जयपुर

कॉम्पलेक्स बनाने के लिए भरे बाजार टूट रहा विश्व विरासत शहर जयपुर

जौहरी बाजार में पुरोहितजी कटले के दरवाजे पर हो रहा अवैध निर्माण

जयपुर। राजधानी जयपुर को विश्व विरासत शहर का तमगा मिले अभी ज्यादा दिन भी नहीं बीते और परकोटे में भरे बाजार पुरानी हवेलियों को तोड़कर मिलीभगत से कॉम्पलेक्स बनाने का धंधा शुरू हो गया है। हैरानी की बात यह है कि जिस हैरिटेज नगर निगम को परकोटे की विरासत संभालने के लिए बनाया गया है, उसी निगम के अधिकारी सिर्फ नोटिस देकर अपने काम की इतिश्री कर रहे हैं। परकोटे की प्राचीन इमारतों में इसी तरह से तोड़फोड़ होती रही तो शहर को मिला यह तमगा छिनने में भी देर नहीं लगेगी।

परकोटे के मूल स्वरूप को बिगाड़ने का ताजा मामला सामने आया है जौहरी बाजार में। बाजार स्थित पुरोहितजी कटले के गेट पर बड़े-बड़े फ्लेक्स की आड़ में यह अवैध निर्माण चल रहा है। रूप लक्ष्मी साड़ी प्रतिष्ठान के मालिकों की ओर से यह अवैध निर्माण किया जा रहा है। जानकारी आई है कि इस प्रतिष्ठान के मालिक ने अपनी दुकान के पीछे स्थित प्राचीन हवेली के कई फ्लोर खरीद लिए हैं और अब वहां पर पुराना निर्माण तोड़कर नया कॉमर्शियल निर्माण धड़ल्ले से जारी है।

निर्माण को छिपाने के लिए कटले के गेट और दुकानों के ऊपर बड़े-बड़े फ्लेक्स लगाए गए हैं, लेकिन इन फ्लेक्स से उनकी यह कारगुजारी नहीं छिप पाई है। कहा जा रहा है कि इन्हीं लोगों की ओर से परतानियों के रास्ते में पहले चौराहे पर भी एक प्राचीन हवेली को तोड़कर कॉम्पलेक्स का निर्माण किया जा रहा था। करीब छह महीने पूर्व निगम की ओर से यह निर्माण सील किया जा चुका है।

नोटिस दिया, लेकिन कार्रवाई नहीं की

मुख्य जौहरी बाजार में चल रहे इस अवैध निर्माण के संबंध में जब नगर निगम हैरिटेज के किशनपोल जोन उपायुक्त रामकिशोर मीणा से जानकारी ली गई, तो उनका कहना था कि यह निर्माण उनकी नजर में है और निर्माणकर्ताओं को शायद नोटिस दिया जा चुका है। इस मामले को दिखवाते हैं। अब सवाल उठता है कि क्या नोटिस देकर ही निगम उत्तरदायित्व पूरा हो गया? उपायुक्त ने यहां काम रुकवाने, अवैध निर्माण को सील करने की कार्रवाई क्यों नहीं की? आखिर वह किस का इंतजार कर रहे हैं। क्या पूरी हवेली टूट जाएगी और अवैध दुकानें नजर आने लगेगी, तब वह कार्रवाई करेंगे? कहीं इस अवैध निर्माण में अधिकारियों की मिलीभगत तो नहीं है?

हैरिटेज नगर निगम से मात्र 250 मीटर दूर

हैरानी की बात यह है कि नगर निगम हैरिटेज की इस अवैध निर्माण से दूरी मात्र 250 मीटर की दूरी है। महापौर और निगम के वरिष्ठ अधिकारियों के आने जाने का रास्ता भी जौहरी बाजार से ही है। ऐसे में क्या महापौर और निगम के उच्चाधिकारियों की नजर इस अवैध निर्माण पर नहीं पड़ी?

अवैध निर्माण टूटेगा, तभी रुकेगी विरासतों से छेड़छाड़

जयपुर को वल्र्ड हेरिटेज सिटी का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली कंसल्टेंट शिखा जैन का कहना है कि इस समय परकोटे की महत्वपूर्ण इमारतों, हवेलियों और पुराने मकानों को सूचीबद्ध किए जाने का काम चल रहा है। इस समय के दौरान यदि विरासत को नुकसान पहुंचाया जाता है तो नगर निगम को इसके खिलाफ पूरी निगरानी रखने के साथ सख्त कार्रवाई करनी होगी। दिल्ली में भी पुरानी इमारतों को तोड़कर कॉम्पलेक्स बनाए जा रहे थे, लेकिन यहां ऐसे कॉम्पलेक्सों को ढ़हा दिया गया। इससे अवैध निर्माणकर्ताओं को भारी नुकसान हुआ और अन्य लोगों को भी साफ संदेश मिल गया कि यदि वह अवैध निर्माण करेंगे तो उन्हें भारी आर्थिक हानि उठानी पड़ेगी। दिल्ली में इस तरह की कार्रवाई से अवैध निर्माण रुक गए हैं। ऐसे ही कदम राजस्थान सरकार को जयपुर में भी उठाने पड़ेंगे। सरकार के साथ-साथ जयपुर वासियों को भी विरासत को बचाने का दायित्व संभालना होगा। अपने अकेले के फायदे के लिए अवैध कार्य करके परकोटे की विरासत को खराब करने से बचना होगा, नहीं तो वल्र्ड हेरिटेज का यह दर्जा रद्द हो जाएगा।

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