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5 दिवसीय महापर्व का दूसरा दिन रूप चतुर्दशी (Roop Chaturdashi) या नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi), यम(Yama)से प्रार्थना करें कि परिवार किसी में अकाल (premature death) मौत ना हो

रूप चतुर्दशी का मुहूर्त प्रदोष काल सायं 05.41  से 08.17 तक  है

पांच दिवसीय दीप महापर्व पर्व का दूसरा पर्व है रूप चतुर्दशी (Roop Chaturdashi)। संवत् 2078  में धनतेरस के बाद 3 नवंबर 2021 को इसे मनाया जाना है। इसे छोटी दीपावली या नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) भी कहा जाता है। यह त्योहार उन लोगों को भी मनाना चाहिए जिन परिवारों में किसी की मौत आदि के कारण से यह त्योहार नहीं मनाया जाता हो। भगवान श्री कृष्ण ने इस दिन नरकासुर का वध किया था इसलिए इस दिन का नाम नरक चतुर्दशी पड़ गया।

इस तरह करें पूजनः- नरक चतुर्दशी पर संध्या समय सरसों अथवा तिल्ली के तेल के दीपक प्रज्ज्वलित करना चाहिए। घर के मुख्य द्वार पर यानी घर के बाहर यम दीपक प्रज्ज्वलित करें और धर्मराज के साथ पितरों का विशेष ध्यान करें। उन्हें नमन करके जीवन में मंगल हो, इसकी कामना करनी चाहए। विशेषतौर पर इस  दिन धर्मराज यम (Yama) और पितरों से यह प्रार्थना करें परिवार में किसी की कभी अकाल मृत्यु (premature death) न हो। ध्यान देने योग्य बात यह है कि जो भी दीप प्रज्ज्वलित करे वह पांच दीपक जरूर जलाये। एक अपने पूजा घर में, दूसरा रसोई में, तीसरा पानी के स्थान के पास, चौथा पीपल के पेड़ के नीचे और पांचवा यम दीपक देर रात्रि का प्रज्ज्वलित करना चाहिए। उल्लेखनीय यह है कि यम दीपक चार मुखी होना चाहिए। रूप चतुर्दशी का मुहूर्त प्रदोष काल सायं 05.41  से 08.17 तक  है

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