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विवादित ढांचा विध्वंस मामलाः आडवाणी सहित सभी 32 आरोपी बरी

नई दिल्ली/लखनऊ। अयोध्या में विवादित ढांचे के विध्वंस मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी सहित सभी 32 आरोपियों को आज लखनऊ स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने बाइज्जत बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि विध्वंस की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी और यह अचानक हुई थी। अदालत ने वीडियो सहित कई साक्ष्यों को भी नहीं माना और 28 साल से चले आ रहे इस विवाद पर अपना फैसला सुना दिया। हालांकि इस फैसले के बाद मुस्लिम पक्ष ने उच्च न्यायालय में अपील की बात कही है।

विध्वंस पूर्व नियोजित नहीं

 यह फैसला आने के बाद भाजपा में खुशी की लहर दौड़ गई। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह  ने अपने बुजुर्ग नेता को बधाई दी है। वहीं, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद आडवाणी के घर पहुंचे हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे देर से ही सही पर न्याय की जीत बताया है। लखनऊ की सीबीआई अदालत ने आज 30 सितंबर को फैसला सुनाते हुए कहा कि 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या स्थित विवादित ढांचा ढहाए जाने की घटना के पीछे किसी प्रकार की कोई साजिश नहीं थी। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश एस के यादव ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘घटना पूर्वनियोजित नहीं थी।’  सीबीआई ने जो वीडियो दाखिल किया था, उसे अदालत ने टैंपर्ड (छेड़छाड़/काटछांट किया हुआ) माना। अदालत ने कहा कि वीडियो को सीलबंद लिफाफे में नहीं जमा किया गया था।

ये 32 आरोपी हुए बरी

लखनऊ स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने जिन 32 आरोपियों को बरी है, उनमें लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, महंत नृत्य गोपाल दास, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, रामविलास वेदांती, धरम दास, सतीश प्रधान, चंपत राय, पवन कुमार पांडेय, ब्रज भूषण सिंह, जय भगवान गोयल, महाराज स्वामी साक्षी, रामचंद्र खत्री, अमन नाथ गोयल, संतोष दुबे, प्रकाश शर्मा, जयभान सिंह पवैया, विनय कुमार राय, लल्लू सिंह, ओमप्रकाश पांडेय, कमलेश त्रिपाठी उर्फ सती दुबे, गांधी यादव, धर्मेंद्र सिंह गुर्जर, रामजी गुप्ता, विजय बहादुर सिंह, नवीन भाई शुक्ला, आचार्य धर्मेंद्र देव, सुधीर कक्कड़और रविंद्र नाथ श्रीवास्तव शामिल हैं।

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