जयपुर। राजभवन और सरकार के बीच विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने को लेकर चल रही रस्साकशी के बीच बुधवार को राज्यपाल कलराज मिश्र ने सरकार की ओर से भेजा गया तीसरा प्रस्ताव भी वापस लौटा दिया है। राज्यपाल की ओर से कहा गया कि संविधान प्रजातांत्रिक मूल्यों की आत्मा है। नियमानुसार सदन आहूत करने में कोई आपत्ति नहीं है।
राज्यपाल की ओर से प्रस्ताव अस्वीकार करने के लिए संविधान की अनुच्छेद 174 (1) का हवाला दिया गया है। इसके तहत राज्यपाल साधारण परिस्थिति में मंत्रिमंडल की सलाह के अनुरूप ही कार्य करेंगे और अनुच्छेद को मानने के लिए बाध्य होंगे, लेकिन यदि परिस्थितिया विशेष हों तो ऐसी स्थिति में राज्यपाल यह सुनिश्चित करेंगे कि विधानसभा का सत्र संविधान की भावना के अनुरूप आहूत किया जाए। इसलिए राज्यपाल की ओर से प्रकरण में सकारण, सदभावना और सावधानी के आधार पर निर्णय लिया गया है।
राज्यपाल की ओर से कहा गया है कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कोरोना महामारी का प्रकोप है। प्रदेश में एक महीने में एक्टिव केस की संख्या तीन गुने से भी ज्यादा बढ़ गई है। ऐसे में अकारण 1200 लोगों का जीवन खतरे में क्यों डाला जाए।
विधानसभा के सदस्य राज्य और राज्य के बाहर अलग-अलग स्थानों पर बाड़ेबंदी में है। ऐसे में उनकी विधानसभा में उपस्थिति, स्वतंत्र रूप से कार्य संपादन, स्वतंत्र इच्छा और स्वतंत्र आवागमन सुनिश्चित करना राज्यपाल का संवैधानिक कर्तव्य है।
सामान्य प्रकिया के अनुरूप यदि किसी परिस्थिति में सत्र बुलाना हो तो 21 दिन का नोटिस दिया जाना आवश्यक है। यदि कोई विशेष कारण है तो सरकार कारण का उल्लेख करे।
यह भी कहा गया कि सरकार की ओर से पूर्व में मांगी गई जानकारी का कोई भी स्पष्ट और सकारण जवाब नहीं दिया गया है। उनके द्वारा यह अपेक्षा की गई थी कि सत्र को अल्पावधि के नोटिस पर बुलाने का कोई युक्तियुक्त और तर्कसंगत कारण हो तो दिया जाए। ऐसी परिस्थितियों में उचित होगा कि सरकार वर्षाकालीन सत्र जैसे नियमित सत्र को 21 दिन के नोटिस पर बुलाए।