जयपुरपर्यावरणराजनीति

वन विभाग ने 2000 करोड़ की 1200 बीघा जमीन अतिक्रमण मुक्त कराई

जयपुर। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद वन विभाग ने सोमवार को विश्वकर्मा थाना इलाका स्थित आकेड़ा डूंगरी में 2 हजार करोड़ रुपए से अधिक मूल्य की 1200 बीघा जमीन को मुक्त करवा लिया। इस जमीन पर कई भाजपा नेताओं, ब्यूरोक्रेट्स और जजों ने अपने फार्म हाउस बना रखे थे।

सहायक वन संरक्षक नाहरगढ़ जीएस जैदी ने बताया कि एक पूर्व राज्यमंत्री रामनारायण मीणा और 8-10 लोगों ने इस भूमि पर अपने फार्म हाउस बना रखे थे। जबकि यह भूमि नाहरगढ़ वन क्षेत्र के लिए नोटिफाइड भूमि है। इस भूमि पर पिछले 20-25 वर्षों से अतिक्रमण था। अतिक्रमण हटाने के दौरान विश्वकर्मा, मुरलीपुरा, हरमाड़ा और चौमूं थाना पुलिस से 100 से अधिक जवान मौके पर मौजूद रहे। वन विभाग के भी 100 कर्मचारी अधिकारी मौके पर रहे और अतिक्रमण हटाया।

जेसीबी की मदद से यहां प्रमुख रूप से तीन बड़ी इमारतों, जगह-जगह बने कमरों, टीन शेड़, तारबंदी को हटाया गया और पंचनामा बनाकर वन विभाग के सात बोर्ड लगाए गए। सूत्रों के अनुसार मुक्त कराई गई 1200 बीघा में से करीब 350 बीघा जमीन पूर्व मंत्री के कब्जे में थी। बाजार में इस भूमि की कीमत करीब 50 लाख रुपए प्रति बीघा बताई जा रही है।

मामले ने लिया राजनीतिक रंग

वन विभाग की यह कार्रवाई अब राजनैतिक रंग ले रही है। कोटा में भाजपा विधायक प्रहलाद गुंजल के भाई से 107 बीघा जमीन मुक्त कराए जाने के बाद जयपुर में यह बड़ी कार्रवाई है। आरोप लगाया जा रहा है कि कांग्रेस सरकार बदले की नीयत से भाजपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं के खिलाफ कार्रवाई कर रही है।

बताया जा रहा है कि आकेड़ा डूंगर में भी पूर्व मंत्री के अलावा 10 से अधिक फार्म हाउस भाजपा नेताओं के थे। शेष फार्म हाउस आईएएस, आईपीएस और पूर्व जजों के हैं। रामनारायण मीणा जमवा रामगढ़ से विधायक चुने जाते रहे हैं और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खास आदमी बताए जा रहे हैं।

इस मामले में मीणा का कहना है कि उनके पास 100 साल पुरानी रजिस्ट्री है। वन विभाग के कुछ अधिकारी व्यक्तिगत रंजिश रखते हैं और यह सब उन्हीं अधिकारियों के निर्देश पर हुआ है। वन विभाग ने उनकी काश्त के लिए तैयार जमीन को तहस-नहस किया है। बिना नोटिस दिए कार्रवाई कर उनके मकानों को तोड़ा गया, जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। कांग्रेस सरकार भाजपा नेताओं के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई कर रही है।

वन अधिकारियों पर हो कार्रवाई

इस मामले में वन एवं पर्यावरण विशेषज्ञ कमल तिवाड़ी ने कहा कि वन विभाग इस मामले में की गई शिकायत पर पहले ही ध्यान दे लेता तो इतनी नौबत ही नहीं आती। वन भूमियों पर अतिक्रमण के लाखों केस वन विभाग के पास पेंडिंग पड़े हैं। वर्षो से उनपर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इस मामले में भी तत्कालीन वन अधिकारियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए, तभी वन अधिकारियों की लापरवाही खत्म होगी।

Related posts

कंपनी नियमों में संशोधन कर निदेशक मंडल में एससी-एसटी-ओबीसी वर्ग को मिले प्रतिनिधित्व-डांगी

admin

जयपुर शहर के आस-पास की वन भूमियों को ईको-टूरिज्म के रूप में किया जाएगा विकसित

admin

सरकार कोरोना से लड़ने में उलझी, पायलट गुट के विधायक हेमाराम चौधरी( Hemaram choudhary) ने दिया इस्तीफा, कांग्रेस में चर्चा जी-23 (G-23) ने की गांधी परिवार के सिपहसालार अशोक गहलोत को अस्थिर करने की कोशिश

admin