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सुब्रत रॉय तो रहे नहीं..तो अब जानिए अब कैसे मिलेगा सहारा में आपका फंसा हुआ पैसा

सहारा इंडिया के संस्थापक सुब्रत रॉय केे निधन के बाद से निवेशक चिंतित हैं कि उनके निवेश किए गए रुपये का क्या होगा। अगर आपने भी सहारा में पैसा इन्वेस्ट किया है आइए जानते हैं कैसे मिलेगा आपका पैसा।
सहारा इंडिया ग्रुप के संस्थापक सुब्रत रॉय का 14 नवंबर को निधन हो गया। इससे एक ओर जहां शोक का माहौल है, वहीं दूसरी तरफ निवेशकों के मन में कई सवाल आ रहे हैं। दरअसल, करोड़ों निवेशकों ने सहारा की 4 को-ऑपरेटिव सोसाइटीज में निवेश किया था। काफी इंतजार के बाद उन्हें अपने जमा पैसे मिलने की आस जगी थी। सहारा चीफ के निधन के साथ ही क्या यह आस खत्म हो गई है या फिर उनका पैसा मिलेगा? अगर आपने भी सहारा में पैसा लगाया हुआ था तो जानिए कैसे वापस मिलेगा आपका पैसा…!
सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में सहारा ग्रुप को लगभग तीन करोड़ निवेशकों को ब्याज के साथ उनका पैसा लौटाने का आदेश दिया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने पैसे वापस कराने के लिए एक पोर्टल बनाया। इस पर अपना वापस लेने के लिए लाखों लोगों ने आवेदन किया है।
सहारा रिफंड पोर्टल के लिए चार समितियां हैं उत्तरदायी
1. सहारा क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, लखनऊ
2. सहारायन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज सोसाइटी लिमिटेड, भोपाल
3. हुमारा इंडिया क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, कोलकाता
4. स्टार्स मल्टीपर्पज को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, हैदराबाद
इन चारों के जरिए सहारा के निवेशकों को पैसा मिलेगा। पोर्टल पर कहा गया है, ‘जमाकर्ताओं से अनुरोध है कि वे सभी चार समितियों से संबंधित सभी दावों को एक ही दावा आवेदन पत्र में प्रस्तुत करें। केवल पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन दर्ज किए दावों पर ही विचार किया जाएगा। दावा प्रस्तुत करने के लिए कोई शुल्क नहीं है। किसी भी तकनीकी समस्या हेतु आप दिए गए समिति के टोल फ्री नंबरों ( 1800 103 6891 / 1800 103 6893) पर संपर्क करें।’
सेबी ने वापस कराए थे रुपये
बता दें इससे पहले सेबी ने 11 साल में सहारा की दो कंपनियों के निवेशकों को 138.07 करोड़ रुपये वापस किए हैं। इसके साथ ही स्पेशल तौर से खोले गए बैंक खातों में जमा की गई रकम बढ़कर 25,000 करोड़ रुपये से अधिक है। निवेशकों का पैसा सेबी के पास है और ऑनलाइन आवेदन करने वालों को मिलना तय है।
ऐसे फंस गए थे सुब्रत रॉय
सहारा इंडिया रियल एस्टेट और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन ने 2008 से 2011 के बीच ओएफसीडी से तीन करोड़ से अधिक निवेशकों से 17,400 करोड़ रुपये जुटाए थे। सितंबर, 2009 में सहारा प्राइम सिटी ने आईपीओ लाने के लिए सेबी के सामने दस्तावेज पेश किए। एक निवेशक की शिकायत पर सेबी ने अगस्त, 2010 में दोनों कंपनियों की जांच के आदेश दिए। इसके बाद करीब तीन करोड़ निवेशकों का पैसा कंपनी में फंस गया।

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