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सियासी संग्राम के बीच वायरल वीडियो ने मचाई हलचल

स्पीकर सीपी जोशी और वैभव गहलोत के बीच वार्ता का वीडियो वायरल

जयपुर। राजस्थान के सियासी संग्राम के बीच वायरल हुए एक वीडियो ने फिर से हलचल मचा दी है। यह वीडियो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत और विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी के बीच वार्ता का है। हालांकि इस वीडियो में नया कुछ नहीं है, पिछले दिनों हुए राजनीतिक घटनाक्रम पर चर्चा हो रही है, लेकिन विपक्ष को एक बार फिर इस वीडियो के जरिए सरकार और स्पीकर पर निशाना साधने का मौका मिल गया है।

वीडियो में जोशी गहलोत से यह बोलते नजर आ रहे हैं कि ‘मामला टफ है— 30 लोग निकल जाते तो सरकार गिरा देते– आप कुछ नहीं कर सकते थे, हल्ला करके रह जाते—अपने हिसाब से उन्होंने कॉन्टेक्ट किया, इसलिए हो गया, दूसरे के बस की बात नहीं थी’।

बातचीत से साफ है कि यह मुख्यमंत्री गहलोत के लिए हो रही है। जोशी कह रहे हैं कि दूसरी बार बाड़ेबंदी से पहले यदि 30 विधायक निकल जाते, तो सरकार कुछ नहीं कर पाती, हल्ला मचाकर रह जाती और वो सरकार गिरा देते, लेकिन गहलोत ने अपने हिसाब से विधायकों से संपर्क किया, इसलिए सरकार बच गई, कोई अन्य यह काम नहीं कर सकता था।

बुधवार को स्पीकर जोशी का जन्मदिन था। इसी अवसर पर वैभव गहलोत उन्हें शुभकामनाएं देने के लिए गए थे और उसी समय प्रदेश में पिछले दिनों में हुए राजनीतिक घटनाक्रम पर चर्चा हुई थी। इसी दौरान किसी ने यह वीडियो बनाया और वायरल कर दिया। जानकारों का कहना है कि इस वीडियो से कुछ होने-जाने वाला नहीं है, लेकिन विपक्ष को सरकार और स्पीकर पर निशाना साधने का मौका जरूर मिल गया है।

भाजपा ने इसका फायदा भी उठाया और तुरंत ही भाजपा नेताओं के बयान इस मामले में आ गए। वीडियो वायरल होने के साथ ही भाजपा ने स्पीकर की भूमिका पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया का कहना है कि जोशी को मुख्यमंत्री गहलोत और सरकार बचाने की चिंता है, जो उनकी निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करता है।

विधानसभा अध्यक्ष का पद संवैधानिक होता है, वीडियो में जिस तरह से वह राजनीतिक चर्चा कर रहे हैं, उससे उनकी भूमिका पर सवाल खड़ा होता है। जिस प्रकार का प्रश्न स्पीकर की भूमिका पर खड़ा हुआ है, उसके बाद जोशी को खुद नैतिकता के आधार पर अपना पद छोड़ देना चाहिए।

बिना आधार के संयम लोढ़ा के विशेषाधिकार हनन का नोटिस स्वीकार करना, कांग्रेस से बागी हुए विधायकों के लिए सरकार के इशारे पर रातों-रात विधानसभा सचिवालय खुलवाकर नोटिस जारी कर देना, यह ऐसे सवाल हैं जिसमें स्पीकर की भूमिका पर सवाल उठना लाजमी है। नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि वीडियो की प्रमाणिकता पर स्पीकर ही स्थिति को स्पष्ट करें।

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