जयपुर

समय कम, इसलिए दिखाया जा रहा दम, राजे ने धार्मिक यात्रा के बहाने दिखाए तेवर, निकाले जा रहे कई सियासी मायने

जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने रविवार को देव दर्शन कार्यक्रम शुरू करके अपनी राजनीतिक ताकत का अहसास करा दिया है। हालांकि दो दिनों के इन कार्यक्रमों के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं, लेकिन राजे के बयानों से साफ इशारा मिल रहा है कि वह प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हो चुकी है।

पूंछरी के लौठा में राजे ने उपस्थित लोगों को संबोधित किया और कहा कि आज आपको याद दिलाना चाहती हूं राजमाता जी (विजयाराजे सिंधिया) के बारे में जिन्होंने दीपक जलाने और कमल को खिलाने का काम किया था। उन्होंने दीये की लौ को कभी कम नहीं होने दिया। कभी कमल को मुरझाने नहीं दिया। उनके रग-रग में भाजपा और रोम-रोम में राष्ट्रवाद भरा था। मैं उन्हीं की बेटी हूं। याद रखो।

इस दौरान उन्होंने प्रदेश सरकार पर भी हमले किए और जता दिया कि भले ही सरकार दो धड़ों में बंटी हो, लेकिन अशोक गहलोत की सरकार को हिलाने का दम उनके अलावा भाजपा के अन्य गुटों में नहीं है। इस बयान से उन्होंने कार्यकर्ताओं का भी आह्वान कर दिया कि तैयार हो जाओ।

धार्मिक यात्रा को शक्ति प्रदर्शन मान रहे विरोधी खेमे
राजे की इस धार्मिक यात्रा को विरोधी खेमे शक्ति प्रदर्शन के रूप में ही देख रहे हैं, जिसकी गूंज दिल्ली तक सुनाई देगी। विरोधी खेमों की ओर से इन कार्यक्रमों की पल-पल की जानकारी ली जा रही है कि भाजपा के कितने विधायक, पूर्व विधायक, सांसद, पूर्व सांसद, पार्षद, पूर्व पार्षद, संगठन के लोग और कार्यकर्ता इन दो दिवसीय कार्यक्रमों में शामिल होते हैं। इस कार्यक्रम की पूरी रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व तक भेजी जा रही है। राजे ने अपने तेवर दिखाकर गेंद केंद्रीय नेतृत्व के पाले में फेंकी है, अब आगे राजस्थान भाजपा में क्या घटनाक्रम होगा, इसके लिए सबकी नजर दिल्ली पर ही रहेगी कि वह प्रदेश में संगठन को मजबूत कर नया नेतृत्व खड़ा करना चाहता है या फिर प्रदेश में भाजपा सरकार बनाना चाहता है।

इसलिए दिखाया जा रहा दम
हालांकि राजस्थान में अगले विधानसभा चुनावों में अभी ढाई वर्ष से अधिक का समय बचा है। चुनावों से एक वर्ष पूर्व ही सभी पार्टियां, राजनेता और कार्यकर्ता पूरी तरह से चुनावी रंग में रंग जाते हैं। ऐसे में बीच के डेढ़ वर्ष के सदुपयोग के लिए भाजपा के गुटों द्वारा दम दिखाया जा रहा है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि सत्ता हाथ से निकलने के बाद दो वर्ष तक राजे प्रदेश की राजनीति से दूर रही, ऐसे में वह चाहती है कि आगामी चुनावों के लिए उन्हें अभी से कमान सौंप दी जाए, ताकि वह इन डेढ़ वर्ष में प्रदेश भाजपा, कार्यकर्ताओं और जनता पर पकड़ बना लें। वहीं विरोधी गुट भी यही चाहते हैं कि इसी समय प्रदेश भाजपा का फैसला हो जाए तो प्रदेश में अगले चुनावों की रणनीति बनाकर उसपर काम शुरू हो जाए। वहीं फैसला जल्दी होता है तो मुख्यमंत्री के नए चेहरे को भी जनता के बीच प्रोजेक्ट करने का अच्छा समय मिल जाएगा।

राजे भी पशोपेश में
भाजपा सूत्रों का कहना है कि राजे के तेवर उनके अगले कदमों की चुगली कर देते हैं। अभी तक राजे के तीखे तेवर देखने को नहीं मिले हैं, जिससे कयास लाया जा रहा है कि वह अभी पशोपेश में है। इसके पीछे कारण गिनाया जा रहा है कि राजे गुट ने जितने राजनेताओं के पहुंचने का अनुमान लगाया था, उससे कम लोग ही आयोजन में पहुंच पाए। सोमवार को होने वाले कार्यक्रम में कितने लोग और जुड़ते हैं, उसी को देखने के बाद ही राजे गुट की ओर से भी आगे की रणनीति तैयार की जाएगी।

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