी पूर्ण प्रक्रिया का पालन करते हुए किया जाता है। सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. दीपक माहेश्वरी ने बताया कि अस्पताल के ब्लड सेंटर से प्लाज्मा का विक्रय निजी कम्पनियों को ऑक्शन के माध्यम से किया जाता है। इस प्रक्रिया के तहत ही 14 जून, 2024 को आईकोर बाइलॉजिक्स लिमिटेड कंपनी को 700 लीटर प्लाज्मा बेचे जाने का आदेश किया गया था, जिसके अनुसार कम्पनी ने करीब 485 लीटर प्लाज्मा ब्ल्ड सेंटर से उठा लिया है।
ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. परमेन्द्र पचौरी ने बताया कि कम्पनी ने करीब 200 लीटर प्लाज्मा फैटी, क्लोटेट, लीकेज एवं कलर चेंज बताते हुए उठाने से इनकार कर दिया। कम्पनी का कहना है कि यह प्लाज्मा मापदण्डों के अनुसार नहीं था। इस प्लाज्मा का भी सेग्रीगेशन, सेपरेशन एवं ट्रीटमेंट कर निस्तारण कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि खराब प्लाज्मा का रिकॉर्ड रजिस्टर में दर्ज है और इसे निस्तारण हेतु बायोमेडिकल वेस्ट गाडी को हस्तांतरित करने के लिए रखा गया था।
उन्होंने बताया कि प्लाज्मा का विक्रय किए जाने हेतु ट्रोमा सेंटर से उच्च अधिकारियों को पत्र भी लिखा गया था, लेकिन आचार संहिता के चलते प्रक्रिया नहीं हो सकी। अगर किसी स्तर पर लापरवाही रही है तो संबंधित अधिकारियों के विरूद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।