जयपुर

जलेब चौक की सुरक्षा हटाने के कारण हुई विधानसभा में चोरी, एडमा के लापरवाह अधिकारी जिम्मेदार, चोरी का पता लगने के 3 दिन बाद भी नहीं किए सुरक्षा उपाय

पुरानी विधानसभा में हुई 29 एयर कंडीशनर की चोरी के पीछे आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण (एडमा) के अधिकारियों की घोर लापरवाही सामने आ रही है। कहा जा रहा है कि एडमा द्वारा जलेब चौक से सुरक्षा हटाने के कारण विधानसभा में चोरी हुई है। इस चोरी से साफ हो गया है कि एडमा के अधिकारियों ने पुरानी विधानसभा की सुरक्षा को हल्के में लिया है। हैरानी की बात यह है कि जिस रास्तों से चोरी होने की आशंका जताई जा रही है, लापरवाह अधिकारियों ने चोरी का खुलासा होने के तीन दिन बाद भी उन रास्तों पर सुरक्षा का कोई उपाय नहीं किया है।

पुरातत्व विभाग के सूत्रों के अनुसार जलेब चौक में संरक्षण और जीर्णोद्धार कार्यों के बाद सुरक्षा के लिए 4 सिक्योरिटी गार्ड लगाए गए थे। करीब दो वर्ष पूर्व अधिकारियों ने मनमानी करते हुए जलेब चौक से गार्डों को हटा लिया और चौक की सुरक्षा को भगवान भरोसे छोड़ दिया। गार्ड हटने के बाद यहां खानाबदोश लोगों ने अपना डेरा जमा लिया। रात के समय यहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। लोगों ने चौक के आधे से ज्यादा कमरों के ताले तोड़ रखे हैं और लगातार अतिक्रमण किया जा रहा है।

पुरानी विधानसभा का उत्तर-पश्चिमी और दक्षिण पश्चिमी कोना जलेब चौक से जुड़ा हुआ है और जलेब चौक की छत से कोई भी विधानसभा के अंदर जा सकता है। विधानसभा के मुख्य गेट के पास जिस जगह हर वर्ष सर्दियों में अस्थाई रैन बसेरा लगाया जाता है, उस जगह बनी सीढिय़ों के दरवाजे चोरी का खुलासा होने के तीन दिन बाद भी खुले पड़े थे। इसकी जानकारी अधिकारियों को है, लेकिन इसके बावजूद अभी तक यहां न तो सुरक्षा गार्ड लगाए गए हैं और न ही दरवाजों की मरम्मत कर ताले लगाए गए हैं, ऐसे में विधानसभा में फिर चोरी की संभावना जताई जा रही है।

मैडम ने किया दौरा
एडमा की कार्यकारी निदेशक (कार्य) दीप्ती कच्वाहा ने शुक्रवार को निर्माण शाखा से जुड़े अधिशाषी अभियंता रवि गुप्ता और बीपी सिंह के साथ दोबारा पुरानी विधानसभा का निरीक्षण किया। कहा जा रहा है कि यह दौरा भी चोरी से हुए नुकसान का आंकलन करने के लिए किया गया था।

अधिकारियों से नहीं लग रहा चोरी से हुए नुकसान का अनुमान
पुरातत्व सूत्र कह रह हैं कि एडमा अधिकारियों से विधानसभा में हुई चोरी का अनुमान नहीं लगाया जा रहा है, क्योंकि एडमा में एक वर्ष से अधिक समय से इलेक्ट्रिक का कोई अधिशाषी अभियंता या सहायक अभियंता नहीं है। ऐसे में निर्माण कार्य कराने वाले अधिकारी बिजली ठेकेदार के कर्मचारियों के जरिए नुकसान का अनुमान लगाने में जुटे हैं, लेकिन इसमें भी समस्या यह आ रही है कि कर्मचारी अंदाजे से चोरी हुए सामान की जानकारी तो दे रहे हैं, लेकिन उनसे भी चोरी गए सामान की कीमत का अनुमान नहीं लगाया जा रहा है।

एडमा अधिकारी जिस तरह से मामले को दबाने में जुटे हैं, उससे लगता है कि विधानसभा की प्राचीन इमारत में भारी नुकसान किया गया है।

सीईओ से भी छिपाई घटना की सूचना
सूत्रों के अनुसार एडमा के अधिकारियों ने पुरातत्व विभाग के साथ-साथ पुरातत्व कला एवं संस्कृति विभाग की शासन सचिव और एडमा की सीईओ मुग्धा सिन्हा से भी इतनी बड़ी घटना की बात छिपा रखी है। विधानसभा में चोरी के तीन दिन बाद भी सीईओ तक घटना की सूचना नहीं पहुंचना दर्शा रहा है कि अधिकारी अपनी खाल बचाने के लिए मामले को दबाने में जुटे हुए हैं। हकीकत भी यही है कि जब से एडमा बना है, तभी से अधिकारी सिर्फ यहां सिर्फ कमाने-खाने के लिए आते हैं। जयपुर के संरक्षित स्मारकों का जितना बंटाधार एडमा के बनने के बाद हुआ है, उतना शायद पहले कभी नहीं हुआ।

मुख्यमंत्री जी मितव्ययता का ध्यान रखो
पुरानी विधानसभा में हुई चोरी के बाद धरोहर बचाओ समिति के संरक्षक एडवोकेट भारत शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री जी मितव्यता का ध्यान रखो। गत वर्ष कोरोना संक्रमण बढ़ने पर आपने आदेश निकाले थे कि सरकारी विभाग मितव्यता बरतें। यह आदेश अब भी लागू हैं, क्योंकि इस आदेश को रद्द नहीं किया गया है। प्रदेश में पुरातत्व संरक्षण के नाम पर पांच एजेंसियों के अधिकारी अपनी जेबें भरने में लगे हैं। इनमें पुरातत्व विभाग, एडमा, आरटीडीसी, जयपुर स्मार्ट सिटी, नगर निगम हैरिटेज धरोहरों का सत्यानाश कर रहे हैं।

एडमा के अधिकारियों के कारनामे रोज सुर्खियों में रहते हैं, ऐसे में सरकार तुरंत प्रभाव से एडमा को भंग करे तो सरकार को करोड़ों रुपयों की राजस्व बचत होगी, जो कोरोना काल में प्रदेश की गरीब जनता के काम आएगी।

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