धर्म

दीपावली महापर्वः अपने पितरों को याद करें और उनका आशीर्वाद लें

अरुण कुमार, एस्ट्रोलॉजर

आज के भौतिक युग में जिसे देखो वो एक अंधी दौड़ में भाग रहा है। आर्थिक समृद्धि पाने के लिए इन्सान लगातार काम कर रहे हैं,घर के सभी सदस्य किसी ना किसी प्रकार से धन अर्जित करने की कोशिश कर रहे है। आज वो युग नहीं है, जब इन्सान दाल रोटी खाकर ही सुखी था। लोग अत्यधिक परिश्रम कर रहे हैं, फिर भी वो प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं, जिसको वो चाहते हैं। इस बार दीपावली महापर्व पर अपने पितृदेवताओ को याद कीजिए और जीवन में खुशियों का संचार कीजिए।

ऐसे करें तर्पण

दीपावली वाले दिन प्रातःकाल जल्दी उठ कर अपने नित्य कर्म से मुक्त हों। तत्पश्चात एक चौड़े मुँह के बर्तन में एक लोटे में जल लें। इस जल में गंगाजल, काले तिल, जौ, कच्चा दूध, बताशा या शहद  मिला लें। दक्षिण दिशा की तरफ मुँह करके अपनी सात पीढ़ियों के पूर्वजो को याद करते हुए 14 बार जलांजलि देवे, तर्पण करे। जब भी जलांजलि दे तब इस मंत्र का उच्चारण करें।  “ ॐ पितृ देवताभ्यो नमः” इस प्रकार 14 बार मंत्र हो जाएगा। दीपावली के दिन अगर आप उपवास रखे तो अतिउत्तम है। उपवास में दूध और फल ले सकते हैं। संध्या समय लक्ष्मी पूजन से पहले दक्षिण दिशा की तरफ अपना मुख करके अपने पितरों को याद करे और घर में आने का आमंत्रण दे। लक्ष्मी पूजन से पूर्व खीर जरूर बनाये। पूजन के समय दो कटोरियों में खीर लें, एक लक्ष्मी पूजन की और दूसरी पितरों के लिए।

पितरों से मांगे मनवांछित फल

लक्ष्मी पूजन के पश्चात पितरों का पूजन करें और संकल्प करके अपनी मनवांछित इच्छा उनसे कहे। पितरों की खीर की कटोरी में से प्रसाद लें और थोड़ी बचा लें। बची हुई खीर दूसरे दिन सुबह दो रोटी पर रख कर गाय को देवे। गाय को रोटी देते समय मन में यह बोलें, “ हे पितृ देवताओं भोजन ग्रहण करे और शुभ आशीर्वाद प्रदान करें।“। यह तर्पण आप सभी अमावस्या पर भी कर सकते हैं। अगर आप तर्पण करने में पुरुष किसी प्रकार से अयोग्य हों तो किसी योग्य पंडित से भी करवा सकते हैं परंतु आप तर्पण जरूर करें और सुख, शांति और समृद्धि को प्राप्त करें।

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