जयपुर

दिल्ली में प्रधानमंत्री और कांग्रेसी सांसदों की आंखों में आंसू, जयपुर में भाजपा और कांग्रेसी पार्षदों के बीच हुई धक्का-मुक्की, बिना चर्चा 783.6 करोड़ का बजट पारित

जयपुर। नगर निगम हैरिटेज की पहली बजट बैठक कांग्रेस और भाजपा में चल रही अंदरूनी राजनीति के कारण हंगामे की भेंट चढ़ गई। सत्ता पक्ष और विपक्षी पार्षदों के बीच हाथापाई की नौबत आ गई। ऐसे में कहा जा रहा है कि शहर के पार्षदों को आज दिल्ली में राज्यसभा में हुए घटनाक्रम से सीख लेनी चाहिए और जनता की भलाई के लिए काम करना चाहिए, न कि अपनी राजनीति के लिए।

राज्यसभा में आज कांग्रेस के चार सांसदों का फेयरवैल था। चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गला भर आया और आवाज भरभरा गई। आंखों में आंसू तो मोदी और कांग्रेस के सांसद गुलाम नबी आजाद दोनों के ही आ गए। उधर दूसरी तरफ जयपुर में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच संग्राम की नौबत आ गई।

निगम सूत्रों का कहना है कि बजट बैठक में हुआ हंगामा खालिस राजनीतिक कारणों से हुआ है। भाजपा पार्षद दल में कुछ पुराने पार्षदों में नेता प्रतिपक्ष की दौड़ चल रही है, ऐसे में इन पार्षदों ने जनहित को भुलाकर बैठक को अपना चेहरा चमकाने का जरिया बना लिया। भाजपा पार्षद दल में मनीष पारीक, कुसुम यादव, महेंद्र ढ़लेत और महेश कलवानी में नेता प्रतिपक्ष बनने की दौड़ चल रही है और यही पार्षद हंगामे में सबसे आगे रहे।

सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस पार्षद दल में प्रताप सिंह खाचरियावास और महेश जोशी के दो गुट बने हुए हैं। कहा जा रहा है कि खाचरियावास गुट सदन में चर्चा कराना चाहता था, लेकिन महेश जोशी गुट चर्चा के विरोध में था। भाजपा पार्षदों के हंगामे के बाद सदन में दोनों दलों के पार्षदों के बीच हाथापाई की नौबत भी इसी कारण से आई। कहा जा रहा है कि हंगामे को बढ़ाने के लिए ही कांग्रेसी पार्षद वैल में आ गए थे, जबकि उनको वैल में आने की जरूरत ही नहीं थी।

बैठक में महापौर मुनेश गुर्जर ने 783.60 करोड़ रुपए का बजट पेश किया। बजट पेश करने के साथ ही भाजपा पार्षदों ने हंगामा करना शुरू किया तो कांग्रेस के पार्षद भी सामने आ डटे। वैल में दोनों पक्षों के बीच धक्का-मुक्की की नौबत आ गई। हंगामे के बीच महापौर बैठक से चली गई। कुछ समय बाद महापौर वापस आई तो फिर हंगामा शुरू हो गया। भाजपा पार्षद इस दौरान वैल में ही डटे रहे। टेबल पर चढ़कर नारेबाजी की गई और टांगाटोली की नौबत आ गई। महापौर ने हंगामे के बीच ही अन्य प्रस्ताव पेश किए । उन्होंने बजट पारित होने की घोषणा कर दी और तुरंत बैठक को स्थगित कर दिया।

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