जयपुर

राजस्थान की प्रस्तावित खनिज नीति में इंवेस्टमेंट फ्रैण्डली, वैज्ञानिक दोहन, रोजगारपरक और पारदर्शिता पर होगा जोर

माइंस एवं पट्रोलियम विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल ने कहा है कि राजस्थान की प्रस्तावित नई खनिज नीति अन्य प्रदेशों की तुलना में अधिक पारदर्शी, निवेशपरक, खनिज खोज और दोहन को बढ़ावा देने वाली और अधिक राजस्व बढ़ाने वाली होगी। उन्होंने नई खनिज नीति का प्रारुप 15 दिवस में राज्य सरकार को प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।

अग्रवाल शुक्रवार को सचिवालय से वीसी के माध्यम से नई खनिज नीति का प्रारुप तैयार कर रही समिति के सदस्यों से रुबरु हो रहे थे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले दिनों कहा था कि खनन के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए राजस्थान को पूरी प्रतिवद्धता, तकनीक का बेहतर उपयोग, कार्यशैली में पारदर्शिता और इंवेस्टमेंट फ्रैण्डली नई खनिज नीति जल्दी ही जारी की जाएगी। गहलोत की पहल और दिशा-निर्देशों के अनुसार राज्य की नई खनिज नीति को अंतिम रूप दिया जा रहा है। नई खनिज नीति में माइंस एवं पेट्रोलियम मंत्री प्रमोद जैन भाया ने अन्य प्रदेशों की खनिज नीति के अध्ययन कर उनके सकारात्मक पक्षों का भी समावेश करने को कहा है।

अग्रवाल ने बताया कि राज्य की नई खनिज नीति में खनिज संपदा के वैज्ञानिक दोहन, पारदर्शी तरीके से खनिज लीजों का आवंटन, रोजगार परक, जीरो वेस्ट खनन और पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया जाएगा। समिति द्वारा खनिज नीति का प्रारूप लगभग तैयार कर लिया गया है और चर्चा के दौरान आए आवश्यक सुझावों का समावेश करते हुए समिति को 15 दिनों में प्रस्तावित नीति का प्रारूप प्रस्तुत करने को कहा गया है।

नई खनिज नीति का उद्देश्य राज्य में खनिज संपदा का संरक्षण करते हुए खनन गतिविधियों का संचालन, लोगों को अधिक से अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने और इस क्षेत्र में निवेशकों को आकर्षित करते हुए प्रदेश में खनन क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के साथ ही राजस्व बढ़ाना है। नई नीति में व्यवस्था के सरलीकरण पर भी जोर दिया जा रहा है।

गौरतलब है कि राज्य में नई खनिज नीति का प्रारुप तैयार करने के लिए अतिरिक्त निदेशक एनके कोठारी की अध्यक्षता में अजय शर्मा अतिरिक्त निदेशक भूविज्ञान बीएस सोढ़ा अतिरिक्त निदेशक माइंस, एसएमई एनएस शक्तावत और एसके शर्मा एमई की पांच सदस्यीय समिति गठित की गई है। समिति ने छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, उडीसा व आंधप्रदेश आदि राज्यों की खनिज नीति का अध्ययन भी करने के साथ ही राज्य की आवश्यकताओं के अनुरुप नीति को अंतिम रूप दे रही है।

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