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ट्रेक्टर मार्च बना ट्रेरर मार्च, दिल्ली में किसानों ने दिनभर मचाया हुडदंग

जयपुर। गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में किसानों की ओर से निकाला गया ट्रेक्टर मार्च ट्रेरर मार्च में बदल गया। दिल्ली पुलिस के साथ हुए समझौते को ताक में रखकर किसानों ने ट्रेक्टरों से तय रूट से अलग रास्तों पर लगे बेरिकेटों को तोड़ दिया और दिल्ली में घुस आए। दोपहर साढ़े बारह बजे तक किसान लाल किले पर पहुंच गए और किले के गुम्बदों पर लहरा रहे तिरंगों को हटाकर वहां अपने झंड़े लहरा दिए।

किसानों के दिल्ली में घुसने की शुरूआत गाजीपुर बार्डर से हुई। यहां किसानों ने बेरिकेट तोड़कर अपने ट्रेक्टर अंदर ले आए। इस दौरान पुलिस से इनकी झड़प भी हुई। यहां से सैंकड़ों की संख्या में ट्रेक्टर व अन्य वाहन लालकिला पहुंच गए और वहां हंगामा मचा दिया। इस दौरान वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों पर हुडदंगियों ने तलवारों, लाठियों, सरियों से हमला किया गया और दर्जनों पुलिसकर्मियों को घायल कर दिया गया। हुडदंगी लालकिले में घुस गए और गुम्बदों पर चढ़ गए और वहां अपने झंड़े लहरा दिए।

किसान के भेष में इन हुडदंगियों ने दिनभर दिल्ली में उत्पात मचाया। इस दौरान 15 से अधिक जगहों पर पुलिस और हुडदंगियों के बीच झड़पें हुई। पुलिस ने लाठीचार्ज कर आंसूगैस के गोले छोड़कर इनको नियंत्रित करने की कोशिश की। वहीं दूसरी ओर किसानों ने ट्रेक्टर भगाकर, लाठियां भांजकर और पत्थर फेंककर उपद्रव मचाया। आइटीओ और नांगलोई में बार-बार पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। हुडदंग होते ही पुलिस ने ट्रेक्टर मार्च को खत्म कर दिया और ट्रेक्टरों को फिर से दिल्ली से बाहर निकालने की कवायद शुरू कर दी गई।

किसानों ने ट्रेक्टर से पुलिसकर्मियों और मीडिया कर्मियों को कई बार कुचलने का प्रयास किया गया। पुलिस और मीडिया से मारपीट की गई, जिससे 80 से अधिक पुलिस कर्मी और 15 से ज्यादा मीडियाकर्मी घायल हो गए। इस दौरान महिला पुलिसकर्मियों को भी नहीं बख्शा गया। शाम चार बजे तक यह हुडदंग चलता रहा। इस दौरान ट्रेक्टरों को रोकने के लिए खड़ी की गई बसों और पुलिस वाहनों को क्षतिग्रस्त किया गया।

इस दौरान शाम चार बजे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली की कानून व्यवस्था को लेकर गृहविभाग की बैठक बुला ली। दिल्ली में सीआरपीएफ की 10 और अन्य पैरा मिलिट्री फोर्स की 5 अतिरिक्त टुकडिय़ों की तैनाती के निर्देश दे दिए गए। लाल किले पर अतिरिक्त फोर्स भेजी गई और किले को खाली कराने की कोशिशें शुरू हुई। फोर्स की तैनाती बढ़ती देख आधे से ज्यादा किसान शाम तक दिल्ली से बाहर निकलने में लग गए।

हिंसा किसी समस्या का हल नहीं

ट्रेक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा को लेकर राहुल गाँधी और सीएम अशोक गहलोत ने किसानों से अपील की। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों से की शांति बनाये रखने की अपील और कहा कि हिंसा किसी समस्या का हल नहीं, चोट किसी को भी लगे, नुक़सान हमारे देश का ही होगा, देशहित के लिए केंद्र सरकार कृषि-विरोधी क़ानून वापस लो!, तो वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर कहा- किसान आंदोलन अभी तक शांतिपूर्ण रहा है, किसानों से अपील है कि शांति बनाए रखें और हिंसा ना करें, लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं है, यदि इस आंदोलन में हिंसा हुई तो यह किसान आंदोलन को असफल बनाने की कोशिश कर रही ताकतों के मंसूबों की कामयाबी होगी इसलिए हर हाल में शांति बनाए रखें

शुरू हुई राजनीति

दिल्ली में तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ निकाली गई ट्रेक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा पर राजनीति भी शुरू हो गई। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने केंद्र सरकार को दिल्ली में हुई इस हिंसा का जिम्मेदार बताया। पवार ने कहा-पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों ने अनुशासित तरीके से विरोध किया, लेकिन सरकार ने उन्हें गंभीरता से नहीं लिया, संयम समाप्त होते ही, ट्रैक्टर मार्च निकाला गया, केंद्र सरकार की जिम्मेदारी कानून और व्यवस्था को नियंत्रण में रखने की थी, लेकिन वे विफल रहे, आज दिल्ली में जो हुआ कोई भी उसका समर्थन नहीं करता परंतु इसके पीछे के कारण को भी नजऱअंदाज नहीं किया जा सकता, पिछले कई दिनों से किसान धरने पर बैठे थे ।

भारत सरकार की जि़म्मेदारी थी कि सकारात्मक बात कर हल निकालना चाहिए था, वार्ता हुई लेकिन कुछ हल नहीं निकला। उधर शिवसेना नेता संजय राउत ने भी बयान जारी कर इसके लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया।

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