सरस राष्ट्रीय क्रा़फ्ट मेला जयपुर के रामलीला मैदान में बुधवार, 10 मार्च से शुरू हुआ। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस मेले का वर्चुअल उद्घाटन किया। मेले में राजस्थान सहित देश के बिहार, नागालैंड, दमन- दीव, महाराष्ट्र, अरूणाचल प्रदेश आदि राज्यों की स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी 300 महिला उत्पादक और शिल्पकार भाग ले रहे हैं। मेले के पहले ही दिन टेराकोटा, पलाश के फूलों से बने हर्बल गुलाल, ब्लेक और ब्ल्यू पाॅट्री, जूट और कपड़ों से बने सामानों की स्टाॅलों पर शहरवासियों की भीड़ रही।
ग्रामीण महिलाओं द्वारा निर्मित मनमोहक कालीन, जरी की कढ़ाई किए गए कपड़े, डोरिया, लहरिया, बाड़मेरी प्रिंट, टेराकोटा, बिहार की मधुबनी कलाकृतियों मेंले में लोगों ने खूब सराहा। हर्बल गुलाल, आधुनिक और परम्परागत वस्त्र बांस व जूट के उत्पाद सेरमिक उत्पाद, ब्लेक और ब्ल्यू पाॅट्री अनेक प्रकार का घरेलू सामान, सजवाट की वस्तुओं की लोगों ने खूब खरीददारी की।
सुबह 11 से रात 9 बजे तक आयोजित मेले में देश के विभिन्न राज्यों की कलाकृतियां परम्परागत व्यंजन आकर्षण का केंद्र रहे। रात के समय राजस्थानी लोक नृत्य और गीत की प्रस्तुतियों ने माहौल में राजस्थानी संस्कृति के रंग घोले। ग्रामीण और पंचायती राज विभाग के एसीएस. वरिष्ठ आईएएस श्री रोहित कुमार सिंह ने ग्रामीण महिला आत्मनिर्भरता और सशक्तीकरण के लिए राजीविका द्वारा किए जा रहे कार्यों के बारे में जानकारी दी। राज्य मिशन निदेशक (आईएएस.) श्रीमती शुचि त्यागी ने सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।
आत्मनिर्भर बनने से जीवन को नई दिशा
राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद्(राजीविका)और ग्रामीण विकास विभाग की ओर से आयोजित इस मेले में राजस्थान के एक स्वयं सहायता समूह की सदस्य श्रीमती बृजेश भार्गव ने मुख्यमंत्री के साथ हुए संवाद में बताया कि पहले उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद उनके हुनर को नई पहचान मिली आत्मविश्वास में वृद्धि हुई। अपनी कला और परिश्रम से परिवार आर्थिक रूप से काफी मजबूत हुआ है। आत्मनिर्भर बनने से जीवन को नई दिशा मिली है।